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सरकार ने LPG, पेट्रोल, डीजल सस्ता करने के बाद किया एक और काम

लोकसभा चुनाव में महंगाई की दाल गलने न पाए इसके लिए गवर्नमेंट अंधाधुन्ध कई तरीका कर चुकी है. एलपीजी सिलेंडर की मूल्य कम हुई. पेट्रोल-डीजल के मूल्य घटे और अब दालों के मूल्य बढ़ने न पाए इसके लिए गवर्नमेंट ने एक और तरीका किया है. केंद्र गवर्नमेंट ने बफर स्टॉक के लिए किसानों से सीधे छह लाख टन खरीदने की योजना बनाई है. इसमें चार लाख टन कच्ची अरहर दाल और दो लाख टन मसूर दाल शामिल है. मुद्दे से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी.

अभी किस रेट पर बिक रही दालें: उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के अनुसार 17 मार्च को राष्ट्र में अरहर दाल की औसत मूल्य 150.22 रुपये प्रति किलो है. सबसे अधिक 199 रुपये और सबसे कम 87 रुपये किलो है. चना दाल की औसत मूल्य 82.96 रुपये थी तो अधिकतम मूल्य 140, न्यूनतम मूल्य 60 रुपये प्रति किलो है.

उड़द दाल का दर 123.72 रुपये प्रति किलो रहा. सबसे महंगा 174 रुपये और सबसे सस्ता 68 रुपये किलो था. उड़द दाल का मॉडल प्राइस 120 रुपये है. इसी तरह मूंग दाल 117.36 रुपये प्रति किलो के औसत दर से बिका. इसका अधिकतम मूल्य 166 और न्यूनतम 89 रुपये रहा. मसूर दाल की औसत मूल्य 93.63 रुपये प्रति किलो रही. 17 मार्च को सबसे सस्ता मसूर दाल 70 और सबसे महंगा 157 रुपये प्रति किलो के दर से बिका.

8,000 टन खरीदा अरहर, अब मसूर की बारी

अधिकारी ने कहा बफर स्टॉक को बढ़ावा देने के लिए न्यूनतम सुनिश्चित खरीद मूल्य (MAPP) अथवा बफर खरीद मूल्य (DBPP) पर यह खरीद की जाएगी. इन दोनों दालों को सरकारी एजेंसियों नेफेड और एसीसीएफ द्वारा सीधे पहले से दर्ज़ किसानों से खरीदा जाएगा. अरहर की खरीद जनवरी में प्रारम्भ हुई और अब तक दोनों एजेंसियों ने लगभग 8,000 टन की खरीद की है. मसूर की खरीद इसी महीने प्रारम्भ होने वाली है.

इसलिए कवायद: गौरतलब है कि अरहर सहित कुछ दालों के कम उत्पादन के कारण बाजार में कीमतें तेज हुई हैं. लोगों को इससे राहत देने के लिए गवर्नमेंट बफर स्टॉक बढ़ा रही है. इससे दालों की कीमतों पर काबू पाया जा सकेगा.

केंद्रीय पोर्टल के जरिए होगी खरीद: गौरतलब है कि केंद्र गवर्नमेंट ने हाल ही में अरहर दाल खरीद के लिए नए पोर्टल ( ) की आरंभ की है. दाल खरीद के इस नए मंच पर किसान पंजीकरण करा सकते हैं और अपनी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य या बाजार मूल्य पर एनएएफईईडी और एनसीसीएफ को बेच सकते हैं. दाल की खरीद होते ही नेफेड और एनसीसीएफ किसानों के खाते में औनलाइन पैसे जमा करा सकेंगी. इससे पूरी खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता रहेगी.

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