17 दिन का रेस्क्यू ऑपरेशन और 422 घंटे की कड़ी जंग,जानिए 17 कहानियां
Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी में सभी 41 मज़दूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। देर शाम सभी श्रमिकों को एनडीआरएफ (NDRF) की टीम ने बाहर निकाला। इस दौरान मुख्यमंत्री धामी मौके पर उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री धामी ने श्रमिकों को माला पहनाकर उनका स्वागत किया। इसके बाद सभी श्रमिकों को हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उनका प्राथमिक इलाज किया जा रहा है। श्रमिकों को उत्तराखंड गवर्नमेंट की ओर से 1-1 लाख की सहायता दी जाएगी। साथ ही धामी गवर्नमेंट ने कंपनी से अपील की है कि वो निकाले गए 41 श्रमिकों को वेतन के साथ 10-15 दिनों की छुट्टी दे दें। इस बीच प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी टेलीफोन पर श्रमिकों से बात की।
422 घंटे बाद टनल से निकाले गए मजदूर
17 दिन का रेस्क्यू ऑपरेशन और 422 घंटे की कड़ी जंग। आखिरकार सिलक्यारा टनल में फंसी 41 जिंदगियां बाहर आ ही गईं। श्रमिकों के बाहर आते ही रेस्क्यू में लगी टीम ने हिंदुस्तान माता की जय के नारे लगाने प्रारम्भ कर दिए। 17 दिन बाद उस टनल से बाहर आने की खुशी श्रमिकों के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। 17 दिनों के ऑपरेशन में कई तरह के चैलेंज का सामना करना पड़ा। आज हम आपको 17 दिनों की 17 कहानियां बता रहे हैं। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे यह ऑपरेशन पूरा हुआ।
सिलक्यारा टनल रेस्क्यू: 17 दिनों की 17 कहानियां
12 नवंबर 2023
12 नवंबर की सुबह, जब देशभर में दीपावली मनाने की तैयारी थी। सुबह करीब 5.30 बजे उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टनल में भूस्खलन हुआ। पहले समाचार आई कि 36 मजदूर फंसे हैं। इसके बाद पता चला कि अंदर 40 मजदूर हैं। इसके बाद श्रमिकों को बचाने का ऑपरेशन प्रारम्भ हुआ। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए एनडीआरएफ, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रतिवादन बल, सीमा सड़क संगठन और परियोजना का निर्माण करने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम (एनएचआइडीसीएल) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस(आईटीबीपी) समेत विभिन्न एजेंसियां शामिल हुईं।
13 नवंबर 2023
मजदूरों से पानी निकासी की पाइप से संपर्क किया गया। श्रमिकों से वॉकी-टॉकी के जरिए बात हुई। इसके बाद इसी पाइप से श्रमिकों को ऑक्सीजन पहुंचाई गई। इसके साथ ही उन्हें खाने की चीजें भी भेजी गई। बचाव कार्यों के बीच सीएम पुष्कर सिंह धामी मौके पर पहुंचे। सुरंग के ढहे हिस्से में जमा मलबे को हटाने में कोई खास प्रगति नहीं, जबकि ऊपर से भूस्खलन जारी रहने से बचाव कार्य कठिन हुआ। परिणामस्वरूप 30 मीटर क्षेत्र में जमा मलबा 60 मीटर तक फैल गया। ढीले मलबे को ‘शाटक्रीटिंग’ की सहायता से मजबूत करने और उसके बाद ड्रिलिंग कर उसमें बड़े व्यास की स्टील पाइपलाइन डालकर मजदूरों को बाहर निकालने की रणनीति बनाई गई।
14 नवंबर 2023
ऑगर मशीन की सहायता से मलबे में क्षैतिज (Horizontal) ड्रिलिंग का प्लान बनाया गया। ड्रिलिंग के बाद उसमें 800 और 900 मिमी व्यास की पाइप डालने की योजना बनी। मौके पर पाइप लाई भी गई। हालांकि, सुरंग में मलबा गिरने और उसमें हल्की रूप से दो बचावकर्मियों के घायल होने बचाव कार्यों में बाधा आई। जानकारों की एक टीम ने सुरंग और उसके आसपास की मिटटी की जांच के लिए सर्वेंक्षण प्रारम्भ किया। सुरंग में फंसे लोगों को खाना, पानी, ऑक्सीजन, बिजली की आपूर्ति लगातार जारी रही। सुरंग में कुछ लोगों ने उल्टी की कम्पलेन की, जिसके बाद उन्हें दवाइयां भी मौजूद कराई गईं।
15 नवंबर 2023
सिल्क्यारा टनल के काम में लगी ऑगर ड्रिलिंग मशीन से काम नहीं बना। इसके बाद एनएचआईडीसीएल ने बचाव कार्य तेज करने के लिए दिल्ली से अत्याधुनिक अमेरिकी ऑगर मशीन मंगाई।
16 नवंबर 2023
उच्च क्षमता वाली अमेरिकी ऑगर मशीन जोड़कर सुरंग में स्थापित की गई। आधी रात के बाद ऑगर मशीन ने काम प्रारम्भ किया।
17 नवंबर 2023
ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम रात भर चलता रहा। मशीन ने 22 मीटर तक ड्रिल कर चार स्टील पाइप डाले। पांचवें पाइप को डाले जाने के दौरान मशीन के किसी चीज से टकराने से बल की आवाज आई। इसके बाद ड्रिलिंग का काम रोकना पड़ा। मशीन को भी हानि हुआ। इसके बाद, बचाव कार्यों में सहायता के लिए उच्च क्षमता की एक और ऑगर मशीन इंदौर से मंगाई गई।
18 नवंबर 2023
सुरंग में भारी मशीन से कंपन को देखते हुए मलबा गिरने की संभावना के चलते ड्रिलिंग प्रारम्भ नहीं हो पाई। पीएम कार्यालय के ऑफिसरों की टीम और जानकारों ने पांच योजनाओं पर एक साथ काम करने का फैसला लिया, जिनमें सुरंग के उपर से क्षैतिज ड्रिलिंग कर मजदूरों तक पहुंचने का विकल्प भी शामिल था।
19 नवंबर 2023
ड्रिलिंग रूकी रही, जबकि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बचाव अभियान की समीक्षा की। उन्होंने बोला कि ऑगर मशीन के जरिए क्षैतिज ड्रिलिंग कर मजदूरों तक पहुंचने का सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। उन्होंने दो से ढ़ाई दिनों में कामयाबी मिलने की आशा जताई।
20 नवंबर 2023
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टेलीफोन पर सीएम धामी से बातकर सुरंग में चल रहे बचाव कार्यों का जायजा लिया। इसके साथ ही मजदूरों का आत्मशक्ति ऊंचा बनाए रखने पर बल दिया। बचावकर्मियों ने मलबे में ड्रिलिंग कर छह इंच व्यास की पाइपलाइन डाली। इसके बाद पहली बार सुरंग में फंसे मजदूरों को पूरा खाना भेजा गया। इसके अतिरिक्त कपड़े और अन्य महत्वपूर्ण चीजों की आपूर्ति भी की गई। हालांकि, ऑगर मशीन के सामने बोल्डर आने से रूकी ड्रिलिंग प्रारम्भ नहीं हो पाई।
21 नवंबर 2023
बचावकर्मियों ने सुरंग में फंसे मजदूरों के सकुशल होने का पहला वीडियो जारी किया। सफेद और पीला हेलमेट पहने मजदूर पाइप के जरिए खाना लेते और एक दूसरे से वार्ता करते दिखाई दिए। सिलक्यारा सुरंग के बड़कोट छोर पर दो विस्फोट कर दूसरी ओर से ड्रिलिंग की आरंभ की गई। हालांकि, जानकारों ने कहा कि इस वैकल्पिक ढंग से मजदूरों तक पहुंचने में 40 दिन लगने की आसार है। एनएचआइडीसीएल ने ऑगर मशीन से सिलक्यारा छोर से फिर क्षैतिज ड्रिलिंग प्रारम्भ की।
22 नवंबर 2023
800 मिमी के व्यास की स्टील पाइपलाइन मलबे में 45 मीटर अंदर तक पहुंची। कुल 57 मीटर मलबे में से 12 मीटर को भेदा जाना शेष रह गया। सुरंग के बाहर एंबुलेंस को खड़ा किया गया। इसके अलावा, मौके से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का विशेष वार्ड बनाया गया। देर रात लोहे के सरिए और गर्डर सामने आने से ड्रिलिंग में फिर अवरोध आया।
23 नवंबर 2023
अड़चन आने से बचाव अभियान में छह घंटे की देरी हुई। बाधा को दूर करने के बाद ड्रिलिंग फिर प्रारम्भ हुई। राज्य गवर्नमेंट के नोडल अधिकारी ने कहा कि बुधवार को आई रुकावट के बाद ड्रिलिंग में 1.8 मीटर की प्रगति हुई। ऑगर मशीन के नीचे बने प्लेटफॉर्म में दरारें आने से ड्रिलिंग फिर रूकी।
24 नवंबर 2024
बाधाओं को दूर कर 25 टन वजनी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग फिर प्रारम्भ हुई। लेकिन, कुछ देर बाद फिर लोहे का सरिया सामने आने से ड्रिलिंग रुक गई।