शिवसेना के मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार पर किया हमला
सामना में केंद्र गवर्नमेंट पर हमला
रिपोर्ट का हवाला देते हुए सामना में कहा गया कि नौकरीपेशा लोगों की तनख्वाह में भी कमी आई है। ऐसी ज्वलंत सच्चाई इस रिपोर्ट में पेश की गई है। सामना में रिपोर्ट के हवाले से लिखा गया, ‘मोदी गवर्नमेंट और उनके समर्थकों की आंख में अंजन लगानेवाली यह सच्चाई है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष नौकरियों का प्रमाण में लगभग 17.5 प्रतिशत कम हुआ है। मोदी गवर्नमेंट का दावा कुछ भी हो लेकिन इस वर्ष सिर्फ़ 6.6 करोड़ जितने ही नए रोजगार निर्माण हुए हैं, रिपोर्ट से ऐसा साफ हुआ है। पिछले साल 8.8 करोड़ नए रोजगार निर्माण हुए थे। इसका अर्थ यह है कि इसमें इस बार लगभग 2 करोड़ जितनी भारी गिरावट आई है।’
बेरोजगारी रेट में हुई वृद्धि
सामना में रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा गया है कि मोदी गवर्नमेंट के औद्योगिक विकास के दावों को झूठा साबित करने वाले ये आकड़े हैं। 25 वर्ष से कम उम्र के डिग्री धारकों को दर-दर भटकने के बाद भी जॉब नहीं मिल रही है। उनके बेरोजगारी की रेट अब लगभग 42.3 प्रतिशत के पार पहुंच गई है। इससे कम शिक्षिक्ष बेरोजगारों का प्रमाण भी 8 प्रतिशत है। ऐसा भी देखने को मिला है। अर्थात डिग्री और उससे कम शिक्षित लगभग 50 प्रतिशत युवा आज बेरोजगारी के दावानल में जल रहे हैं और इस जलने को रोकने की बजाय अनाप-शनाप दावे करके उनके जख्मों पर नमक मलने का काम सत्ताधारी कर रहे हैं।