राष्ट्रीय

5 बार के सांसद पप्पू से कांग्रेस को मिलेगा ऑक्सीजन

बाहुबली नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव कांग्रेस पार्टी में शामिल हो चुके हैं एक समय था जब पूर्णिया, कोसी प्रमंडल के साथ पूरे बिहार में पप्पू यादव का खौफ था वह एक बार विधायक और पांच बार सांसद रह चुके हैं बुधवार को दिल्ली में उन्होंने अपने पुत्र क्रिकेटर सार्थक यादव समेत कई लोगों के साथ कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली चर्चा है कि पप्पू यादव अब कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे 24 दिसंबर 1967 को मधेपुरा में जन्मे पप्पू यादव की पढ़ाई पूर्णिया से हुई है 1990 के दशक में पूर्णिया के जिला विद्यालय से लेकर कॉलेज तक विद्यार्थी जीवन में पप्पू यादव की छवि दबंग और बाहुबली की रही फिर वह राजनीति में आए और पहली बार 1990 में मधेपुरा के कुमारखंड से निर्दलीय विधायक बने इसके बाद पप्पू यादव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा वह लगातार राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते गए

5 बार के सांसद
वर्ष 1991 में पहली बार पूर्णिया लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और सांसद बने फिर 1996 में पूर्णिया लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की फिर 1998 में वह भाजपा प्रत्याशी जयकृष्णा मंडल से चुनाव हार गए इसके बाद फिर 1999 में पप्पू यादव पूर्णिया से ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव जीते

इसके बाद पप्पू यादव पूर्णिया से मधेपुरा चले गए और 2004 में राजद प्रत्याशी के रूप में मधेपुरा से चुनाव जीते फिर सजायाफ्ता होने की वजह से वह 2009 का चुनाव नहीं लड़ पाए 2010 में राजद ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया इसके बाद से राजद और पप्पू यादव की राहें अलग हो गईं 2013 में पटना उच्च न्यायालय ने उन्हें हत्याकांड में बरी कर दिया फिर वह राजद में लौट गए और 2014 के चुनावी मैदान में उतर गए 2014 में राजद के टिकट पर ही मधेपुरा से चुनाव जीते उस समय उन्होंने 50,000 वोटों के अंतर से जदयू प्रत्याशी शरद यादव को हराया था

अजीत गवर्नमेंट हत्याकांड
पूर्णिया में 14 जून 1998 को उस समय के चर्चित माकपा विधायक अजीत गवर्नमेंट की दिनदहाड़े सरेआम गोलियों से भूनकर मर्डर कर दी गई थी इस हत्याकांड का इल्जाम पप्पू यादव पर ही लगा था CBI जांच के बाद 2008 में पप्पू यादव को उम्रकैद की सजा हुई इसके बाद पप्पू यादव ने उच्च न्यायालय में अपील की 2013 में उच्च न्यायालय ने सबूत के अभाव में उन्हें बरी कर दिया कारावास से निकलने के बाद पप्पू यादव ने फिर 2014 में मधेपुरा से लोकसभा चुनाव लड़ा इसमें वह शरद यादव से जीत गए थे हालांकि 2019 में उन्हें जदयू प्रत्याशी दिनेश चंद्र यादव से हार का सामना करना पड़ा था 2020 के विधानसभा चुनाव में भी पप्पू यादव ने मधेपुरा से चुनाव लड़ा था लेकिन वह फिर हार गए अब 2024 लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पूर्णिया से लड़ने का दावा कर चुके हैं

पप्पू यादव की संपत्ति और उन पर केस
राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव के समय जो हलफनामा दिया था उसके अनुसार उनके पास 11.95 करोड़ की संपत्ति थी उस समय उनके ऊपर 31 केस दर्ज थे इसमें कई आपराधिक मुद्दे भी थे वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी संपत्ति 8.12 करोड़ थी हालांकि अब वह कई मुकदमों में बरी हो चुके हैं

सीमांचल की राजनीति पर असर
जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो के रूप में पप्पू यादव ने पूर्णिया, सीमांचल और कोसी की राजनीति में अलग पहचान बनाई है निश्चित रूप से पप्पू यादव के कांग्रेस पार्टी में आने से इसका असर सीमांचल और कोसी की राजनीति पर पड़ने वाला है एनडीए और इंडी गठबंधन दोनों के लिए सीमांचल की सीटें काफी जरूरी हैं पिछले चुनाव में एनडीए ने बिहार में 39 सीट हासिल किए लेकिन सीमांचल के किशनगंज की एक सीट कांग्रेस पार्टी के खाते में चली गई थी इस बार 2024 के चुनाव में एनडीए किशनगंज, सीमांचल समेत बिहार की सभी 40 सीटों पर जीत का दावा कर रही है वहीं पप्पू यादव का दावा है कि उनके आने से सीमांचल और कोसी की कई सीटों पर पार्टी को लाभ होगा

पप्पू की पत्नी भी हैं सांसद
पूर्व सांसद पप्पू यादव की पत्नी सांसद रंजीत रंजन कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं साथ ही वह छत्तीसगढ़ से वर्तमान में कांग्रेस पार्टी की राज्यसभा सांसद भी हैं इससे पहले 2014 के चुनाव में रंजीत रंजन सुपौल लोकसभा सीट से भी सांसद रह चुकी हैं इसका लाभ भी पप्पू यादव को मिलता दिख रहा है

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