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सरकार ने छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में किया इजाफा, लेकिन ये 3 चूकें कर देंगी बड़ा नुकसान

हमने हाल ही में आपको अपने एक लेख के जरिए कहा है कि कैसे इस वित्त साल में गवर्नमेंट ने छोटी बचत योजनाओं (स्मॉल सेविंग स्कीम्स) की ब्याज दरों में पिछले वर्षों के मुकाबला बढ़ोत्तरी किया है हमने आपको विभिन्न योजनाओं का अवधि आधारित इंट्रेस्ट दर बाकायदा चार्ट के तौर पर आपको बतायाहै लेकिन क्या आप जानती हैं कि सरकारी के ये इन्वेस्टमेंट प्लान अच्छे होने के साथ साथ आपके लिए थोड़ा कठिन खड़ी कर सकते हैं यदि आप तीन महत्वपूर्ण बातों से पूरी तरह से अवगत नहीं हैं

पीपीएफ, मंथली इनकम स्कीम, किसान विकास पत्र, आवर्ती जमा, साविधि जमा और अन्य स्मॉल सेविंग स्कीम्स फायदा तो देती ही हैं इस बात की गारंटी भी देती हैं कि आपका प्रिंसिपल अमाउंट पूरी तरह से सेफ है इनमें से कई योजनाएं टैक्स (आपकी आय पर लागू आयकर स्लैब) के हिसाब से छूट भी प्रदान करती हैं बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल कहते हैं कि छोटी बचत योजनाएं एक किफायती तरीका हैं जो आपको छोटी धनराशि से भी निवेश प्रारम्भ करने देती हैं कुछ छोटी बचत योजनाओं में निवेश करके आप इनकम टैक्स (आई-टी) अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के अनुसार कर छूट का फायदा उठा सकती हैं

किस स्कीम में आपको निवेश करना चाहिए, ये तीन बातों पर निर्भर करना चाहिए- पहला है अवधि यदि आप 1-3 वर्ष की छोटी अवधि के लिए निवेश करना चाह रही हैं तो आपको कुछ और ढूंढना चाहिए क्योंकि अधिकतर छोटी बचत योजनाएं लंबी अवधि के लिए होती हैं और यदि आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रही हैं तो उस बचत योजना का चयन करें जो आपकी पसंदीदा अवधि (या आवश्यकता के मुताबिक) के सबसे करीब हो उदाहरण के लिए, यदि आप बच्चों के लिए या बच्चों की किसी योजना में निवेश कर रही हैं, तो इसमें 21 वर्ष का लॉक-इन हो सकता है लेकिन यदि आपका बच्चा पहले से ही 5 साल का है, तो आप सिर्फ़ तभी धन का इस्तेमाल कर पाएंगे जब वह 26 साल का हो जाएगा इसका मतलब यह है कि जब उसे अपनी एजुकेशन के लिए धनराशि की आवश्यकता होगी, तो ये आपको मौजूद नहीं होगा

दूसरा फैक्टर है लता यानी लिक्विडिटी वैसे अधिकतर छोटी बचत योजनाएं लंबे समय के लिए बेहतर होती हैं, ऐसे में आपको तुरंत यदि पैसे की आवश्यकता हुई तो ये हो सकता है कुछ योजनाएं आपके हितार्थ साबित न हों इसलिए निवेश की अवधि का खास ख्याल रखें यदि आपको किसी इमरजेंसी स्थिति में धन की जरूरत है, तो आपको अन्य ऐसेट से ये जुटाना होगा या फिर इन्हें लिक्विडेट करने पर या रद्द करने पर आपको पेनल्टी देनी पड़ सकती है साथ ही समय भी अधिक लगेगा पैसा मिलने पर

एक और तीसरा व अंतिम फैक्टर है- ब्याज दर हो सकता है पैसा लगाने के बाद आपको पता लगे कि कुछ दूसरे निवेश के विकल्प ऐसे थे जहां आप निवेश कर सकती थीं और बेहतर पैसा कमा सकती थीं दूसरे कई विकल्प ऐसे होंगे ही जो उच्च रिटर्न और पूंजी की सुरक्षा देंगे और साथ ही इनमें कम अवधि या बेहतर तरलता भी मिलेगी ऐसे में इन सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखें और अपने जोखिम और जरूत की लिमिट को ध्यान में रखकर ही स्मॉल सेविंग स्कीम में पैसा लगाएं

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