Farmers Protest: किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को किया खारिज
Farmers Protest: किसान नेताओं और केंद्र गवर्नमेंट के बीच एक बार फिर से वार्ता विफल हो गई है। किसान नेताओं ने गवर्नमेंट के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दे दी गई है। किसान नेताओं ने कहा, एमएसपी गारंटी से नीचे कुछ भी मंजूर नहीं है।
21 फरवरी तक गवर्नमेंट नहीं मानी तो हरियाणा भी आंदोलन में शामिल होगा
किसान नेता गुरनाम सिंह चारुनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, गवर्नमेंट के पास 21 फरवरी तक का समय है। गवर्नमेंट को सोचना और समझना चाहिए कि तिलहन और बाजरा बहुत जरूरी हैं। जैसे उन्होंने दालों, मक्का और कपास का उल्लेख किया, उन्हें इन दोनों फसलों को भी शामिल करना चाहिए। यदि इन दोनों को शामिल नहीं किया गया तो हमें इस बारे में फिर से सोचना होगा। हमने निर्णय लिया कि यदि 21 फरवरी तक गवर्नमेंट नहीं मानी तो हरियाणा भी आंदोलन में शामिल होगा।
किसानों के साथ वार्ता के बाद तीन केंद्रीय मंत्रियों की एक समिति ने दाल, मक्का और कपास सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने के लिए पांच वर्षीय समझौते का प्रस्ताव रखा है। चंडीगढ़ में रविवार को मंत्रियों के साथ बैठक के बाद किसान नेताओं ने बोला था कि वे सोमवार और मंगलवार को अपने मंच पर गवर्नमेंट के प्रस्ताव को लेकर चर्चा करेंगे और उसके बाद आगे का निर्णय लेंगे।
कर्ज माफी और अन्य मांगों पर चर्चा लंबित है: किसान नेता जगजीत सिंह
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बोला कि एमएसपी पर कानून, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें और ऋण माफी जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। केंद्र के प्रस्ताव पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, ऋण माफी और अन्य मांगों पर चर्चा लंबित है और आशा है कि मंगलवार तक इनका निवारण हो जाएगा। उन्होंने बोला कि ‘दिल्ली चलो’ मार्च अभी स्थगित है, लेकिन यदि सभी मामले नहीं सुलझे तो 21 फरवरी को सुबह 11 बजे फिर से प्रारम्भ होगा।
रविवार को चार घंटे हुई गवर्नमेंट और किसान नेताओं के बीच वार्ता
किसानों के मामले पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री गोयल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की वार्ता की। बैठक में पंजाब के सीएम भगवंत मान भी शामिल हुये। रविवार रात आठ बजकर 15 मिनट पर प्रारम्भ हुई बैठक करीब चार घंटे तक चली। इससे पहले तीर की वार्ता पहले ही विफल रही थी।
13 मार्च से किसान कर रहे आंदोलन
पंजाब के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए मंगलवार 13 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च प्रारम्भ किया था, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें हरियाणा-पंजाब की शंभू और खनौरी सीमा पर रोक दिया। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कृषकों के कल्याण के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत श्रमिकों के लिए पेंशन तथा ऋण माफी, लखीमपुर खीरी अत्याचार के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।