Chandigarh प्रदेश में किसान तय करेंगे सियासत की दिशा
इस बार गेहूं की फसल ने (कुछ इलाकों को छोड़कर) किसानों को मालामाल कर दिया है। ऐसे में आशा है कि मालवा की जनता लोकतंत्र के महापर्व में अधिक से अधिक वोटिंग कर पिछला रिकॉर्ड जरूर तोड़ेगी।
अनुकूल मौसम के कारण इस बार मालवा क्षेत्र में गेहूं की बंपर पैदावार हुई है. पंजाब कृषि विभाग ने लंबी सर्दी के कारण इस बार राज्य में गेहूं का कुल उत्पादन 162 लाख टन होने का संभावना व्यक्त किया है। इन अनुमानों के आधार पर, राज्य खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग ने 132 लाख टन का खरीद लक्ष्य रखा है, लेकिन इस बार गेहूं का उत्पादन 182.57 लाख टन के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू सकता है.
हालाँकि कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में भारी बारिश हुई, लेकिन औसत फसल उपज में बीस फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई. नीलोवाल के किसान दर्शन सिंह, छाजली के दीदार सिंह और छाजला के दरबारा सिंह ने बोला कि गेहूं की गुणवत्ता भी अच्छी है और निजी खरीदार भी सरलता से गेहूं खरीद रहे हैं.
इस गेहूं सीजन में मालवा में खेती के हालात सुधरते नजर आ रहे हैं तो राजनीति का रुख भी सकारात्मक दिशा में जा सकता है. भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के प्रदेश अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने बोला कि राजनीति खेती की हालत खराब कर रही है। फिर कृषि और किसान राजनीति की दिशा बदलने से पीछे नहीं हटेंगे.
मतदान फीसदी बढ़ सकता है
चुनाव आयोग लगातार मतदाताओं को सतर्क कर अधिक से अधिक मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहा है। पहले दो चरणों में कम मतदान ने आयोग की चिंता बढ़ा दी है, लेकिन इस बार पंजाब में मतदान फीसदी बढ़ने की आशा है। संगरूर संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में केवल 45.3 प्रतिशत मतदान हुआ। यहां सबसे कम मतदान 1991 में हुआ था, जब राज्य उग्रवाद के दौर में था और सिर्फ़ 11% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. तब से हुए सात आम चुनावों और उप-चुनावों में मतदान फीसदी 62.5% से 77.2% तक रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान फीसदी 72.4% था.