सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट के बार एसोसिएशन के सदस्यों ने अपनी हड़ताल फिर से शुरू करने का किया फैसला
मुंबई: सिटी सिविल एंड सेशंस न्यायालय के बार एसोसिएशन के सदस्यों ने मंगलवार से अपनी स्ट्राइक फिर से प्रारम्भ करने का निर्णय किया है। उन्होंने यह कदम कुछ अदालतों को फोर्ट से मझगांव स्थानांतरित करने के निर्णय के विरुद्ध उठाया है। इस मामले पर प्रशासन के साथ वार्ता विफल होने के बाद, एसोसिएशन ने अब इस मामले को उच्च स्तर पर उठाने का निर्णय किया है और सदस्यों से एकजुट होने और कार्य का बहिष्कार करने का निवेदन किया है।
एसोसिएशन ने पांच जनवरी को मुख्य शाखा के न्यायालय रूम में असाधारण आमसभा बुलाई है। बैठक में प्रधान न्यायाधीश द्वारा शक्ति के दुरुपयोग और बॉम्बे सिटी सिविल न्यायालय और सत्र कोर्ट से प्रधान न्यायाधीश के प्रस्तावित ट्रांसफर पर चर्चा होगी। भूख हड़ताल, आमरण अनशन या पूर्ण कार्य बहिष्कार समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी।
कालाघोड़ा में सत्र कोर्ट की आठ अदालतों को मझगांव में निर्मित एक नए भवन में स्थानांतरित कर दिया गया है। यह न्यायालय वाणिज्यिक मामलों और मजिस्ट्रेट न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपील की सुनवाई करेगी। हालांकि यह निर्णय सेशन न्यायालय पर बोझ कम करने के लिए लिया गया है, लेकिन इससे वकीलों के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। इसलिए वकीलों ने 21 दिसंबर से अनशन प्रारम्भ कर दिया। दो दिनों की भूख स्ट्राइक के बाद संगठन ने बोला कि यदि हमारी बात पर कोई सकारात्मक फैसला नहीं हुआ तो वे फिर से स्ट्राइक पर जायेंगे।
सोमवार को एसोसिएशन ने प्रधान सत्र न्यायाधीश और प्रशासनिक समिति के सदस्यों समेत अन्य सदस्यों के साथ बैठक की। वार्ता विफल होने के बाद मंगलवार से स्ट्राइक फिर प्रारम्भ हो गयी। बॉम्बे सिटी सिविल और सेशन न्यायालय के अध्यक्ष एडवोकेट रवि प्रकाश जाधव ने कहा, वैसे हमें हाई कोर्ट के संरक्षक न्यायाधीशों या माननीय प्रधान न्यायाधीश से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, हम फिर से स्ट्राइक करेंगे और हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ कानून और न्यायपालिका मंत्रालय के हस्तक्षेप की सराहना की जा रही है। एसोसिएशन के सदस्य अटल बिहारी दुबे ने बोला कि कई न्यायाधिकरण वर्तमान में शहर के विभिन्न हिस्सों में किराए के परिसर में चलाए जा रहे हैं। इसके किराये पर पैसा बर्बाद करने के बजाय उन न्यायाधिकरणों को मझगांव भवन में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। कुछ अदालतें मझगांव और कुछ अदालतें किले में रहने से वकीलों और वादकारियों के लिए परिवहन की बड़ी परेशानी पैदा हो जायेगी।