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लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में राजस्थान की 13 सीटों पर इस दिन होगी वोटिंग

Rajasthan Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में राजस्थान की 13 सीटों पर 26 अप्रैल को वोटिंग होनी है. इसमें झालावाड़-बारां सीट सबसे लोकप्रिय सीट है. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह 5वीं बार चुनाव मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी से गहलोत गवर्नमेंट में पूर्व मंत्री रह चुके प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन उम्मीदवार हैं. ऐसे में दोनों के बीच रोचक मुकाबला होने जा रहा है. दुष्यंत की मां वसुंधरा राजे स्वयं इस सीट से 5 बार सांसद रहने के साथ ही अटल गवर्नमेंट में केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं. दुष्यंत सिंह पिछले 20 वर्ष से इस सीट से सांसद हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 1989 में पहली बार यहां से सांसद बनीं. इसके बाद 2004 में उनके बेटे दुष्यंत सिंह यहां से सांसद बने. कुल मिलाकर पिछले 35 वर्ष से इस सीट पर पूर्व राजपरिवार का शासन है. बीजेपी में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अभी झालावाड़ की झालरापाटन सीट से विधायक हैं. पार्टी में वे एक तरह से हाशिए पर जा चुकी है. केंद्र की राजनीति में उनकी दिलचस्पी नहीं है. ऐसे में वह इस बार चुनाव नहीं लड़ रही हैं ना ही अन्य सीटों पर प्रचार करने जा रही हैं.

घर-घर दस्तक दे रही वसुंधरा

वसुंधरा राजे इन दिनों झालावाड़-बारां काफी एक्टिव है. इसकी वजह है प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन. उर्मिला 2009 का लोकसभा चुनाव दुष्यंत के सामने लड़ चुकी हैं. इस चुनाव में उन्होंने दुष्यंत को कड़ी भिड़न्त दी. दुष्यंत मात्र 52 हजार वोटों से इस सीट को जीत पाए थे. हालांकि सहानुभूति लहर के चलते इस बार भी दुष्यंत बड़े अंतर से यह चुनाव जीत सकते हैं.

क्या कहता है इस सीट का इतिहास

इस सीट पर पहले दो चुनाव यानी 1952 और 1957 में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की. यहां से कांग्रेस पार्टी नेमीचंद कासलीवाल सांसद रहे. इसके बाद से इस सीट पर जनसंघ और बीजेपी का ही कब्जा रहा है. हालांकि 1984 में इंदिरा गांधी की सहानुभूति लहर में कांग्रेस पार्टी के जुझार सिंह ने यहां जरूर जीत दर्ज की. इस सीट पर अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं इसमें से 14 पर भाजपा चुनाव जीती है. जबकि 3 बार कांग्रेस पार्टी पार्टी का कब्जा रहा. वहीं अब तक इस सीट से 10 बार राज परिवारों का कब्जा रहा है.

कांग्रेस ने इस सीट पर कई बार क्षेत्रीय के अतिरिक्त बाहरी प्रत्याशियों को भी मैदान में उतारा लेकिन हर बार कांग्रेस पार्टी को मुंह की खानी पड़ी. जैसे 1999 में कांग्रेस पार्टी ने अबरार अहमद को उतारा. 2004 में संजय गुर्जर को प्रत्याशी बनाया लेकिन पार्टी को कामयाबी नहीं मिल सकी. इस सीट से कोटा के पूर्व महाराव बृजराज सिंह भी चार बार सांसद रह चुके हैं. उनके बेटे इज्यराज सिंह भी कोटा से 2009 में सांसद रह चुके हैं. हालांकि बृजराज सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे.

 

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