मौसम की और सटीक जानकारी के लिए एआई का इस्तेमाल करेगी आईएमडी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बोला कि हिंदुस्तान के मौसम वैज्ञानिकों ने मौसम पूर्वानुमान को और अधिक परफेक्ट बनाने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) एवं ‘मशीन लर्निंग’ का इस्तेमाल प्रारम्भ कर दिया है। न्यूज एजेंसी मीडिया के साथ वार्ता में महापात्र ने बोला कि अगले कुछ सालों में उभरती प्रौद्योगिकियां संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडल की भी पूरक होंगी, जिनका अभी मौसम का पूर्वानुमान जताने के लिए व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने बोला कि मौसम विभाग पंचायत स्तर या 10 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए अवलोकन प्रणाली बढ़ा रहा है।
सीमित ढंग से प्रारम्भ हुआ है AI का उपयोग- IMD
महापात्र ने बोला कि आईएमडी ने 39 डॉपलर मौसम रडार का एक नेटवर्क तैनात किया है, जो राष्ट्र के 85 फीसदी भू-भाग को कवर करता है और प्रमुख शहरों के लिए प्रति घंटे का पूर्वानुमान बताता है। आईएमडी प्रमुख ने बोला कि हमने कृत्रिम मेधा का इस्तेमाल सीमित ढंग से करना प्रारम्भ कर दिया है, लेकिन अगले पांच सालों के भीतर एआई हमारे मॉडल और तकनीकों में काफी सुधार करेगा। महापात्र ने बोला कि आईएमडी ने 1901 से राष्ट्र के मौसम रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया है और इसके जरिये विश्लेषण कर मौसम के मिजाज के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कृत्रिम मेधा का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने बोला कि कृत्रिम मेधा मॉडल डेटा विज्ञान मॉडल है जो मौसम संबंधित घटना की भौतिकी में नहीं जाते हैं, बल्कि जानकारी मौजूद कराने के लिए पिछले डेटा का इस्तेमाल करते हैं, जिसका इस्तेमाल बेहतर पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।
विशेषज्ञ समूह का किया गया है गठन- आईएमडी
महापात्र ने बोला कि कृत्रिम मेधा का इस्तेमाल करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और आईएमडी में जानकार समूह गठित किए गए हैं। आईएमडी प्रमुख के मुताबिक, पूर्वानुमान की सटीकता में सुधार के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संख्यात्मक पूर्वानुमान मॉडल दोनों एक दूसरे के पूरक होंगे और दोनों साथ मिलकर काम करेंगे और कोई भी दूसरे की स्थान नहीं ले सकता। क्षेत्रीय स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान मौजूद कराने की आवश्यकता पर महापात्र ने विशिष्ट खतरों के लिए ग्राम-स्तरीय पूर्वानुमान देने में आईएमडी की चुनौतियों को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य पंचायत या ग्रामीण स्तर पर पूर्वानुमान प्रदान करना है… कृषि, स्वास्थ्य, शहरी नियोजन, जल विज्ञान और पर्यावरण में क्षेत्र-विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए मौसम की जानकारी मौजूद कराना है। आईएमडी प्रमुख ने सरलता से सूचना मौजूद होने वाले युग में डेटा के आधार पर फैसला लेने के महत्व पर बल दिया।
महापात्र ने बोला कि एआई और ‘मशीन लर्निंग’ को शामिल करने से हम मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए पिछले डेटा का इस्तेमाल कर पाते हैं और पारंपरिक भौतिकी-आधारित मॉडलों पर निर्भर रहे बिना पूर्वानुमान सटीकता में सुधार कर पाते हैं। ‘मशीन लर्निंग’ (एमएल) एआई और कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है, जो डेटा के इस्तेमाल पर केंद्रित है। मौसम के पूर्वानुमान पर जलवायु बदलाव के असर के बारे में आईएमडी प्रमुख ने भयंकर गर्मी की वजह से मध्य स्तर पर संवहनी बादलों के छाने जैसी मौसम संबंधी घटनाओं का उल्लेख किया, जो क्षेत्रीय समुदायों को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने बोला कि इससे निपटने के लिए आईएमडी ने डॉपलर मौसम रडार तैनात किए हैं, जो राष्ट्र के 85 फीसदी हिस्से को कवर करते हैं। महापात्र ने बोला कि 350 मीटर प्रति पिक्सेल के रिज़ॉल्यूशन वाला यह उन्नत रडार डेटा संवहनी बादलों का पता लगाने में सक्षम है जिससे भारी वर्षा और चक्रवात जैसी चरम घटनाओं को लेकर पूर्वानुमान की सटीकता काफी बढ़ जाती है