जाने क्या है रेबीज़ बीमारी और किस तरह से फैलती है ये बीमारी…
डिजिटल डेस्क- गाजियाबाद में कुत्ते के काटने से करीब डेढ़ महीने बाद एक बच्चे की मृत्यु हो गई। इसके बाद से ही इस मुद्दे ने काफी अधिक तूल पकड़ लिया है। क्योंकि रेबीज से ही उस बच्चे की मृत्यु हो गई थी। खैर अब जान लेते हैं कि रेबीज़ क्या रोग है और किस तरह से फैलती है।
भारत में रेबीज़ के बहुत से मुद्दे देखने को मिलते है और विश्व में रेबीज़ से होने वाली कुल मौतों में 36% मौतें हिंदुस्तान में होती है।रेबीज़ से प्रत्येक वर्ष 18000-20000 मौत हो जाती है। हिंदुस्तान में रिपोर्ट किये गए रेबीज़ के लगभग 30-60% मुद्दे एवं मौतों में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, क्योंकि बच्चों में काटने के निशान को अक्सर पहचाना नहीं जाता एवं रिपोर्ट नहीं किया जाता है।भारत में मानव रेबीज़ के लगभग 97% मामलों के लिये कुत्ते ज़िम्मेदार हैं, इसके बाद बिल्लियाँ (2%), गीदड़, नेवले एवं अन्य (1%) हैं। यह बीमारी पूरे राष्ट्र में स्थानिक है।
रेबीज क्या है ?
रेबीज एक रोग है जो कि रेबीज नामक विषाणु से होते हैं यह मुख्य रूप से पशुओं की रोग है लेकिन संक्रमित पशुओं द्वारा मनुष्यों में भी हो जाती यह विषाणु संक्रमित पशुओं के लार में रहता है उधर जब कोई पशु मनुष्य को काट लेता है ये विषाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है।यह भी बहुत संभव होता है कि संक्रमित लार से किसी की आँख, मुहँ या खुले घाव से संक्रमण होता है।इस रोग के लक्षण मनुष्यों में कई महीनों से लेकर कई सालों तक में दिखाई देते हैं।
रेबीज कैसे फैलता है ?
रेबीज से संक्रमित जानवर के काटने से रेबीज का संक्रमण फैलता है। ज्यादातर मामलों में मनुष्यों में यह रोग कुत्ते के काटने या खरोंचने से भी होती है।
रेबीज रोग के मुख्य लक्षण क्या होते हैं?
रेबीज रोग के लक्षण संक्रमित पशुओं के काटने के बाद या कुछ दिनों में लक्षण प्रकट होने लगते हैं लेकिन अधिकांश मामलों में बीमारी के लक्षण प्रकट होने में कई दिनों से लेकर कई सालों तक लग जाते हैं।रेबीज रोग का एक खास लक्षण यह है कि जहाँ पर पशु काटते हैं उस स्थान की मासपेशियों में सनसनाहट की भावना पैदा हो जाती है।विषाणु के रोगों के शरीर में पहुँचने के बाद विषाणु नसों द्वारा मष्तिक में पहुँच जाते हैं और निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने लगते हैं
जैसे-
दर्द होना
थकावट महसूस करना।
सिरदर्द होना।
बुखार आना।
मांसपेशियों में जकड़न होना।
घूमना-फिरना अधिक हो जाता है।
चिड़चिड़ा होना था उग्र स्वाभाव होना।
व्याकुल होना।
अजोबो-गरीबो विचार आना।
कमजोरी होना तथा लकवा हों।
लार और आंसुओं का बनना अधिक हो जाता है।
तेज रौशनी, आवाज से चिड़न होने लगते हैं।
बोलने में बड़ी तकलीफ होती है।
अचानक आक्रमण का धावा बोलना।
जब संक्रमण बहुत अधिक हो जाता है और नसों तक पहुँच जाता है तो निम्न लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं जैसे सभी चीजों/वस्तुएं आदि दो दिखाई देने लगती हैं।मुंह की मांसपेशियों को घुमाने में कठिनाई होने लगती है।शरीर मध्यभाग या उदर को वक्ष:स्थल से अलग निकाली पेशी का घुमान विचित्र प्रकार का होने लगता है।लार अधिक बनने लगी है और मुंह में झाग बनने लगते हैं।
रेबीज किन किन जानवरों से फैलता है ?
रेबीज रोग कुत्तों, बंदरों और बिल्लियों के काटने पर इंसानों में फैलती है। आमतौर पर कुत्तों के काटने पर इंसानों में यह रोग फैलती है।
रेबीज का क्या उपचार है ?
एक बार संक्रमण पकड़ में आने के बाद रेबीज का कोई उपचार नहीं है। हालांकि कुछ लोग जीवित रहने में सफल रहे हैं, रोग आमतौर पर मौत में परिणत होती है। यदि आपको लगता है कि आप रेबीज के संपर्क में आ गए हैं, तो आपको रोग को खतरनाक बनने से रोकने के लिए कई टीके लगवाने चाहिए।
जिन लोगों के घर में पालतू जानवर या कुत्ते है, वो क्या सावधानी रखें ?
किसी भी जानवर को पालने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है उसका खानपान और उसको दिया जाने वाला माहौल। ताकि आपका पालतू जानवर किसी को अपना शिकार न बनाये।
वैक्सीनेशन- किसी भी जानवर को पालने के बाद पहला और सबसे महत्वपूर्ण काम है वैक्सीनेशन, ताकि घर में रहने वाले किसी सदस्य या बाहर से आने वाले किसी आदमी के साथ खेलते हुए गलती से या जानबूझकर काटने से कोई गंभीर परेशानी न हो, यदि आपके पालतू जानवर का वैक्सीनेशन प्रॉपर समय से होता है तो आप रैबीज जैसी रोग से लगभग निश्चिन्त हो सकते हैं।
कुत्ता काट ले तो क्या करना चाहिए?
जब भी कुत्ता काटे तो सबसे पहले उस स्थान को धो लेना चाहिए। इसके लिए डिटर्जेंट साबुन जैसे कि रिन या सर्फ एक्सेल साबुन से इसे अच्छी तरह धो लें। यदि जख्म बहुत गहरा है तो इस स्थान पर पहले साबुन से धोएं और उसके बाद बिटाडिन मलहम लगा लें। इससे रैबीज वायरस का असर थोड़ा कम हो जाता है। लेकिन इसे अच्छी तरह से क्लीन करना महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही कुत्ते काटने पर रेबीज का वैक्सीन, एंटीबाडीज़,एवं टेटनस का इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
कब लगवाएं इंजेक्शन…
24 घंटे के अंदर आपको रैबीज का वैक्सीन एवं इसकी 4-5 डोज का पूरा कोर्स करना चाहिए। आमतौर पर कुत्ते काटने के बाद 5 इंजेक्शन लगाने की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए पहला शॉट 24 घंटे के अंदर लगना चाहिए। इसके बाद तीसरे दिन, सांतवें दिन, 14 वें दिन और अंत में 28वें दिन में लगता है.48 घंटे के अंदर काटे हुए शरीर के भाग पे immunoglobulin देना चाहिए,
समय पर इंजेक्शन न देने पर कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
कुत्ते के काटने पर क्या नहीं करना चाहिए ?
ध्यान रखें कि कुत्ता काटने के बाद घाव पर पट्टी नहीं बांधना चाहिए। घाव पर तेल, हल्दी या किसी घरेलु चीज़ को लगाने से बचें। घाव को धोने के बाद तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। ताकि चिकित्सक इसकी गंभीरता के आधार पर उपचार कर सके।
कुत्ते के काटने का प्राथमिक उपचार…
डॉक्टर कहते हैं, कुत्ते के काटने के बाद शीघ्रता से इसके लिए प्राथमिक इलाज लेना चाहिए।अगर काटे हुए स्थान पर घाव नहीं है तो उस हिस्से को गर्म पानी और साबुन से धो लें। आप एहतियात के तौर पर जीवाणुरोधी लोशन भी लगा सकते हैं। यदि काटने के बाद वहां जख्म है तो उस हिस्से को धोने के बाद कोई एंटीसेप्टिक लगाएं और तुरंत रेबीज के इंजेक्शन के लिए हॉस्पिटल जाएं।