राष्ट्रीय

Chhattisgarh : मोदी, शाह और योगी को क्यों करनी पड़ रही है इतनी मेहनत…

लगभग चार महीने पहले छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे दमदार प्रदर्शन करके सत्ता में आई बीजेपी इस बात के लिए हर संभव कोशिश कर रही है कि राज्य की सभी 11 संसदीय सीटों पर जीत हासिल की जाये. पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जिस तरह से राज्य में सघन चुनाव प्रचार कर रहे हैं उसका बड़ा असर यहां की सियासी स्थिति पर दिख रहा है. बीजेपी ने 2019 में छत्तीसगढ़ में 11 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की थी. उस समय राज्य में कांग्रेस पार्टी की गवर्नमेंट बनी थी. बीजेपी को लगता है कि जब उल्टा हालात में भी 9 सीटों पर जीत हासिल की जा सकती है तो इस समय तो अनुकूल परिस्थितियां हैं इसलिए 11 सीटों पर जीत का लक्ष्य हासिल करना कोई नामुमकिन बात नहीं है.

हम आपको बता दें कि राज्य में पहले चरण में नक्सल प्रभावित बस्तर संसदीय क्षेत्र में मतदान हो चुका है. अब 26 अप्रैल को तीन लोकसभा सीटों- राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर में चुनाव कराया जायेगा. आदिवासी बहुल राज्य में बीजेपी को आशा है कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाये जाने का असर यहां के मतदाताओं पर है. बीजेपी ने विष्णु देव साय के रूप में राज्य को पहला आदिवासी सीएम भी दिया है. बीजेपी इस बात को प्रचारित कर रही है कि अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में ही आदिवासी मामलों के लिए केंद्र में अलग मंत्रालय का गठन किया गया था. बीजेपी दावा कर रही है कि आदिवासियों का भला बीजेपी से बेहतर कोई नहीं कर सकता.

हमने अपनी चुनाव यात्रा के दौरान राज्य में दूसरे चरण की सीटों पर फोकस किया तो कुछ जरूरी बातें सामने आईं. जैसे महासमुंद, कांकेर और राजनांदगांव एक कृषि बेल्ट है इसलिए किसानों के मत यहां बहुत महत्व रखते हैं. महानदी बेसिन में धान मुख्य फसल है जबकि कांकेर के अनुसार आने वाले बालोद और राजनांदगांव का काफी क्षेत्र गन्ना बेल्ट भी हैं. राज्य की नयी बीजेपी गवर्नमेंट 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की रेट से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीद रही है. विष्णु देव साय की गवर्नमेंट ने बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में किए गए दो वादों को पूरा करते हुए, धान किसानों को लंबित बोनस भी हस्तांतरित कर दिया है. इसके अतिरिक्त महतारी वंदन योजना की दो किश्तों के पैसे भी जारी कर दिये गये हैं. इस सबका मतदाताओं पर गहरा असर दिख रहा है.

हमने यह भी पाया कि बीजेपी गवर्नमेंट जिस तरह उग्रवादियों के विरुद्ध बड़ा अभियान चला रही है उसका भी असर मतदाताओं पर दिख रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राज्य गवर्नमेंट के नक्सल विरोधी कड़े रुख को देखते हुए लोगों को इस बात का विश्वास है कि बीजेपी गवर्नमेंट उग्रवादियों के आतंक से पूरी तरह मुक्ति दिला सकती है. इसके अतिरिक्त बीजेपी की गवर्नमेंट बनते ही जिस तरह जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने के अभियान को झटका लगा है उससे भी लोग बहुत खुश दिखे.

दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी के वादों पर कोई विश्वास करने को तैयार नहीं है क्योंकि जिस तरह महादेव एप घोटाले की छाया पूर्व सीएम भूपेश बघेल पर पड़ी है उससे कांग्रेस पार्टी की छवि दागदार हो गयी है. यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनावों के दौरान किसानों को उनकी उपज का अधिक मूल्य देने और उनके ऋण की माफी का जो वादा किया था, उसके बावजूद पार्टी को वोट नहीं मिले थे और वह सत्ता से बाहर हो गयी थी. इसलिए अब कांग्रेस पार्टी ने अपनी रणनीति बदलते हुए बीजेपी पर यह इल्जाम लगाना प्रारम्भ किया है कि वह यदि सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी. कांग्रेस पार्टी के जो भी नेता यहां प्रचार के लिए आ रहे हैं वह यही दावा कर रहे हैं कि बीजेपी आदिवासी संस्कृति को हानि पहुँचाने के साथ ही आदिवासियों के अधिकारों में भी कटौती करेगी. कांग्रेस पार्टी बीजेपी के आला नेताओं के बार-बार राज्य के दौरे पर आने पर भी प्रश्न उठा रही है और दावा कर रही है कि पार्टी की खराब हालत के चलते आला नेताओं को छत्तीसगढ़ के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. वहीं इस मामले पर बीजेपी का बोलना है कि उसकी रणनीति हमेशा यही रहती है कि ग्राम पंचायत से लेकर राष्ट्र की सबसे बड़ी पंचायत यानि संसद तक का हर चुनाव वह पूरी मजबूती के साथ और जीत हासिल करने के उद्देश्य से ही लड़ती है और इस काम में पार्टी के बड़े से लेकर छोटे नेता और कार्यकर्ता तक जुटते हैं.

Related Articles

Back to top button