प्रदेश के इन 10 जिलों में आरटीई प्रवेश में 621 बच्चों का गलत ढंग से दाखिला हुआ रद्द

मंत्री ऋषिकेशभाई पटेल ने बोला कि बच्चों को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के अनुसार विद्यालयों में प्रवेश दिया जाता है ताकि जरूरतमंद विद्यार्थी भी शिक्षा प्राप्त कर सकें। गरीब बच्चों के साथ अन्याय न हो, इसके लिए आरटीई में प्रवेश प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ दी जाती है. प्रदेश के 10 जिलों में 621 बच्चों का गलत ढंग से दाखिला रद्द कर दिया गया है।
ऋषिकेश पटेल ने बोला कि आरटीई अधिनियम के अनुसार अपने बच्चे का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए, गवर्नमेंट को राज्य में कुछ माता-पिता के ध्यान में आया था कि वे बच्चे का नाम और पता आदि बदलकर औनलाइन फॉर्म भर रहे हैं.
ऐसे प्रवेशित बच्चों का विवरण एसएसए द्वारा संचालित चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम में पुनः सत्यापित करने एवं जिला स्तर पर उनका प्रवेश खारिज करने के राज्य स्तर से निर्देश जारी कर दिये गये हैं। इन निर्देशों को ध्यान में रखते हुए भरूच जिले में 33, छोटा उदेपुर में 25, गिर सोमनाथ में 24, जामनगर शहर में 159, खेड़ा में 92, राजकोट में 161, साबरकांठा में 10, वलसाड में 14, सूरत में 33 और सुरेंद्रनगर जिले में 70 मुद्दे दर्ज किये गये हैं। राज्य में कुल 621 बच्चों का कैंसिल किया गया है.
उन्होंने बोला कि इस साल आरटीई प्रवेश प्रक्रिया के पहले दौर में 54,903 बच्चों को प्रवेश आवंटित किया गया है. इसी बीच गत साल कक्षा-1 में पढ़ने के बावजूद इस साल आरटीई के अनुसार औनलाइन फार्म भरकर अभिभावकों द्वारा प्रवेश दिलाने का मामला जिला और राज्य स्तर पर देखा गया, जो आरटीई के प्रावधानों के खिलाफ है। माता-पिता द्वारा आरटीई के लिए औनलाइन फॉर्म भरने के समय और प्रवेश के आवंटन के समय, माता-पिता से प्रवेश पत्र में एक उपक्रम लिया जाता है कि, “मेरा बच्चा शैक्षणिक साल 2022 में किसी भी विद्यालय में नहीं पढ़ रहा है- 23 कक्षा 1/2 में, मेरे सर्वोत्तम ज्ञान के लिए. यदि जानकारी गलत पाई जाती है, तो आरटीई के अनुसार प्रवेश रद्द करने के लिए उत्तरदायी होगा. इस शासनादेश के मुताबिक गलत ढंग से प्रवेशित बालक का प्रवेश खारिज कर दिया जाता है.