‘कांग्रेस के नेता मुझे बलि का बकरा बना रहे’, बीजेपी नेता अशोक चव्हाण का हमला
मुंबई: भाजपा सांसद अशोक चव्हाण ने शुक्रवार को महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी में अपने पूर्व सहयोगियों पर अपने सहयोगियों के साथ सीट-बंटवारे समझौते में जरूरी सीटें नहीं मिलने के लिए उन्हें गुनेहगार ठहराने पर कटाक्ष किया. चव्हाण, जो हाल ही में कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद बीजेपी में शामिल हो गए, ने सीट-बंटवारे की विफल वार्ता के लिए राज्य कांग्रेस पार्टी नेताओं को उनकी “कूटनीति और व्यावसायिक कौशल की कमी” के लिए उत्तरदायी ठहराया.
महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी और उसके महा विकास अघाड़ी सहयोगियों – शिवसेना (UBT) और NCP (शरदचंद्र पवार) – के बीच आनें वाले लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे को लेकर मतभेद हैं. हालांकि सीट-बंटवारे पर कोई सहमति नहीं बन पाई है, लेकिन शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा गुट ने भिवंडी सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है और उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट ने सांगली से चंद्रहार पाटिल को उम्मीदवार बनाया है, जिससे कांग्रेस पार्टी नाराज हो गई है. विफल वार्ता के लिए उन्हें गुनेहगार ठहराने वाली कुछ रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, अशोक चव्हाण ने बोला कि उन्हें राज्य कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा “बलि का बकरा” बनाया जा रहा है क्योंकि वह अब पार्टी से जुड़े नहीं हैं.
उन्होंने बोला कि, “महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी के नेताओं में फैसला लेने की क्षमता नहीं है. वे मेरा नाम इसलिए कहते हैं क्योंकि वे किसी के बारे में बात करना चाहते हैं. उनके अनुसार, चव्हाण एक सरल लक्ष्य हैं. उन्हें लगता है कि वे अशोक चव्हाण के बारे में कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन इससे बात नहीं बनेगी. किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्होंने कहा, ”कांग्रेस नेता पदाधिकारियों, उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं के क्रोध का सामना नहीं कर सकते, इसलिए वे ध्यान भटकाने के लिए ये बयान दे रहे हैं.” चव्हाण ने बोला कि जब वह कांग्रेस पार्टी के साथ थे तो उन्होंने भिवंडी सीट नहीं छोड़ने का कड़ा रुख अपनाया था.
चव्हाण ने कहा, “यहां तक कि हिंगोली की सीट भी नहीं छोड़ी गई होगी. सांगली सीट छोड़ने का कोई प्रश्न ही नहीं था. मैं इन सीटों के लिए कोशिश कर रहा था. मैं इस बात पर बल दे रहा था कि कांग्रेस पार्टी को मुंबई में तीन सीटें मिलें.” उन्होंने बोला कि, “मूल रूप से, महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी में कूटनीति का अभाव है. उनके पास कोई व्यावसायिक कौशल नहीं है. वे इतने शिक्षित नहीं हैं कि अपने रैंक में अधिकतम जगह ले सकें. यह सब केवल बैठकों में बैठने और वार्ता करने, पांच सितारा होटलों में जाने और खाने का नतीजा है. महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी नेताओं को सीट बंटवारे में कोई दिलचस्पी नहीं है, यही वजह है कि उन्हें असफलता हाथ लगी है.”