राष्ट्रीय

चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने वाला भारत पहला देश

  चंद्रयान-3 की चांद पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग ने पूरे विश्व के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं पूरी दुनिया हिंदुस्तान के इस अभियान की कामयाबी की राह देख रही थी चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने वाला हिंदुस्तान पहला राष्ट्र है इस लिहाज से इसरो का यह अभियान कई मायनों में ख़ास था विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर सफ़ल लैंडिंग के बाद अमेरिका भी उतना ही खुश था, जितना हर एक भारतीय खुश था हिंदुस्तान के इस मिशन पर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा भी इस मिशन से काफी उम्मीदें लगाए बैठा है

2025-26 में मिशन लॉन्च करेगा NASA 

जानकारी के अनुसार, नासा 2025-26 में चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने के लिए अपना मिशन लॉन्च करेगा हिंदुस्तान के अतिरिक्त अभी तक यहां कोई भी नहीं पहुंचा है, इसलिए पूरी दुनिया के लिए यह एक गहरा और अंधा कुंआ है लेकिन अब जब हिंदुस्तान का चंद्रयान यहां पहुंच गया है तो यहां से मिलने वाली जानकारी और रिसर्च पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद होंगी नासा चंद्रयान से मिलने वाली जानकारियों के हिसाब से अपना मिशन आगे बढ़ाएगा कहा जा रहा है कि नासा पने इस अभियान में आदमी भी भेज सकता है हालांकि अभी इस बात के सिर्फ़ कयास लगाए जा रहे हैं

लैंडर से बाहर आया प्रज्ञान रोवर 

वहीं इससे पहले प्रज्ञान रोवर लैंडर विक्रम से बाहर आकर चंद्रमा की जमीन पर पहुंच गया है अब 14 दिनों तक लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर भिन्न-भिन्न लेवल पर रिसर्च करेंगे जो भविष्य में चंद्रमा पर जीवन की खोज में मददगार होंगे प्रज्ञान के पहिए चांद की मिट्टी पर हिंदुस्तान के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ रहे हैं अभी आधा किमी यानी 500 मीटर के एरिया में प्रज्ञान रोवर रिसर्च करेगा वहीं इस दौरान लैंडर विक्रम में लगे चार पेलोड्स भी चांद पर रिसर्च करेंगे

 

 

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