राष्ट्रीय

सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता हुई रद्द

नई दिल्ली: एक बड़ी समाचार के मुताबिक लोकसभा ने आचार समिति की उस रिपोर्ट को स्वीकृति प्रदान कर दी जिसमें तृणमूल कांग्रेस पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई है इसके साथ ही आज वोटिंग के आधार पर ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ मुद्दे में घिरीं तृण मूल काँग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता चली गई है

जी हां, आज ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ मुद्दे में घिरीं तृण मूल काँग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता समाप्त हो गई है कमेटी की रिपोर्ट के उनके निष्कासन के प्रस्ताव भी पेश हुआ इसके बाद वोटिंग हुई और उन्हें संसद से निष्कासित कर दिया गया इसके साथ ही लोकसभा में महुआ मोइत्रा को तृण मूल काँग्रेस सांसद के रूप में निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित होने के बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया

आज इस मुद्दे में लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने महुआ मोइत्रा को एथिक्स कमेटी की सिफारिश पर सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी, बोला कि उन्हें पैनल मीटिंग में मौका मिला है इस पेश की गयी रिपोर्ट में महुआ की संसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश और कानूनी जांच की मांग की गई थी इधर, तृण मूल काँग्रेस ने मांग की है कि 500 पेज की रिपोर्ट पढ़ने के लिए 48 घंटों का समय दिया जाएसदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे प्रारम्भ हुई और चार मिनट बाद ही 12 बजे तक के लिए स्थगित हो गई 12 बजे एथिक्स कमेटी चेयरमैन विजय सोनकर ने रिपोर्ट पेश की

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे प्रारम्भ होते ही आचार समिति की प्रथम रिपोर्ट को चर्चा के लिए पेश किया, जिस पर कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया कि संबंधित रिपोर्ट को पढ़कर चर्चा करने के लिए सदस्यों को कम से कम तीन-चार दिन का समय दिया जाना चाहिए

उन्होंने बोला कि दोपहर 12 बजे के बाद रिपोर्ट पेश हुई और चर्चा दो बजे प्रारम्भ कर दी गयी, ऐसे में सदस्यों को 406 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ने का पर्याप्त मौका भी नहीं मिला है उन्होंने बोला कि यह कार्यवाही प्राकृतिक इन्साफ के सिद्धांत के विरुद्ध है उन्होंने बोला कि प्राकृतिक इन्साफ का सिद्धांत किसी मर्डर के मुद्दे के गुनेहगार को भी अपना पक्ष रखने की इजाजत देता है

हालांकि अध्यक्ष ने तीन-चार दिन बाद चर्चा कराने के निवेदन को स्वीकार नहीं किया और चर्चा प्रारम्भ कराई कांग्रेस पार्टी की ओर से मनीष तिवारी ने बोला कि वकालत पेशे में 31 वर्ष के कॅरियर में उन्होंने जल्दबाजी में बहस जरूर की होगी, लेकिन सदन में जितनी जल्दबाजी में उन्हें चर्चा में हिस्सा लेना पड़ रहा है, वैसा कभी उन्होंने नहीं देखा

तिवारी ने कहा, ‘‘आसमान नहीं टूट पड़ता, यदि हमें तीन चार-दिन दे दिये जाते, ताकि हम (रिपोर्ट) पढ़कर सदन के समक्ष अपनी बात रखते” उन्होंने प्रश्न खड़े किये कि क्या आचार समिति किसी के मौलिक अधिकारों का हनन कर सकती है? उन्होंने बोला कि यह कैसी इन्साफ प्रक्रिया है जिसके अनुसार अभियुक्त को अपनी बात रखने का मौका भी नहीं दिया गया तिवारी ने कहा, ‘‘समिति ये तो सिफारिश कर सकती है कि कोई आदमी गुनाहगार है या नहीं, लेकिन सजा क्या होगी, इसका निर्णय सदन ही कर सकता है समिति सदस्यता रद्द करने का फैसला कैसे ले सकती है

उन्होंने तीन दलों द्वारा अपने सदस्यों को व्हिप जारी करने पर प्रश्न खड़े किये और बोला कि सदन की कार्यवाही तुरन्त स्थगित करने और व्हिप वापस लेने का आदेश दिया जाना चाहिए उन्होंने बोला कि इस मुद्दे में यहां मौजूद सदस्य न्यायाधीश के रूप में हैं न कि पार्टी सदस्य के रूप मेंइस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने बोला कि यह संसद है न कि अदालत उन्होंने कहा, ‘‘यह संसद है न कि न्यायालय है मैं न्यायाधीश नहीं हूं, सभापति हूं…यहां मैं फैसला नहीं कर रहा, बल्कि सभा फैसला कर रही है” तिवारी ने संविधान के अनच्छेद 105(2) के अनुसार सांसदों को दी गयी विशेष छूट का भी जिक्र किया लेकिन आखिरकार महुआ मोइत्रा संसद सदस्यता समाप्त हो गई

 

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