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शादी के बाद पति-पत्नी के आधार की जानकारी के मामले को लेकर हाई कोर्ट ने कही ये बड़ी बात

कर्नाटक से आधार कार्ड को लेकर ऐसी समाचार आ रही है जो चर्चा का विषय बन गई है दरअसल, उच्च न्यायालय ने साफ तौर पर बोला है कि विवाह निजता के अधिकार पर असर नहीं डाल सकती है कई दिनों से इस बात पर बहस हो रही थी कि क्या पति या पत्नी को अपने साथी के आधार कार्ड की जानकारी रखने का अधिकार है? इस प्रश्न का उत्तर उच्च न्यायालय में एक याचिका पर हुई सुनवाई के बाद सामने आया अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इण्डिया ने जो समाचार दी है उसके अनुसार, न्यायालय की ओर से बोला गया कि पत्नी सिर्फ़ विवाह का हवाला देकर अपने जीवनसाथी यानी अपने पति के आधार कार्ड की जानकारी एकतरफा हासिल नहीं कर सकती हैं

जानें आखिर क्या था मुद्दा जिसपर न्यायालय ने की सुनवाई

खबर की मानें तो हुबली की एक स्त्री ने एक पारिवारिक न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और पति से गुजारा भत्ता की डिमांड की दोनों की विवाह नवंबर 2005 में हुई थी और इस कपल की एक बच्ची है संबंध में परेशानियां आने लगी जिसके बाद पत्नी ने कानूनी कार्रवाई करने का विचार किया और न्यायालय का दरवाजा खटखटाया न्यायालय ने 10 हजार रुपये का गुजारा भत्ता और बेटी के लिए 5 हजार रुपये अलग से दिए जाने का आदेश दिया था

आदेश लागू करवाने के लिए स्त्री पहुंची थी हाईकोर्ट

महिला अलग हो चुके पति का आधार नंबर, एनरोलमेंट की जानकारी और टेलीफोन नंबर के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहती थी स्त्री का बोलना था कि उन्हें नहीं पता अभी उनका पति कहां रह रहा है, इसलिए वह न्यायालय के आदेश की कॉपी उनतक नहीं पहुंचा पा रही हैं आदेश को लागू कराने के लिए परेशान होकर स्त्री यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इण्डिया यानी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के पास भी पहुंचीं थी 25 फरवरी 2021 को यूआईडीएआई ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया था कहा जा रहा है कि स्त्री के आवेदन को खारिज करते हुए बोला गया कि इसके लिए उच्च न्यायालय के आदेश की जरूरत होगी इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था

क्या बोला न्यायालय ने

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने बोला कि न्यायमूर्ति एस सुनील दत्त यादव और न्यायमूर्ति विजयकुमार ए पाटिल की खंडपीठ ने बोला कि विवाह जो होता है वो दो लोगों का रिश्ता है, जो निजता के अधिकार पर असर नहीं डालता है यह आदमी का निजी अधिकार होता है

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