सुप्रीम कोर्ट मेंआमने-सामने आ गए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सीनियर वकील कपिल सिब्बल
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में बुधवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सीनियर वकील कपिल सिब्बल आमने-सामने आ गए। उच्चतम न्यायालय में यह वाकया तब, हुआ जब पश्चिम बंगाल की ममता गवर्नमेंट द्वारा एक मुद्दे की सुनवाई हो रही थी। ममता गवर्नमेंट ने अपनी याचिका में CBI की निंदा की है। दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल गवर्नमेंट द्वारा दाखिल एक मुकदमे पर सुनवाई बुधवार को एक मई तक के लिए स्थगित कर दी।
दरअसल, बंगाल गवर्नमेंट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) पर राज्य से बिना स्वीकृति प्राप्त किए चुनाव के बाद अत्याचार मामलों में जांच को आगे बढ़ाने का इल्जाम लगाया है। उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति बी। आर। गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने मुद्दे की सुनवाई को स्थगित करने के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के निवेदन के बाद मुद्दे को स्थगित कर दिया। हालांकि, इससे पहले तुषार मेहता ने अपनी दलील पेश की।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ से बोला कि उन्हें नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने पेश होना है, जिस कारण सुनवाई को स्थगित कर दिया जाये। तुषार मेहता ने पीठ से कहा, ‘मैं जानता हूं कि मैंने कई मौकों पर स्थगन का निवेदन किया है लेकिन आज संविधान पीठ के समक्ष मेरे पेश होने की बारी है। यह मेरे नियंत्रण में नहीं है।’
पश्चिम बंगाल गवर्नमेंट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए थे। पश्चिम बंगाल गवर्नमेंट ने संविधान के अनुच्छेद 131 के अनुसार केंद्र गवर्नमेंट के विरुद्ध शीर्ष न्यायालय में एक केस दाखिल किया है। बंगाल गवर्नमेंट का इल्जाम है कि राज्य गवर्नमेंट के क्षेत्राधिकार में आने वाले मामलों की जांच के लिए संघीय एजेंसी को दी गई स्वीकृति वापस ले ली गयी, जिसके बावजूद CBI प्राथमिकियां दर्ज कर रही है और अपनी जांच आगे बढ़ा रही है।
अनुच्छेद 131 एक राज्य को केंद्र गवर्नमेंट और राज्य गवर्नमेंट के बीच टकराव की स्थिति में सीधे सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकार देता है। पश्चिम बंगाल गवर्नमेंट ने 16 नवंबर, 2018 को राज्य में जांच और छापेमारी करने के लिए CBI को दी गई आम सहमति वापस ले ली थी।