देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) हुआ लागू, जानें किसे होगा फायदा…
नई दिल्ली. राष्ट्र में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) अब लागू हो गया है. वर्ष 2019 में संसद के दोनों सदनों के द्वारा पास किए गए इस कानून के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है. इस कानून के पास होने के साथ वर्ष 2019-20 में राष्ट्र में काफी विरोध प्रदर्शन भी हुए थे. ऐसे में मन में प्रश्न उठना लाजमी है कि आखिर यह सीएए क्या है. इस कानून के पास होने के बाद क्या कुछ बदलने वाला है. आइये हम आपको इसके बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते हैं.
नागरिकता संशोधन कानून क्या है?
सबसे पहले यह स्पष्ट कर दिया जाए कि यह कानून हिंदुस्तान के किसी नागरिक को उसकी नागरिकता से वंचित नहीं करता है और न ही यह किसी को नागरिकता देता है. यह कानून किसी भारतीय के लिए है ही नहीं.
किसे मिलेगा नागरिकता संशोधन कानून से फायदा?
दरअसल, यह कानून उन विदेशी लोगों के लिए है जो हिंदुस्तान की नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं. कोई भी आदमी जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय से है वो इस कानून के अनुसार हिंदुस्तान की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है. यह गौर करने वाली बात यह है कि यह कानून सिर्फ़ अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाक में रह रहे उक्त धर्म के अल्पसंख्यकों को हिंदुस्तान की नागरिकता देने से जुड़ा है.
किन लोगों को मिलेगी हिंदुस्तान की नागरिकता?
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे वहां के अल्पसंख्यक जो हिंदुस्तान में 31 दिसंबर, 2014 को या इससे पहले प्रवेश कर गए हैं उन्हें नागरिकता दी जानी है. इसमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्हें केंद्र गवर्नमेंट द्वारा या पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 की धारा 3 की उपधारा (2) के खंड (स) या विदेशी अधिनियम, 1946 के प्रावधानों के आवेदन या उसके भीतर किसी नियम या आदेश के अनुसार छूट दी गई हो.
क्या है कानून का मकसद?
इस कानून को लाने का मकसद हिंदुस्तान के पड़ोसी राष्ट्रों में रह रहे गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करना है. पड़ोसी राष्ट्रों में अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति को देखते हुए यह कानून केंद्र गवर्नमेंट लेकर आई थी, जिसके पास होने के बाद अब अधिसूचन जारी की जा रही है.
क्या ये कानून मुस्लिमों के विरुद्ध है?
भारत गवर्नमेंट का बोलना है कि ये कानून मुसलमान विरोधी नहीं है. जो भी हिंदुस्तान में है क्योंकि वो अत्याचार के चलते आया है उसे वापस उसी स्थान भेजा जाएगा. इसका मतलब ये नहीं माना जाना चाहिए कि वो कभी यहां नागरिकता के योग्य होंगे. वो लोग जिनके अत्याचार स्थायी हैं, उन्हें सुरक्षा दी जाएगी. हमारी नीति गैर समावेश की जारी रहेगी. यदि चीजें अगले 50 वर्षों में शरणार्थियों के लिए बेहतर नहीं होंती तो हमें अतिरिक्त तदर्थ संविधान के कानून की तरह उनकी सुरक्षा को बढ़ाने की आवश्यकता होगी. लेकिन अभी ये इस गवर्नमेंट की नीति नहीं है.