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वाराणसी-कोलकाता कॉरिडोर के लिए जल्द किया जाएगा अधिग्रहण

केंद्र के साथ इस परियोजना की चर्चा में, राज्य ने शर्त लगाई कि वाराणसी-कोलकाता सड़क बुनियादी ढांचे को जोका-नामखाना में राष्ट्रीय राजमार्ग 117 तक ले जाया जाना चाहिए इससे हुगली नदी पर एक नया पुल भी बनेगा जानकारी के मुताबिक केंद्र ने राज्य गवर्नमेंट के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है

राज्य प्रशासन के शीर्ष अधिकारी वाराणसी-कोलकाता कॉरिडोर परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण में एक्टिव हैं हालांकि इस परियोजना में भूमि अधिग्रहण में कुछ देरी हुई है प्रशासन के शीर्ष अधिकारी वाराणसी-कोलकाता वित्तीय एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए राज्य में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी लाने में जुट गए है

संबंधित सूत्रों के मुताबिक नवान्न के उच्चतम स्तर से छह जिलों को भूमि अधिग्रहण के मुद्दे में कार्रवाई करने का आदेश दिया जा चुका है क्योंकि, वह सड़क इस राज्य के पुरुलिया, बांकुरा, पश्चिम मेदिनीपुर, हुगली, हावड़ा और दक्षिण 24 परगना से होकर गुजरेगी आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना को 2021 के अंत तक प्रारम्भ किया गया था यह मार्ग यूपी के वाराणसी से बिहार, झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगा जानकारी के अनुसार अन्य राज्यों में जहां भूमि अधिग्रहण का काम पूरा होने वाला है, वहीं इस राज्य में यह पिछड़ रहा है

हाल ही में, नवान्न उच्चतम न्यायालय द्वारा संबंधित जिला प्रशासन को केंद्रीय भूमि अधिग्रहण अधिनियम के मुताबिक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारम्भ करने का निर्देश दिया गया है केंद्र ने इस प्रोजेक्ट को 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है जिले के एक अधिकारी ने कहा, ”जल्द ही अधिग्रहण का आदेश दिया जाएगा

प्रशासनिक पर्यवेक्षकों का बोलना है कि राज्य में भूमि अधिग्रहण एक बड़ी परेशानी है सड़क बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए केंद्र की एक शर्त यह है कि राज्य को भूमि का अधिग्रहण सुचारू रूप से करना होगा बता दें कि भूमि आंदोलन के जरिए सत्ता में आई तृणमूल गवर्नमेंट की एक नीति यह थी कि जमीन का जबरन अधिग्रहण नहीं किया जाएगा अधिग्रहण करने के लिए लोगों से बात कर उनकी सहमति के बाद अधिग्रहण होगा मगर इसमें कई परेशानियां आई ऐसे में कई सड़क परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करना कठिन था इसका सबसे बड़ा उदाहरण है करीब 456 किमी लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 34 (उत्तरी बंगाल में दालखोला तक) है लंबे समय से यह परियोजना जमीन की परेशानी से जूझ रही है जमीन अधिग्रहण में आ रही परेशानी के कारण ही बारासात के संतोषपुर से नदिया के बाराजागुली तक करीब 17 किमी में जमीन की परेशानी के कारण सड़क को फोरलेन नहीं बनाया जा सका है

कुछ प्रशासनिक ऑफिसरों का दावा है कि पिछले कुछ सालों से जमीन अधिग्रहण को लेकर गवर्नमेंट सकारात्मक कदम उठा रही है इसका मुख्य कारण सड़क निर्माण और विस्तार क्षेत्र के लिए आवंटन 2018-19 में 153 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 2306 करोड़ रुपये हो गया है रखरखाव क्षेत्र के लिए आवंटन भी लगभग दोगुना हो गया है ऐसे में नवान्न कलकत्ता-वाराणसी रोड इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी बड़ी परियोजनाओं में जमीन के प्रश्न पर और कोई उलझन नहीं चाहते

प्रशासन के एक अधिकारी के शब्दों में, ”उस परियोजना से खड़गपुर-मोर्ग्राम, रोक्सुल-हल्दिया और गोरखपुर-सिलीगुड़ी जैसे वित्तीय गलियारे और एक्सप्रेसवे बनाए जाएंगे इसके साथ ही राज्य में तीन वित्तीय गलियारे-रघुनाथपुर-दानकुनी, दानकुनी-ताजपुर और दानकुनी-कल्याणी- योजना चरण में हैं यह संपूर्ण बुनियादी ढांचा निवेश और उद्योग के लिहाज से सहायक होगा, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार की आसार भी बढ़ेगी ये परियोजना राज्य के आर्थिक विकास के लिए बहुत जरूरी हैं

सूत्रों के मुताबिक, वाराणसी-कोलकाता, खड़गपुर-मोर्ग्राम और रॉक्सुल-हल्दिया एक्सप्रेसवे पश्चिम मेदिनीपुर में रामजीवनपुर के पास बंद रहेंगे प्रशासन का दावा है कि इसके परिणामस्वरूप संबंधित स्थानों का बुनियादी ढांचा और महत्व कई गुना बढ़ जाएगा क्योंकि, एक तरफ नवान्न ने ताजपुर में गहरे समुद्र में बंदरगाह बनाने की जिम्मेदारी अडानी पर है दूसरी ओर, गवर्नमेंट ने जंगलसुंदरी नामक एक औद्योगिक परियोजना की भी योजना बनाई है ऐसे में ये सड़क संचार के मुद्दे में सहायक होगी

केंद्र के साथ इस परियोजना की चर्चा में, राज्य ने शर्त लगाई कि वाराणसी-कोलकाता सड़क बुनियादी ढांचे को जोका-नामखाना में राष्ट्रीय राजमार्ग 117 तक ले जाया जाना चाहिए इससे हुगली नदी पर एक नया पुल भी बनेगा जानकारी के मुताबिक केंद्र ने राज्य गवर्नमेंट के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है इससे कोलकाता और बाकी जिलों के बीच परिवहन के मुद्दे में स्थायी फायदा प्रदान मिलेगा वहीं माल परिवहन की लागत भी घटेगी प्रशासनिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, इस बुनियादी ढांचे की लागत पूरी तरह से केंद्र द्वारा वहन की जानी चाहिए जो राज्य की मौजूदा वित्तीय स्थिति में लाभ वाला है परिणामस्वरूप, परियोजना का भूमि-लॉक में फंसना एकदम भी वांछनीय नहीं था

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