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‘पांच साल में 47% लोगों ने लौटाई जीवन बीमा पॉलिसी’:कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर लिखा कि ‘पांच वर्ष में 47% लोगों ने लौटाई जीवन बीमा पॉलिसी’. ये मोदी गवर्नमेंट में बेलगाम महंगाई और मुनाफाखोरी का नतीजा है कि लोग ‘जीवन बीमा’ जैसी महत्वपूर्ण सुविधा का खर्च भी नहीं उठा पा रहे हैं.

विपक्ष एक बार फिर महंगाई को लेकर मोदी गवर्नमेंट पर निशाना साध रहा है. कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी (आप) नेता हाल ही में एसबीआई (एसबीआई) जीवन बीमा सर्वेक्षण का उत्तर दे रहे हैं जिसमें बोला गया है कि इसके 43% उपभोक्ता अब मौजूदा आर्थिक माहौल में मुद्रास्फीति को अपनी जरूरी चिंता मानते हैं. विपक्ष एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के सर्वेक्षण परिणामों का हवाला दे रहा है जिसमें यह भी पता चला है कि “पिछले पांच सालों के भीतर 47% कंज़्यूमरों ने अपनी पॉलिसियों को सरेंडर कर दिया था या नवीनीकृत नहीं किया था.कांग्रेस पार्टी ने तो स्पष्ट रूप से बोला है कि यह मोदी गवर्नमेंट में बेलगाम महंगाई और मुनाफाखोरी का नतीजा है.

कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा कि ‘पांच वर्ष में 47% लोगों ने लौटाई जीवन बीमा पॉलिसी’. ये मोदी गवर्नमेंट में बेलगाम महंगाई और मुनाफाखोरी का नतीजा है कि लोग ‘जीवन बीमा’ जैसी महत्वपूर्ण सुविधा का खर्च भी नहीं उठा पा रहे हैं. इसके साथ ही उसने लिखा कि ‘अच्छे दिन’ का सपना दिखाकर पीएम मोदी ने अपने ही देशवासियों का भविष्य दांव पर लगा दिया है. आज महंगाई से हर मोर्चे पर लड़ रहे करोड़ों लोग एक आवाज में पूछ रहे हैं- मोदी जी, क्या यही है वो अमृतकाल? वहीं, कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी गवर्नमेंट पर निशाना साधते हुए बोला कि लूट की कोई नहीं सीमा, महँगाई ने छीना जीवन बीमा! उन्होंने बोला कि मोदी गवर्नमेंट की मुनाफ़ाख़ोरी की नीति के चलते एक आम परिवार का घर चलाना कठिन हो चला है.

खड़गे ने आगे लिखा कि जानलेवा महँगाई का रिज़ल्ट यह है कि आवश्यक जीवन बीमा भी लोग सरेंडर करने पर विवश हो गये हैं. पिछले 5 वर्षों में 47% लोगों ने जीवन बीमा पॉलिसी लौटा दी है. यदि ये है जनता की जेब का हाल, तो नहीं चाहिए ऐसा अमृत काल! जयराम रमेश ने गवर्नमेंट पर धावा करते हुए बोला कि महंगाई अनियंत्रित हो चुकी है. खाने पीने से लेकर शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर ख़र्च में बढ़ोतरी से देशवासी परेशान हैं. दवाई से लेकर पढ़ाई तक सब कुछ महंगा हो गया है. महंगाई से सबसे ज़्यादा परेशान आम और ग़रीब लोग हैं, क्योंकि उनकी आय नहीं बढ़ रही है. पीएम मोदी के अमृत काल में केवल उनके कुछ पूँजीपति मित्रों की संपत्ति बढ़ती जा रही है.

आप नेता राघव चड्ढा ने कहा, “दिसंबर 2022 में, मैंने संसद में महंगाई का गंभीर मुद्दा उठाया था. 10 महीने बाद, लोगों के जीवन पर बढ़ती महंगाई का असर और अधिक साफ हो गया है, जैसा कि एक सर्वेक्षण के नतीजों से पता चलता है.” उन्होंने टिप्पणी की, “भाजपा गवर्नमेंट की उदासीनता माइकल जैक्सन की ‘उन्हें वास्तव में हमारी परवाह नहीं है’ की याद दिलाती है.” जून 2023 में आयोजित सर्वेक्षण में हिंदुस्तान के 41 शहरों के 5,000 उत्तरदाताओं को शामिल किया गया था. इससे पता चला कि 36% उत्तरदाता बढ़ती चिकित्सा लागत के बारे में चिंतित हैं, 35% शिक्षा की बढ़ती लागत के बारे में, 27% संभावित मंदी और उसके असर के बारे में, 24% खराब मानसिक और 24% शारीरिक स्वास्थ्य स्थिति के अलावा, जॉब छूटने और जीवन/स्वास्थ्य बीमा की अपर्याप्तता के बारे में चिंतित हैं.

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