राष्ट्रीय

शिवसेना के मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार पर किया हमला

शिवसेना (उद्धव गुट) के मुखपत्र सामना में केंद्र गवर्नमेंट पर धावा किया गया है सामना में प्रकाशित संपादकीय में लिखा गया है कि सता पक्ष द्वारा ढोल पीटा जाता रहा है कि राष्ट्र में मोदी गवर्नमेंट के नेतृत्व में चौतरफा विकास हो रहा है इसलिए कोविड-19 महामारी के बाद भी रोजगार निर्माण और औद्योगिक विकास को गति मिली है स्वयं पीएम मोदी हर स्थान ये दिखा रहे हैं कि हिंदुस्तान वर्ष 2047 तक पांच ट्रिलियन $ की अर्थव्यवस्था बन जाएगा लेकिन एक रिपोर्ट ने इन दावों को झांसा साबित कर दिया है सामना ने ‘फ्रंट लाइन वर्क फोर्स मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म बेटर प्लेस’ रिपोर्ट का हवाला देते हुए बोला कि वर्ष 2023 में राष्ट्र में नयी नौकरियों का प्रमाण घटा है और बोरोजगारी में गौरतलब वृद्धि हुई है

सामना में केंद्र गवर्नमेंट पर हमला

रिपोर्ट का हवाला देते हुए सामना में कहा गया कि नौकरीपेशा लोगों की तनख्वाह में भी कमी आई है ऐसी ज्वलंत सच्चाई इस रिपोर्ट में पेश की गई है सामना में रिपोर्ट के हवाले से लिखा गया, ‘मोदी गवर्नमेंट और उनके समर्थकों की आंख में अंजन लगानेवाली यह सच्चाई है पिछले साल की तुलना में इस वर्ष नौकरियों का प्रमाण में लगभग 17.5 प्रतिशत कम हुआ है मोदी गवर्नमेंट का दावा कुछ भी हो लेकिन इस वर्ष सिर्फ़ 6.6 करोड़ जितने ही नए रोजगार निर्माण हुए हैं, रिपोर्ट से ऐसा साफ हुआ है पिछले साल 8.8 करोड़ नए रोजगार निर्माण हुए थे इसका अर्थ यह है कि इसमें इस बार लगभग 2 करोड़ जितनी भारी गिरावट आई है

बेरोजगारी रेट में हुई वृद्धि

सामना में रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा गया है कि मोदी गवर्नमेंट के औद्योगिक विकास के दावों को झूठा साबित करने वाले ये आकड़े हैं 25 वर्ष से कम उम्र के डिग्री धारकों को दर-दर भटकने के बाद भी जॉब नहीं मिल रही है उनके बेरोजगारी की रेट अब लगभग 42.3 प्रतिशत के पार पहुंच गई है इससे कम शिक्षिक्ष बेरोजगारों का प्रमाण भी 8 प्रतिशत है ऐसा भी देखने को मिला है अर्थात डिग्री और उससे कम शिक्षित लगभग 50 प्रतिशत युवा आज बेरोजगारी के दावानल में जल रहे हैं और इस जलने को रोकने की बजाय अनाप-शनाप दावे करके उनके जख्मों पर नमक मलने का काम सत्ताधारी कर रहे हैं

 

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