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Haryana Politics: BJP ने बदला सियासी गेम, खट्टर की जगह ‘सैनी’ को चुनने का मकसद

नई दिल्ली: जहां बीते मंगलवार 12 मार्च को  साढ़े 9 वर्ष से हरियाणा (Haryana) में राज कर रहे मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) की कुर्सी अचानक 12 मार्च की सुबह उनसे ले ली गई दरअसल उन्हें मंगलवार की सुबह ही त्याग-पत्र देने को बोला गया था शायद अचानक यूँ कुर्सी से हटना खट्टर के लिए अजीब रहा हो लेकिन आनें वाले लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2024) जीतने के लिए लालियत बीजेपी यह साफ़ समझ चुकी थी कि, अब खट्टर को और ढोना 400 पार के उसके आंकड़े में बाधक बनेगा

विधानसभा चुनाव को केवल 6 महीने

दरअसल हरियाणा में विधानसभा चुनाव को अब केवल छह महीने ही बचे हैं इसी बीच वहां मनोहर लाल खट्टर की स्थान नायब सिंह सैनी को सीएम की कुर्सी सौंप दी गई हालाँकि राजनीतिकों को यह बड़ी ही चौकाने वाली बात लगी दरअसल इस घटना के एक दिन पहले स्वयं पीएम मोदी हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के साथ अपनी गहरी आत्मीयता जाहिर कर चुके थे

खट्टर के अच्छे काम

हालांकि ऐसा जरुर है कि, हुड्डा गवर्नमेंट में बेपटरी हरियाणा को मनोहर लाल खट्टर ही वापस ठीक पटरी पर लाए थे गांवों को 18-18 घंटे बिजली, वृद्धावस्था पेंशन को बढ़ा कर 3000 रुपये प्रतिमाह करना, विधवा पेंशन को भी बढ़ाया जाना बेरोजगारी भत्ता तथा तबादलों को औनलाइन करना एवं राज्य की नौकरियों में पारदर्शिता लाना पूर्व सीएम खट्टर की उपलब्धियों में शामिल है

क्यूँ हटे खट्टर

अब ऐसा बोला और बताया जा रहा है कि, मनोहर लाल खट्टर की गवर्नमेंट के विरुद्ध राज्य में जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर थी उनकी गवर्नमेंट के विरुद्धकेवल जाट, बल्कि अन्य बिरादरी के लोगों ने समय-समय पर नाराजगी दिखाई किसान आंदोलन में शंभू बॉर्डर पर होने वाली गोलीबारी के लिए खट्टर गवर्नमेंट लंबे समय से निशाने पर थी इसका असर पंजाब चुनाव में पड़ रहा था खट्टर राजनीति में शिखर पद पर रहते हुए भी आम जनता के साथ वे कोई आत्मीय रिश्ता नहीं बना सके स्त्रियों और किसानों के साथ उनका सलूक कभी अच्छा नहीं समझा गया इन अनेक समीकरणों को साधते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा ही बदल दिया

‘सैनी’ पर दांव  बीजेपी का अभिनव प्रयोग

वहीं देखा जाए तो नायब सिंह सैनी राजनीति के बड़े ही ‘कोमल’ चेहरे हैं फिर स्वयं बीजेपी चुनाव से पहले सीएम बदलने का ख़ास ‘प्रयोग’ गुजरात और त्रिपुरा में भी कर चुकी है, जिसके पार्टी को बेहतर नतीजे मिले थे वहीं हिमाचल प्रदेश में सीएम नहीं बदलने के चलते बीजेपी को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था ऐसे में हरियाणा में भी इसी फार्मूले के अनुसार यह प्रयोग हुआ है

ऐसा है बीजेपी का ‘प्लान’

दरअसल अभी बीजेपी को अभी हरियाणा की 10 लोकसभा सीटें दिखाई पड़ रही हैं इन्हें जीतने के लिए मनोहर लाल खट्टर जैसे अलोकप्रिय सीएम को हटाना उसकी ख़्वाहिश तो नहीं पर विवशता थी वहीं खट्टर जिस पंजाबी समुदाय से आते हैं, वह सवर्ण बिरादरी का है वे खत्री पंजाबी हैं अतः उन्हें हटा कर बीजेपी ने अति पिछड़े समुदाय के नायब सैनी को कुर्सी दी हालांकि देखा जाए तो हरियाणा में सैनी केवल 3.5% ही हैं और पंजाबी 8% किंतु बीजेपी अच्छी तरह से जान और समझ रही है कि जाटों के बाहुल्य वाले इस प्रदेश में पंजाबी जाएंगे भी तो कहां! क्योंकि सीएम सैनी के शपथ ग्रहण के साथ जिन पांच विधायकों को भी मंत्री पद की शपथ दिलवाई, वे खट्टर गवर्नमेंट में भी मंत्री रह चुके थे

दरअसल हरियाणा लोकहित पार्टी और INLD के पास भी एक-एक विधायक हैं ऐसे में नायब सिंह सैनी के सीएम बनने के बाद जाट मतदाताओं के वोट बटेंगे, जो परंपरागत तौर पर कांग्रेस पार्टी और RLD के साथ जाते रहे हैं इसलिए इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है ऐसे में ‘सैनी’ पर अपना दांव खेलकर अब पार्टी को आशा है कि 2019 की तरह इस बार भी लोकसभा चुनाव में भी इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है

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