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27 फरवरी को इंडिया गठबंधन का पहला चुनावी टेस्ट

INDIA Alliance First Poll Test In Uttar Pradesh on 27 February : यूपी में सपा और कांग्रेस पार्टी के बीच गठबंधन का पहला चुनावी टेस्ट आनें वाले 27 फरवरी को होने वाला है इसी दिन प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होगा बीजेपी की ओर से पूर्व सांसद संजय सेठ को आठवां प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद प्रत्याशियों की कुल संख्या 11 हो गई है, जिसके चलते चुनाव महत्वपूर्ण हो गया है

सपा-कांग्रेस का संख्या बल कैसा

राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों की नाव पार लगाने के लिए चुनावी ताकत जुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं उत्तर प्रदेश विधानसभा की वर्तमान क्षमता देखें तो हर प्रत्याशी को 37 विधायकों का समर्थन जुटाना होगा समाजवादी पार्टी ने जया बच्चन, रामजी लाल सुमन और आलोक रंजन के रूप में 3 उम्मीदवार उतारे हैं ऐसे में उसे 111 विधायकों के सपोर्ट की आवश्यकता होगी लेकिन उसके पास कुल 110 विधायकों का समर्थन है, जिनमें 2 कांग्रेस पार्टी के हैं

इसके अतिरिक्त समाजवादी पार्टी के दो विधायक इरफान सोलंकी और रमाकांत यादव आपराधिक मामलों में कारावास में बंद हैं वहीं, पार्टी की एक और विधायक पल्लवी पटेल घोषणा कर चुकी हैं कि वह समाजवादी पार्टी के लिए वोट नहीं करेंगी उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पर पार्टी की पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फिलॉसफी को नजरअंदाज करने का इल्जाम लगाया है इस तरह से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के विधायक 107 हो जाते हैं जो महत्वपूर्ण संख्या से 4 कम हैं

भाजपा की स्थिति कितनी मजबूत

भाजपा की बात करें तो उसके नेतृत्व वाले एनडीए को अपने आठों प्रत्याशी राज्यसभा भेजने के लिए 296 विधायकों का सपोर्ट चाहिए होगा हालांकि, उसके पास वर्तमान में 277 विधायकों का समर्थन ही है इनमें से बीजेपी के 252, अपना दल के 13, सुभासपा के 6 और निषाद पार्टी के 6 विधायक हैं सुभासपा के अब्बास अंसारी इस समय कारावास में हैं रालोद के 9 विधायक भी जोड़ लें तो एनडीए के सहयोगी विधायकों की संख्या 286 हो जाती है

राजा भैया का सपोर्ट किसे मिलेगा

यह चर्चा भी चल रही है कि बीएसपी विधायक उमाशंकर सिंह शायद वोटिंग में हिस्सा न लें ऐसे में फोकस जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर चला जाता है उनके दो विधायक हैं, जिनमें एक स्वयं राजा भैया और दूसरे बाबागंज से विनोद सरोज हैं सूत्रों का बोलना है कि समाजवादी पार्टी और बीजेपी ने राजा भैया का समर्थन पाने के लिए हाथ-पैर मारने प्रारम्भ कर दिए हैं हालांकि, आखिरी तस्वीर कैसी होगी यह तो समय ही बताएगा

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