दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लवली भाजपा में हुए शामिल
दिल्ली कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए. 6 दिन पहले यानी 28 अप्रैल को उन्होंने दिल्ली कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ दिया था. उन्होंने तब बोला था कि पार्टी नहीं छोडूंगा. लवली के साथ नीरज बसोया, राजकुमार चौहान, नसीब सिंह और अमित मलिक भी बीजेपी में शामिल हुए.
अरविंदर सिंह लवली की बीजेपी में यह दूसरी पारी है. लवली 7 वर्ष पहले 18 अप्रैल 2017 को भी कांग्रेस पार्टी छोड़कर बीजेपी में गए थे. हालांकि, 10 महीने बाद ही वे 17 फरवरी 2018 को वापस कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे. 31 अगस्त 2023 को लवली को दिल्ली कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था.
28 अप्रैल को मल्लिकार्जुन खड़गे को उन्होंने 4 पेज की चिट्ठी लिखकर पार्टी प्रभारी पर मनमानी करने का इल्जाम लगाया था. उन्होंने बोला था कि मुझे एक ब्लॉक अध्यक्ष तक नियुक्त करने का अधिकार नहीं है. इसके अतिरिक्त लवली ने AAP से गठबंधन पर भी आपत्ति जताया था.
लवली ने अपनी चिट्ठी में लिखा- दिल्ली कांग्रेस पार्टी इकाई उस पार्टी के साथ गठबंधन के विरुद्ध है, जो कांग्रेस पार्टी पार्टी के विरुद्ध झूठे, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण करप्शन के इल्जाम लगाने के आधार पर बनी थी. इसके बावजूद पार्टी ने दिल्ली में AAP के साथ गठबंधन करने का निर्णय किया.
लवली के इस्तीफे के बाद कांग्रेस पार्टी ने 30 अप्रैल को देवेंद्र यादव को दिल्ली इकाई का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया था.
दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटें हैं. गठबंधन के अनुसार AAP इनमें से 4 और कांग्रेस पार्टी 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस पार्टी ने चांदनी चौक से जेपी अग्रवाल, उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार और उत्तर-पश्चिम दिल्ली से उदित राज को मैदान में उतारा है. दिल्ली में 25 मई को छठे फेज में वोटिंग होगी.
2019 में बीजेपी ने सातों सीटें जीती थीं
2019 लोकसभा चुनाव में दिल्ली में बीजेपी ने सातों सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी के सभी उम्मीदवारों को 50 फीसदी से अधिक वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस पार्टी दूसरे नंबर पर और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी तीसरे जगह पर खिसक गई थी.
त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी प्रत्येक सीट पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी से बड़े वोटों के अंतर से आगे रही थी. बीजेपी को 56 फीसदी से अधिक वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस पार्टी को 22.5 फीसदी और AAP को 18.1 फीसदी वोट मिले थे. 2014 में भाजपा को 46.4 प्रतिशत वोट मिले थे.