राष्ट्रीय

अनूपगढ़ एक ही परिवार के 5 लोगों की दर्दनाक मौत

राजस्थान के अनूपगढ़ जिले के निवासी एक परिवार की सड़क हादसे में भयावह मृत्यु हो गई पंजाब के मोगा जिले के बुट्टर कलां के पास कार पर डंपर पलट जाने के कारण एक ही परिवार के चार लोगों की भयावह मृत्यु शुक्रवार को हो गई थी आज रविवार को पांच के मृतशरीर जब एक साथ रामसिंहपुर पहुंचा तो चीख पुकार मच गई

एक ही परिवार के पांच लोगों की भयावह मौत

जब रतनसिंह के दोनो बेटे सोहवत और कर्मजीत सिंह तथा उनकी पत्नियों लवप्रीत कौर और मनप्रीत कौर के मृतशरीर एक साथ चार एंबुलेंस में घर पहुंचे तो पिता रतन सिंह,दादा त्रिलोचन सिंह,मां दलबीर कौर और तीन बहनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया बहने तो मृतशरीर को देखते ही बेहोश हो गई और वहीं करमजीत सिंह और मनप्रीत कौर 5 वर्ष की बेटी नवनीत कौर यह सब देखकर शान्त रहकर आंखों ही आंखों से कई प्रश्न पूछ रही थी

गमगीन माहौल में शवों को एंबुलेंस से नीचे नहीं उतारा गया और एंबुलेंस में ही आखिरी दर्शन करवाने के बाद रामसिंहपुर मंडी की कल्याण भूमि में चारों शवों का एक साथ आखिरी संस्कार किया गया एक ही परिवार के चार सदस्यों की हुई मृत्यु की आखिरी यात्रा में रामसिंहपुर मंडी सहित आसपास क्षेत्र के भी काफी संख्या में लोग शमिला हुए और इस भयावह हादसे से सबकी आंखे नम थी

एक साथ 4 एम्बुलेंस में पहुंचे पांच शव

इस भयंकर सड़क हादसे में 2 सगे भाइयों और उनकी पत्नियों की भयावह मृत्यु हो चुकी थी शनिवार को मोगा जिले में चारों शवों का पोस्टमार्टम करवाया गया और आज सुबह लगभग 10:20 पर चारों मृतशरीर एक साथ चार एम्बुलेंसों में रामसिंहपुर पहुंचे सबसे पहले छोटे बेटे सोहावत,उसके बाद उसकी पत्नी लवप्रीत कौर फिर बड़े बेटे करमजीत और सबसे अंत में करमजीत की पत्नी मनप्रीत कौर के मृतशरीर की एम्बुलेंस घर के बाहर पहुंची

जैसे ही चारों के मृतशरीर रामसिंहपुर में मृतकों के घर के सामने पहुंचे उसी समय मृतकों के घर और गली में त्राहिमांम मच गया मृतकों के परिजन एक दूसरे को ढांढस देने का कोशिश कर रहे थे मगर वह स्वयं भी अपने आप को हौसला नहीं दे पा रहे थे

एंबुलेंस में ही करवाए गए आखिरी दर्शन

परिजनों की हालत देखकर परिजनों के करीबियों ने फैसला लिया कि शवों को एंबुलेंस से नीचे नहीं उतारा जाए और एंबुलेंस में ही आखिरी दर्शन करवाये जाए

जैसे ही आखिरी दर्शन के लिए सभी एंबुलेंस की खिड़कियां खोली गई उसी दौरान विशाल त्राहिमांम मच गया और आखिरी दर्शन में शामिल हुए सभी लोग त्राहिमांम मचाते हुए मृतकों के आखिरी दर्शन कर रहे थे परिजन और करीबी लोग मृतकों के माता-पिता और दादा और बहनों को ढाढस देने का कोशिश कर रहे थे मगर सभी कोशिश असफल साबित हो रहे थे

भाई के मृतशरीर को देखते ही बहनें हुई बेहोश

मृतक करमजीत सिंह और सोहावत की तीन बड़ी बहनें हैं बहने बार-बार कभी अपने भाई के शवों को देखती और कभी अपनी भाभियों के शवों को देखती तीनों बहनें अपने भाईयों और भाभियों को बार-बार उठने के लिए कह रही थी मगर वे चारों तो हमेशा के लिए सो चुके थे

बड़ी बहन ईशान,मंझली रानी,छोटी बहन बब्बी ने जब अपने भाई और भाभियों के शवों को देखा तो बहाने बेहोश हो गईमौके पर उपस्थित संबंधियों और लोगों ने उन्हें उठाकर अंदर ले गए और मौके पर ही चिकित्सक को बुलाकर उनका उपचार प्रारम्भ करवाया

दोनों बहुएं अपनी सास को ये बातें बोल कर गई थी

दलबीर कौर के दोनों बेटे अपनी पत्नियों के साथ एक शादी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गए थे दलबीर कौर ने जब अपनी बहुओं के मृतशरीर देखे तो उसने रोते हुए बोला कि-तुम दोनों तो मुझे कह कर गई थी कि केवल खाना बना लेना और घर का काम रहने देना

घर के काम की चिंता मत करना मगर तुमने यह क्या किया… तुम स्वयं ही लौटकर नहीं आई जिसने भी दलबीर कौर के मुंह से यह बात सुनी वह अपनी रुलाई नहीं रोक पाया

बूढ़े दादा और बाप के नहीं रुक रहे थे आंसू

मृतकों के दादा त्रिलोचन सिंह और बाप रतन सिंह की आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे दोनों बार-बार अपने बेटों और बहुओं को पुकार रहे थे रतन सिंह ने अपने बेटों और बहूओ के शवों को देखते हुए बोला कि उसका सब कुछ समाप्त हो गया है अब वह भी जीकर क्या करेगा

एक साथ पांच अर्थियां निकली घर से

बूढ़े मां-बाप के लिए इससे बड़ा बुरा दिन और क्या होगा कि जब उनके सामने ही चार-चार अर्थिया उनके घर से निकल रही होआज आखिरी दर्शन के बाद लगभग 12:30 बजे एंबुलेंस में ही चारों अर्थिया घर से निकली और घर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कल्याण भूमि पहुंची चारों की आखिरी यात्रा में सैंकड़ो की संख्या में लोग शामिल हुए और प्रत्येक आदमी की आंखें नम थी

एक साथ चारों का किया आखिरी संस्कार

रामसिंहपुर मंडी के कल्याण भूमि में एक साथ चारों मृतकों के लिए चिता बनाई गई और दोनों भाइयों और उनकी पत्नियों के शवों को चिता पर रखा गयासोहावत के साले नवदीप सिंह ने सबसे पहले अपनी बहन की चिता को मुखाग्नि दीउसके बाद अपने बहनोई सोहावत की चिता को मुखाग्नि दी उसके बाद मनप्रीत कौर के भाइयों मनजीत सिंह और जसपाल सिंह ने अपनी बहन की चिता को मुखाग्नि दी वहीं करमजीत सिंह को लवप्रीत कौर के चाचा बलविंदर सिंह ने मुखाग्नि दी

5 वर्षीय बेटी सन्नाटा से देख रही थी ये सब

जब चारों शवों का आखिरी संस्कार किया जा रहा था तो उस समय करमजीत सिंह और मनप्रीत कौर की 5 वर्ष की बेटी नवनीत कौर अपने चचेरे चाचा की गोदी में थी और यह सब देख रही थी नवनीत एकदम शान्त थी उसे ऐसा लग रहा था कि अभी उसके माता-पिता और चाचा चाचा इन चिताओं से उठेंगे और उसे गोद में ले लेंगे मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था

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