हरदीप सिंह पूरी ने कच्चे तेल की कीमत पर दिया ये बड़ा बयान
वैश्विक चुनौतियों के बावजूद केंद्र गवर्नमेंट कच्चे ऑयल की कीमतों को नियंत्रित करने में सफल रही। रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध और लाल सागर में हूती उपद्रवियों के हमलों के कारण सप्लाई चेन प्रभावित हुई। हिंदुस्तान कच्चे ऑयल को लेकर दूसरे राष्ट्रों पर निर्भर है और राष्ट्र की 85 प्रतिशत आवश्यकता अन्य राष्ट्रों के जरिये पूरी होती है।
ऐसे में अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम का असर राष्ट्र में कच्चे ऑयल की कीमतों पर पड़ना तय था, लेकिन केंद्र गवर्नमेंट की राष्ट्र प्रथम नीति को अहमियत देने के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे ऑयल की बढ़ती कीमतों के बावजूद आम लोगों को राहत पहुंचाने का काम किया गया। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने शनिवार को बोला कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे ऑयल की आपूर्ति पर असर पड़ना तय था।
इसे देखते हुए हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने कच्चे ऑयल की खरीद के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया। तरराष्ट्रीय पाबंदी के खतरे की अनदेखी कर रूस से कच्चा ऑयल खरीदने का फैसला लिया गया। रूस प्रतिदिन 11-12 मिलियन बैरल कच्चे ऑयल का उत्पादन करता है और हिंदुस्तान युद्ध से पहले रूस से कुल आपूर्ति का महज 0.2 प्रतिशत कच्चा ऑयल ही खरीदा करता था।
लेकिन युद्ध को देखते हुए हिंदुस्तान के लिए कच्चे ऑयल की सप्लाई चेन प्रभावित होने की संभावना थी और तरराष्ट्रीय बाजार में इसके कीमतों में बढ़ोत्तरी होने का अंदेशा था क्योंकि ऑयल उत्पादन करने वाले राष्ट्रों के संगठन ओपेक ने उत्पादन में कटौती की घोषणा कर दी थी।
देश के आर्थिक हितों को देखते हुए गवर्नमेंट ने रूस से अधिक मात्रा में कच्चा ऑयल खरीदने का निर्णय किया। क्योंकि हमारी प्रयास कंज़्यूमरों को राहत देने की थी। हिंदुस्तान गवर्नमेंट के निर्णय के बाद अन्य राष्ट्रों ने भी कच्चा ऑयल खरीदने पर छूट देने का ऑफर दिया। हमारी प्रयास अनेक तरराष्ट्रीय चुनौतियों के बावजूद आम लोगों को कम मूल्य पर पेट्रोल और डीजल उपलब्ध कराना है।