हिंद-प्रशांत में खड़ी होगी चीन की खाट
India Germany Defence Relations: दशकों की हिचक तोड़ते हुए जर्मनी ने हिंदुस्तान से यारी मजबूत करने की ठानी है। हथियारों की खरीद-फरोख्त हो या युद्धाभ्यास, हिंदुस्तान और जर्मनी एक-दूसरे के बहुत करीब आ रहे हैं। जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन के मुताबिक, उनके राष्ट्र की सोच में यह परिवर्तन यूक्रेन पर रूस के हमले और चीन के विस्तारवादी रवैये के चलते आया है। चीन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अनेक अंतर्राष्ट्रीय नियमों को ताक पर रख दिया है। उसकी किलेबंदी के लिए जर्मनी ने हिंदुस्तान का साथ मांगा है। टाइम्स ऑफ इण्डिया को दिए साक्षात्कार में एकरमैन ने बोला कि आवाजाही की आजादी की गारंटी के लिए हिंद-प्रशांत में मजबूत उपस्थिति महत्वपूर्ण है। उन्होंने बोला कि साउथ चाइना सी और इंडो-पैसिफिक में आंख दिखा रहे एक राष्ट्र की गतिविधियों से जर्मनी चिंतित है। एकरमैन का इशारा चीन की ओर था।
फिलिप एकरमैन ने बोला कि जर्मनी की सियासी इच्छाशक्ति हिंदुस्तान के साथ रक्षा योगदान बढ़ाने की है। उन्होंने कहा, ‘हम NATO क्षेत्र के बाहर अपने रणनीतिक साझेदारों के साथ योगदान को बढ़ावा देना चाहते हैं, जर्मनी को लगता है कि रणनीतिक योगदान के लिए हिंदुस्तान इस क्षेत्र में एक बहुत अच्छा भागीदार है क्योंकि हमारे बहुत सारे भलाई और मूल्य मिलते-जुलते हैं। हमारी सेना और रणनीतिक सोच में, हम गठबंधन की सोचते हैं, अकेले की नहीं।‘
भारत और जर्मनी के बीच डिफेंस सेक्टर में साझेदारी
भारत लंबे समय से छह एडवांस्ड स्टील्थ डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन बनाने की सोच रहा है। जर्मनी और स्पेन इसमें विदेशी भागीदार होने के प्रमुख दावेदार हैं। इस दिशा में, पिछले वर्ष जून में जर्मन रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस की मौजूदगी में मझगांव डॉक्स (MDL) और जर्मन कंपनी TKMS के बीच पनडुब्बी उत्पादन में योगदान के लिए एक MoU पर साइन किए गए थे। स्पेनिश फर्म नवंतिया इस प्रोजेक्ट की दूसरी विदेशी दावेदार है। एकरमैन ने कहा, ‘(सेलेक्शन) प्रोसेस अभी भी जारी है, फैसला हिंदुस्तान को लेना है, लेकिन इस भारतीय प्रोजेक्ट का समर्थन करने के लिए जर्मन की साफ ख़्वाहिश और तैयारी है।‘
जर्मनी हिंदुस्तान को A400M ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, A330 MRTT मिड एयर रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट, हेवीवेट टॉरपीडो और छोटे हथियारों के लिए स्पेयर पार्ट्स सहित अन्य चीजों की सप्लाई करने के लिए भी तैयार है। एकरमैन ने बोला कि अगला पड़ाव यह होगा कि हिंदुस्तान और जर्मनी यह सोचें कि मिलकर क्या बनाया जा सकता है।
जर्मनी ने भारत, जापान, अमेरिका और अन्य के साथ मिलकर हिंद-प्रशांत में चीन की खटिया खड़ी करने का प्लान बनाया है। एकरमैन ने कहा, ‘हमारा मकसद हिंद प्रशांत क्षेत्र में हिंदुस्तान और उसके जैसी सोच रखने वाले देशों- अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के बीच इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाना है। हम कभी अकेले नहीं जाते। हमारी तरफ से पूरा वादा है कि हमें हिंदुस्तान के साथ सेना दौरे और अभ्यास बढ़ाने चाहिए।‘
भारत के साथ यूरोपीय शक्तियों का युद्धाभ्यास
इंडो-पैसिफिक में चीन के विरुद्ध एकजुट हो रहे राष्ट्र तैनाती बढ़ा रहे हैं। इसी के तहत, अगस्त में कोयंबटूर में भारतीय वायुसेना की सबसे बड़ी मल्टी-नेशन ‘तरंग शक्ति’ अभ्यास (फेज 1) में जर्मनी के साथ-साथ फ्रांस और स्पेन भी हिस्सा लेगा। उसके लिए 32 जर्मन विमानों की एक विशाल टुकड़ी आ रही है। इसमें आठ यूरोफाइटर और 12 टॉरनेडो जेट के साथ-साथ एयरबस-300 एमआरटीटी टैंकर और एयरबस-400एम सेना परिवहन विमान शामिल हैं। ‘तरंग शक्ति’ के लिए 15 फ्रांसीसी और स्पेनिश विमान भी आ रहे हैं। एक फ्रंटलाइन जर्मन फ्रिगेट और लड़ाकू सहायता जहाज भी अक्टूबर में गोवा का दौरा करेगा।