चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक फैसला बताते हुए यूनियन ने कहा…
बैंक कर्मचारियों के एक ट्रेड यूनियन ने बुधवार को मांग की कि एसबीआई को चुनावी बॉन्ड योजना में शामिल नामों का चुनाव आयोग को खुलासा करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित समय सीमा का पालन करना चाहिए। एसबीआई ने सियासी दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक का समय बढ़ाने की मांग करते हुए सोमवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। पिछले महीने अपने निर्णय में न्यायालय ने बैंक को छह मार्च तक चुनाव पैनल को विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था
इस्तेमाल सत्तारूढ़ ताकतों के सियासी भलाई के लिए किया जा रहा है और बोला कि वह इसका विरोध करता है। उल्लेखनीय है कि बीईएफआई एक संघ है जिसमें वाणिज्यिक बैंकों भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों के कर्मचारी शामिल हैं।
चुनावी बॉन्ड पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय को ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए यूनियन ने बोला कि राष्ट्र ने देखा कि निर्णय के 17 दिन बाद एसबीआई ने मार्च की समय सीमा से केवल दो दिन पहले चार मार्च को उच्चतम न्यायालय में अपील की थी। लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में होने की आसार है। हालांकि चुनाव आयोग द्वारा कार्यक्रम की घोषणा की जानी बाकी है। यूनियन ने सचिव एस हरि राव द्वारा हस्ताक्षरित अपने बयान में बोला कि हिंदुस्तान के सबसे बड़े बैंक एसबीआई द्वारा कहा गया कारण यह है कि कुछ डेटा भौतिक रूप में सीलबंद कवर में इकट्ठा किया जाता है, जो डिजिटल युग में कई लोगों को आश्चर्यचकित करता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम न्यायालय ने 15 फरवरी को सियासी फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड योजना को यह कहते हुए रद्द करते हुए बोला यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है।
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