हजारीबाग : लोकसभा चुनाव के लिए जयंत पर भारी पड़ गये विधायक मनीष जायसवाल
हजारीबाग : बीजेपी ने लोकसभा चुनाव की पहली सूची में हजारीबाग सीट का प्रत्याशी बदल दिया। जयंत सिन्हा पर विधायक मनीष जायसवाल भारी पड़ गये। मनीष जायसवाल लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में बीजेपी का नया चेहरा होंगे। प्रत्याशी की घोषणा होते ही चुनाव रोमांचकारी हो गया है। हजारीबाग से दो बार सांसद रहे जयंत सिन्हा ने शनिवार को अचानक लोकसभा चुनाव से बाहर रहने की घोषणा कर दी है। जयंत सिन्हा अब चुनावी मैदान से बाहर हो गये थे। जयंत सिन्हा के चुनावी मैदान से बाहर जाने को लेकर कई तरह अर्थ लगाये जा रहे हैं। सियासी गलियारे में चर्चा है कि जयंत सिन्हा ने स्वयं यह फैसला लिया है या फिर आलाकमान के संकेत के बाद दूर रहने का निर्णय किया। मनीष जायसवाल हजारीबाग से विधायक हैं। मनीष जायसवाल को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद विपक्षी दलों की रणनीति भी बदलनी पड़ सकती है।
हजारीबाग संसदीय सीट में सियासी समीकरण का हमेशा असर रहा है। 1952 से लेकर 1968 तक राज परिवार के मोह में चुनावी समीकरण बनते रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय पार्टी में क्षेत्रीय और क्षेत्रीय दलों को शामिल कर मतदाताओं को आकर्षित करने का कोशिश किया। कांग्रेस पार्टी ने क्षेत्रीय दल के रूप में झारखंड पार्टी को अपने साथ शामिल किया। जयपाल सिंह की प्रतिनिधित्व वाली पार्टी को साथ कर हजारीबाग चुनावी रणनीति को बदलने की शुरूआत की। इसके बाद ही 1971 में कांग्रेस पार्टी को इस सीट पर पहली बार जीत मिली। इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद सहानुभूति लहर और कांग्रेस पार्टी को मिली बड़ी जीत में सेंधमारी बीजेपी ने भावनात्मक और धार्मिक मामले को आधार बनाकर की और कामयाबी पायी। 1989 में बीजेपी का खाता इस सीट से खुला। स्थानीय, क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को एक बार फिर से कारगर बनाने में भाकपा उम्मीदवार भुवनेश्वर मेहता सफल हुए। वहीं गठबंधन दलों की राजनीति भी इस सीट पर 2004 के चुनाव में दिखी। जब कांग्रेस, राजद और वामदल मिलकर संयुक्त उम्मीदवार ने बीजेपी उम्मीदवार को हरा दिया।
आज भी अधूरी पड़ी हैं दर्जनों परियोजनाएं
हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के अधीन सभी पांच विधानसभा क्षेत्र हजारीबग सदर, बरही, बड़कागांव, मांडू और रामगढ़ की भौगोलिक बनावट, आधारभूत संरचना के हिसाब से मामले भिन्न-भिन्न हैं। हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में अधिकतर प्रखंड कृषि प्रधान हैं। लेकिन, कृषि के पेशे को गति देने के लिए ठोस कोशिश नहीं हुए हैं। बरही विधानसभा में पड़ने वाले बक्सा डैम और चौपारण स्थित चैथी गांव का नहर निर्माण अधूरा है। बड़कागांव में उद्धव सिंचाई योजना अधूरी है। हहारो नदी में निर्माण कार्य बंद है। केरेडारी में घाघरा डैम नहर निर्माण कार्य आज भी अधूरा है। कोनार नहर सिंचाई परियोजना, टाटीझरिया प्रखंड बोधा डैम में नहर निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है।
रामगढ़ विधानसभा में भैरवा जलाशय से अधूरा नहर निर्माण समेत कई सिंचाई परियोजनाएं आज भी मामला हैं। युवाओं को रोजगार देने वाले कल-कारखाने लगाने, निजी क्षेत्रों के कंपनी में 75 फीसदी क्षेत्रीय युवाओं को रोजगार देने, कोयला खनन क्षेत्रों में विस्थापन-पुनर्वास और रोजगार अहम मामला है। सालों से इन मुद्दों को लेकर आवाज उठती रही है। सालों से ये चुनावी मामला हैं। बड़कागांव, मांडू और रामगढ़ के कोयला खनन क्षेत्र में आउट-सोर्सिंग कंपनी में कार्यरत कामगारों को हाई पावर कमेटी से अनुशंसित वेतनमान नहीं मिल रहा है। सीसीएल और अन्य कोल खनन कंपनियों द्वारा जमीन अधिग्रहण के बाद जॉब और रैयतों को मुआवजा नहीं मिलने का मुद्दा भी मामला बना हुआ है।
50,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश
सांसद जयंत सिन्हा ने दावा किया है कि दस सालों में 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश संसदीय क्षेत्र में हुआ है। यह झारखंड में सबसे अधिक है। 15 बड़ी योजनाओं को धरातल पर उतारा गया। कोडरमा-हजारीबाग-रांची रेललाइन पूरा होते ही वंदे हिंदुस्तान एक्सप्रेस, इंटरसिटी पैसेंजर ट्रेन हजारीबाग से चल रही हैं। 750 करोड़ की लागत से हजारीबाग में मेडिकल कॉलेज बना। 750 करोड़ की लागत से 25 एकड़ में 500 बेड का विश्वस्तरीय हॉस्पिटल बन रहा है। 20 हजार करोड़ के निवेश से चार हजार मेगावाट का पीवीयूएनएल थर्मल पावर प्लांट बन रहा है। यहां छह हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। अक्षयपात्र योजना कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि है।
इसके अनुसार हजारीबाग में 30 करोड़ और रामगढ़ में 28 करोड़ की लागत से दो बड़े रसोईघर बनने है। डेढ़ लाख बच्चों को रोजाना पौष्टिक खाना मौजूद होगा। पांच हजार करोड़ का राष्ट्रीय राजमार्ग का काम हुआ है। हजारीबाग-बरही बाइपास, रामगढ़ में चुटूपालू फ्लाई ओवर बना। हिंदुस्तान माला परियोजना के अनुसार हजारीबाग-बनारस-कोलकाता सड़क बन रही है। विनोबा भावे विवि में आधुनिक संसाधनों के साथ उच्च स्तर की पढ़ाई के लिए 100 करोड़ मौजूद कराये गये है। हजारीबाग शहर के घर-घर में गैस पाइप लाइन देने की योजना आखिरी चरण में है। कोनार पेयजल योजना के अनुसार 200 किमी पाइपलाइन बिछाकर कोनार डैम से पानी घरों तक पहुंचेगा। इसमें विष्णुगढ़, टाटीझरिया, दारू और शहर के 80 हजार घरों में पानी पहुंचना है।
कोयलांचल के लोगों की कठिनाई बढ़ी है
2019 में हजारीबाग लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी गोपाल साहु चुनाव लड़े थे। बीजेपी उम्मीदवार जयंत सिन्हा से पराजित होकर दूसरे जगह पर रहे थे। गाेपाल साहु ने बोला कि मैं झारखंड का पुत्र हूं। हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से रिश्ता हमेशा है। चुनाव में हार-जीत अपनी स्थान है। हजारीबाग के युवाओं को रोजगार दिलाने, विस्थापितों को अधिकार और सम्मान दिलाने और सामाजिक समरसता का काम करने की ख़्वाहिश थी। फिर भी हजारीबाग लोकसभा की जनता ने कम समय में जो प्यार और समर्थन दिया था। उसे मैं संजोये हुए हूं। हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में कोयलांचल के लोगों की कठिनाई काफी बढ़ रही है। युवाओं को रोजगार, विस्थापितों को पुनर्वास नहीं मिल रहा है। शहर को शिक्षा हब बनाने के लिए भी मेरी पार्टी के उम्मीदवार आनेवाले दिनों में काम करेंगे।
मजेदार रहा है हजारीबाग क्षेत्र का चुनावी इतिहास
हजारीबाग का चुनावी इतिहास भी दिलचस्प रहा है। हजारीबाग सीट पर 18 बार लोकसभा चुनाव हो चुका है। इसमें बीजेपी और जनता पार्टी सात-चार बार जीती है। दो बार लाल झंडा लहराया है। हजारीबाग संसदीय सीट से अभी तक सात- सात बार रामगढ़ राज समर्थित जनता पार्टी और बीजेपी उम्मीदवार ने चुनाव जीता। दो-दो बार कांग्रेस पार्टी पार्टी और सीपीआइ के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है।