राष्ट्रीय

रामपुर सीट पर दिलचस्प हुआ मुकाबला, भाजपा-सपा में सीधी टक्कर के आसार

पहले चरण के लोकसभा चुनाव में रामपुर सीट पर प्रदेश भर की नजरें टिकी थीं. ऐसे में कम मतदान फीसदी ने सभी को चौंकाया जरूर है, लेकिन अब कांटे के मुकाबले की आसार भी बढ़ गई है. रामपुर लोकसभा सीट के लिए जिले की पांचों विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं ने खूब रुचि दिखाई. शहर विधानसभा सीट पर सबसे कम 44.87 फीसदी और स्वार सीट पर सबसे अधिक 60.43 फीसदी मतदान रहा, जबकि बिलासपुर, चमरौआ, मिलक में 55 फीसदी से ऊपर मतदान रहा है.

 

सभी विधानसभाओं में वोटों के ध्रुवीकरण से बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार नजर आ रहे हैं. बीएसपी ने अपने परंपरागत दलित वोट लेने में सफलता हासिल की है, लेकिन उसमें बीजेपी ने भी सेंधमारी की है. कुछ दलित मतदाता साइकिल पर भी सवार हुए हैं. ऐसे में रामपुर सीट का मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. 

स्वार विधानसभा क्षेत्र (60.43) 
स्वार विधानसभा सीट पर 3,11,390 में से 1,88,170 मत पड़े हैं. यहां अल्पसख्यंकों ने साइकिल की खूब सवारी की. इस सीट पर अंसारी और अन्य मतदाताओं ने साइकिल की रफ्तार को बढ़ाया. हालांकि, अपना दल के विधायक शफीक अंसारी के असर से अल्पसंख्यकों ने कमल भी खिलाया. वहीं पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं ने कमल में दिलचस्पी दिखाई. दलित मतदाताओं ने बीएसपी के साथ बीजेपी का भी साथ दिया.
 

चमरौवा विधानसभा क्षेत्र (57.89)
चमरौवा विधानसभा सीट पर 3,13,463 में से 1,81,459 मत पड़े हैं. यहां करीब 70 फीसदी मुसलमान जनसंख्या है, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं. चमरौवा में अल्पसंख्यक मतदाताओं ने साइकिल की रफ्तार को बढ़ाया तो वहीं पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं ने कमल खिलाया. यहां बीएसपी का भी असर दिखा.

 

शहर विधानसभा क्षेत्र (44.87) : रामपुर की शहर विधानसभा सीट पर 3,91,993 में से सिर्फ़ 1,75,893 ने मतदाताओं ने मतदान किया. जिसमें मुसलमान मतदाताओं की संख्या अधिक है, ऐसे में आजम खां और उनके करीबी के चुनाव में न आने का फैक्टर नजर आया. मतदान फीसदी कम रहा, लेकिन शहर सीट पर साइकिल पर ही अल्पसंख्यक मतदाताओं ने सवारी की. बीएसपी के हाथी में भी रुचि दिखाई. कम मतदान का फायदा यहां बीजेपी को मिलेगा, जिससे इस सीट पर साइकिल और बीजेपी में कांटे का मुकाबला होगा. यहां लोधी और अन्य जातियों के मतदाताओं ने कमल खिलाया है.

बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र (59.35)
बिलासपुर विधानसभा सीट पर 3,52,911 में से 2,09,454 मत पड़े हैं. यहां मुसलमान जनसंख्या मात्र 30 फीसदी है, जबकि 60 से 70 फीसदी सिख समाज के मतदाता हैं. यहां अधिकांश सिख मतदाताओं ने कमल खिलाया है. तो 10 से 20 फीसदी सिख समाज के मतदाताओं ने साइकिल की सवारी की है. अल्पसंख्यकों में भी साइकिल का असर अधिक दिखा. बीजेपी का गढ़ मानी जाने वाली बिलासपुर में बीजेपी को साइकिल से कड़ी भिड़न्त मिल सकती है.

मिलक विधानसभा क्षेत्र (58.14)
मिलक विधानसभा सीट पर 3,62,089 में से 2,10,528 मत पड़े हैं. बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले मिलक में कमल खूब खिला. वहीं बीएसपी के परंपरागत दलित वोट बैंक ने हाथी की सवारी की. सिलईबड़ा काण्ड के बाद इस सीट पर दलित मतदाता नाराज थे, जिसके चलते वो हाथी पर सवार हुए. अनेक दलित मतदाताओं ने कमल भी खिलाया. इस सीट पर मुस्लिमों ने साइकिल की रफ्तार को बरकरार रखा.

शहर में 2.16 लाख मतदाताओं ने नहीं डाले वोट 
रामपुर शहर सीट में 391993 मतदाताओं में से सिर्फ़ 175893 मतदाताओं ने ही मत का इस्तेमाल किया. इस तरह करीब 216100 मतदाताओं ने अपने मत का इस्तेमाल नहीं किया. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में 52.6 प्रतिशत मतदाताओं ने शहर विधानसभा सीट पर अपने मत का इस्तेमाल किया था.

शहर से लेकर गांव तक नहीं दिखे समाजवादी पार्टी के बस्ते
शहर से लेकर गांव तक सपा के प्रत्याशी के बस्ते तक नहीं दिखे. बूथों पर समाजवादी पार्टी के एजेंट भी कम दिखे. समाजवादी पार्टी प्रत्याशी समर्थकों के साथ ही टहलते हुए नजर आए. उनके साथ पार्टी का पदाधिकारी न तो पूरे चुनाव में नजर आया और न ही मतदान के दिन. सपा नेता आजम खां की टीम द्वारा दूरी बना लेने की वजह से शहर के बूथों के आसपास लगने वाले बस्ते तक ननजर नहीं आए. उनके एजेंट भी कहीं नजर नहीं आ रहे थे.
 

Related Articles

Back to top button