बसपा को कमजोर रखना होगी बड़ी गलती :नीरज दुबे
प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में हमने इस हफ्ते चुनावी माहौल पर विश्लेषण किया. हमेशा की तरह प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे. हमने नीरज कुमार दुबे से पश्चिमी यूपी और बीजेपी की स्थिति को लेकर प्रश्न पूछा. नीरज कुमार दुबे ने बोला कि कहीं ना कहीं जमीनी हकीकत यही है कि बीजेपी के लिए मुकाबला एकतरफा दिखाई नहीं दे रहा है. उन्होंने बोला कि कुछ एक तबके ऐसे हैं जो गवर्नमेंट से नाराज चल रहे हैं. हालांकि उन्हें मनाने की प्रयास हो रही है. इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि कहीं ना कहीं बीएसपी को कमजोर रखना बड़ी गलती होगी. मायावती ने भले ही अपनी सक्रियता उस ढंग से नहीं दिखाई, लेकिन उनका वोट बैंक पूरी ढंग से सुरक्षित नजर आ रहा है और इस चुनाव में भी उसका कमाल देखने को मिल सकता है.
नीरज दुबे ने बोला कि जयंत चौधरी के बीजेपी के साथ आने के बाद जाहिर सी बात है कि आरएलडी के कार्यकर्ता भाजपा के साथ दिखाई दे रहे हैं. लेकिन कहीं ना कहीं जमीन पर अभी भी ऐसी स्थिति है कि आरएलडी के जितने भी वोटर हैं, वह भाजपा के साथ खड़े दिखाई नहीं दे रहे हैं. उन्होंने बोला कि अखिलेश यादव से जो मुसलमान मतदाता नाराज है, वह बीएसपी के साथ जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. अखिलेश यादव के सामने अभी बड़ा मौका था जब मुसलमान को राज्यसभा भेज सकते थे, विधान परिषद भेज सकते थे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जिसकी वजह से मुसलमान तबके में नाराजगी देखने को मिल रही है. मुस्लिम को लग रहा है कि हम 2022 में एकमुस्त होकर अखिलेश यादव के साथ रहे. लेकिन कहीं ना कहीं हमें सपा से विश्वासघात मिला है.
नीरज दुबे ने बोला कि पश्चिमी यूपी में अखिलेश यादव की कार्य क्षमता पर प्रश्न उठ रहे हैं. कई ऐसी सीटें है जहां पर उनके उम्मीदवार लगातार बदले जा रहे हैं. ऐसे में यह लग रहा है कि सपा को कोई कंट्रोल कर रहा है. आधा दर्जन से अधिक सीटों पर उम्मीदवारों को बदले जा रहे हैं. इससे मतदाताओं में अच्छा संकेत नहीं जा रहा है. नीरज दुबे ने बोला कि पश्चिमी यूपी बीजेपी के लिए 2014 में भी कठिन रही. 2019 में भी कठिन थी और 2024 में भी कठिन रहने वाली है. यही कारण है कि पीएम मोदी अपनी पूरी ताकत लगाने की प्रयास कर रहे हैं. बीजेपी यहां जातिगत समीकरणों को साधने की प्रयास कर रही है. एक बार फिर से पश्चिम यूपी में कानूनी प्रबंध को बड़ा मामला बनाने की प्रयास बीजेपी की ओर से की जा रही है. उन्होंने बोला कि जातिगत जनगणना का विपक्ष बार-बार मामला उठता है. लेकिन जमीन पर इसका कोई असर अब तक देखने को नहीं मिला है. पश्चिमी यूपी में भी लोगों ने इस तरह की बातों को पूरी ढंग से खारिज किया है.
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी की रणनीति पर बात करते हुए नीरज दुबे ने बोला कि जिस ढंग से दिल्ली के सीएम की तस्वीर भगत सिंह और बी आर अंबेडकर के साथ लगाई गई वह पूरी ढंग से गलत है. हमारे महान विभूतियों के समक्ष कोई भी बराबरी नहीं कर सकता. भगत सिंह, बाबा साहब अंबेडकर हर आदमी के दिल में बसते हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी की ओर से इस तरह की चीज नहीं करनी चाहिए. उन्होंने बोला कि हां, यह बात ठीक है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उनके लिए लोगों में थोड़ी बहुत सहानुभूति है. लेकिन वह वोट में कितना बदल पाएगा, यह तो 4 जून को ही पता लग पाएगा. दिल्ली वालों को पता है कि यह विधानसभा का चुनाव नहीं बल्कि लोकसभा का चुनाव है और ऐसे में जो मजबूत दल है, जहां मजबूत पीएम बनने की कवायत है, उसके पक्ष में मतदान करेंगे. उन्होंने बोला कि हां, संजय कुमार के जमानत के बाद पार्टी में एक नयी जान आई है. संजय कुमार लगातार पार्टी में संजीवनी फूकने का काम कर रहे हैं. लेकिन देखना होगा कि वह कितने इसमें सफल हो पाते हैं.