ISRO चीफ : भारत के पास चंद्रमा, मंगल और शुक्र की यात्रा करने की क्षमता है, लेकिन….
नई दिल्ली: भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला राष्ट्र बनकर इतिहास रच दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बोला है कि चंद्रयान-3 ने मिशन के तीन उद्देश्यों में से दो को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। अब ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने बोला कि आने वाले 14 दिन मिशन के लिए जरूरी होंगे। उन्होंने बोला कि हिंदुस्तान के पास चंद्रमा, मंगल और शुक्र की यात्रा करने की क्षमता है, लेकिन राष्ट्र को अपना आत्मविश्वास बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने बोला कि अंतरिक्ष क्षेत्र में और अधिक निवेश की आवश्यकता है।
उन्होंने बोला कि, “भारत के पास चंद्रमा, मंगल और शुक्र की यात्रा करने की क्षमता है, लेकिन हमें अपना आत्मविश्वास बढ़ाने की आवश्यकता है। हमें अधिक निवेश की आवश्यकता है और अंतरिक्ष क्षेत्र का विकास होना चाहिए और इसके द्वारा पूरे राष्ट्र का विकास होना चाहिए, यही हमारा मिशन है।” ISRO चीफ ने बोला कि, ”पीएम मोदी ने हमें जो विजन दिया था, उसे पूरा करने के लिए हम तैयार हैं। हम चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से बहुत खुश हैं, वैज्ञानिक मिशन के अधिकतर उद्देश्य पूरे हो जाएंगे, मैं समझता हूं कि सभी वैज्ञानिक डेटा बहुत अच्छे दिख रहे हैं। लेकिन हम इसे जारी रखेंगे आने वाले 14 दिनों में चंद्रमा से बहुत सारा डेटा मापें। और हमें आशा है कि ऐसा करते हुए हम विज्ञान में वास्तव में अच्छी कामयाबी हासिल करेंगे। इसलिए हम अगले 13-14 दिनों के लिए उत्साहित हैं।”
बता दें कि, आने वाले दो पखवाड़े जरूरी होंगे, क्योंकि चंद्रमा की सतह पर किए जाने वाले वैज्ञानिक प्रयोगों के संबंध में चंद्रमा से बहुत सारा डेटा ISRO के वैज्ञानिकों को भेजा जाएगा। चंद्रयान-3 की पूरी टीम हर हलचल और घटनाक्रम पर पैनी नजर बनाए हुए है। इस बीच चंद्रयान-3 ने अपने तीन मुख्य उद्देश्यों में से दो को पूरा कर लिया है। पूरे किए गए दो उद्देश्य हैं- चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग का प्रदर्शन, और चंद्रमा पर घूम रहे ‘प्रज्ञान’ रोवर का प्रदर्शन। अंतरिक्ष एजेंसी ने बोला कि तीसरा उद्देश्य, जो इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन कर रहा है, चल रहा है और सभी पेलोड सामान्य रूप से काम कर रहे हैं।