जमीन कब्जाने के लिए सांठगांठ का मामला, HC के जज ने कही ऐसी बात…
Lord Hanuman as Party in Delhi HC: एक प्राइवेट जमीन पर बने मंदिर और उसमें पूजा करने के अधिकार का दावा करने वाली अपील पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान जस्टिस सी हरि शंकर ने बोला कि कभी सोचा नहीं था कि ईश्वर मेरे सामने वादी के रूप में होंगे। इसके साथ ही जस्टिस सी हरि शंकर ने याचिका लगाने वाले को फटकार लगाई और उस पर एक लाख रुपये के जुर्माना भी लगाया। दरअसल, शख्स ने ईश्वर हनुमान के मंदिर वाली एक निजी भूमि पर कब्जे के संबंध में एक याचिका में उन्हें भी सह-वादी बनाया है।
याचिका किसी अन्य पक्ष को भूमि के ट्रांसफर के संबंध में उनकी ‘आपत्ति याचिका’ को खारिज करने के निचली न्यायालय के आदेश के विरुद्ध अपील के रूप में दाखिल की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि वैसे संपत्ति पर एक सार्वजनिक मंदिर है, इसलिए जमीन ईश्वर हनुमान की है और अपीलकर्ता न्यायालय के समक्ष उनके निकट मित्र और उपासक के रूप में मौजूद है। इसे संपत्ति को ‘कब्जाने के इरादे से सांठगांठ’ का मुद्दा बताते हुए जस्टिस सी हरि शंकर ने अपील को खारिज कर दिया। उन्होंने निर्णय सुनाया कि अपीलकर्ता आदमी ने जमीन के मौजूदा कब्जाधारकों के साथ मिलीभगत की, ताकि एक अन्य पक्ष को मुकदमे के बाद दोबारा कब्जा हासिल करने से रोका जा सके।
जमीन पर ईश्वर हनुमान का मंदिर तो क्या वो वादी बन जाएंगे?
अदालत ने छह मई को पारित आदेश में कहा, ‘प्रतिवादियों (मौजूदा कब्जाधारकों) ने वादी (अन्य पक्ष) की जमीन पर कब्जा कर लिया। वादी ने कब्जा पाने के लिए केस दाखिल किया था। अंतत: प्रतिवादियों ने वादी से स्थान खाली करने के लिए 11 लाख रुपये मांगे। उन शर्तों पर निर्णय सुनाया गया। इसके बाद वादी ने वास्तव में छह लाख रुपये का भुगतान किया, लेकिन प्रतिवादियों ने फिर भी जमीन खाली नहीं की।‘
अदालत ने कहा, ‘वादी ने निष्पादन के लिए आवेदन किया। निष्पादन में, वर्तमान अपीलकर्ता, जो तीसरा पक्ष है, ने यह कहते हुए विरोध दर्ज की कि जमीन पर ईश्वर हनुमान का सार्वजनिक मंदिर है और इसलिए, वह भूमि ईश्वर हनुमान की है और वह ईश्वर हनुमान के निकट मित्र के रूप में उनके भलाई की रक्षा करने का हकदार है।‘
अदालत ने बोला कि जनता के पास निजी मंदिर में पूजा करने का अधिकार होने की कोई अवधारणा नहीं है, जब तक कि मंदिर का मालिक ऐसा अधिकार मौजूद नहीं कराता या समय बीतने के साथ निजी मंदिर सार्वजनिक मंदिर में परिवर्तित नहीं हो जाता।