राष्ट्रीय

किसान विरोध: किसानों ने सरकार को दिया अल्टीमेटम

किसानों के आंदोलन के बीच गवर्नमेंट ने रविवार को चौथे चरण की वार्ता में किसानों को कुछ फसलों पर एमएसपी देने का प्रस्ताव रखा किसानों ने गवर्नमेंट के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया किसान संगठनों ने सोमवार देर शाम शंभू बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया और अपनी रणनीति बनाई किसानों ने बोला कि हमने किसान संगठनों के साथ बैठक कर गवर्नमेंट के प्रस्ताव पर चर्चा की गवर्नमेंट ने जो प्रस्ताव दिया है उसमें कोई दम नहीं है इस प्रस्ताव से किसानों को कोई लाभ नहीं होगा इसके साथ ही किसानों ने गवर्नमेंट को मंगलवार तक का अल्टीमेटम दिया है किसानों ने बोला है कि वे 21 फरवरी को दिल्ली कूच करेंगे

नहीं पड़ेगा कोई अतिरिक्त बोझ-
शंभू बॉर्डर पर किसानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोला कि हमने किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद गवर्नमेंट के प्रस्ताव पर निर्णय लिया है गवर्नमेंट के इस प्रस्ताव में ऐसा कुछ नहीं है ध्यान से देखें तो केंद्रीय मंत्री ने बोला कि यदि गवर्नमेंट एमएसपी की गारंटी दे तो डेढ़ लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च होंगे लेकिन संगठन के मुताबिक, यदि गवर्नमेंट सभी फसलों पर एमएसपी दे तो यह एक लाख 75 हजार करोड़ रुपये तक हो सकता है यदि गवर्नमेंट इतना पैसा लगाती है तो सभी फसलों पर एमएसपी देना चाहिए

किसान नेता जगजीतसिंह दल्लेवाल ने बोला कि हमारी गवर्नमेंट 1.75 लाख करोड़ रुपये का वनस्पति ऑयल बाहर से आयात कर रही है जो रोग का कारण बन रहा है यदि ये रुपये किसानों को एमएसपी देने में खर्च किए जाएं तो काम चल जाएगा यानी गवर्नमेंट पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा गवर्नमेंट ने यह भी बोला कि वे कुछ फसलों पर एमएसपी प्रदान करेंगे लेकिन इसकी कुछ सीमाएं भी हैं इन सब बातों से यह निष्कर्ष निकलता है कि किसानों को कोई लाभ नहीं है हमारी मांग है कि गवर्नमेंट 23 फसलों पर एमएसपी की घोषणा करे इन सभी तथ्यों पर विचार करते हुए हमने फैसला लिया है कि गवर्नमेंट का यह प्रस्ताव किसानों के भलाई में नहीं है और इसलिए हम इसे अस्वीकार करते हैं

नियत नयाम खोत की
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरवन सिंह पंधेर ने बोला कि हमने गवर्नमेंट के प्रस्ताव को पूरी तरह से समझ लिया है सरकारी दान में कमी है यदि उसका दान सही होता तो वह ऐसा न करता हमारा बोलना साफ है कि हम सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी चाहते हैं अब गवर्नमेंट को बताना होगा कि कर्जमाफी के मामले पर वह क्या निर्णय ले रही है दूसरा, गवर्नमेंट के मंत्री ने बैठक के लिए जो समय दिया था, वह उससे 3-4 घंटे देर से आती है इससे पता चलता है कि गवर्नमेंट किसानों को लेकर गंभीर नहीं है

21 फरवरी को दिल्ली मार्च
किसानों ने अपनी अगली रणनीति के बारे में बताते हुए बोला कि हम 21 फरवरी को रात 11 बजे दिल्ली में मार्च करेंगे हम गवर्नमेंट से हमारी सभी मांगें मानने की अपील करते हैं’ जबकि आप हमें बैरिकेड लगाकर रोक रहे हैं, हम भी इस राष्ट्र के नागरिक हैं, आइए शांति से आंदोलन करें अभी कोई और बैठक नहीं है हालाँकि, हम वार्ता के लिए हमेशा तैयार हैं किसान नेताओं ने किसानों से अपील करते हुए बोला कि हमें शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन करना है हम गवर्नमेंट से बोलना चाहेंगे कि हमारी मांगें मान ली जाएं या फिर हमें शांतिपूर्वक आंदोलन करने दिया जाए

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