सपा की राज्यसभा उम्मीदवारों की लिस्ट देख हुए कई नेता नाराज
Swami Prasad Maurya Rahul Gandhi: स्वामी प्रसाद मौर्य अक्सर खबरों में रहते हैं। कभी हिंदू धर्म तो कभी देवी-देवताओं पर बोलकर टकराव मोल ले लेते हैं। अब समाजवादी पार्टी नेता राष्ट्रीय महासचिव पद से त्याग-पत्र देने के कारण चर्चा में हैं। प्रश्न उठ रहे हैं कि स्वामी के मन में क्या है? इस बीच, ‘ज़ी न्यूज़’ को सूत्रों के हवाले से पता चला है कि स्वामी प्रसाद मौर्य राहुल गांधी की हिंदुस्तान जोड़ो इन्साफ यात्रा में शामिल होने वाले हैं। जी हां, 17 फरवरी यानी कल राहुल गांधी की यात्रा वाराणसी पहुंच रही है। वहीं राहुल गांधी के साथ स्वामी भी पैदल चलते दिखाई दे सकते हैं। हालांकि प्रश्न यह है कि क्या अखिलेश यादव को नाराज कर या उनसे नाराज होकर स्वामी अब राहुल के खेमे में आना चाहते हैं? क्या उनका लक्ष्य गठबंधन उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा की सीढ़ियां चढ़ना है?
सपा से क्यों नाराज हैं स्वामी?
वास्तव में, समाजवादी पार्टी की राज्यसभा उम्मीदवारों की लिस्ट देख उसके कई नेता नाराज हो गए हैं। समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी का त्याग-पत्र भी इसीलिए आया। उन्होंने पार्टी पर भेदभाव करने का इल्जाम लगाया है। स्वामी प्रसाद मौर्य लंबे समय से समाजवादी पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनके बयान पर हंगामा होता तो रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव जैसे नेता निजी राय बताकर पल्ला झाड़ लेते। विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने कह दिया कि उनका ‘मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ’ है। वह इस बात से अधिक दुखी हैं कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनके विरुद्ध बोलने वालों को कुछ नहीं कहा।
इशारों में कहा है प्लान
हां, 14 फरवरी को इस्तीफे को लेकर जब स्वामी से पूछा गया कि क्या वह समाजवादी पार्टी छोड़ेंगे? उन्होंने सिरे से इंकार नहीं किया बल्कि सधे अंदाज में बोला कि अभी तो मैंने महासचिव पद से त्याग-पत्र दिया है। अब गेंद राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के पाले में है। उनकी अगली कार्रवाई को देखते हुए मैं अगला फैसला लूंगा। समझा जा रहा है कि स्वामी का मन डोल रहा है। मौका मिला तो वह कांग्रेस पार्टी में भी शामिल हो सकते हैं।
अखिलेश क्या बोले
इस्तीफा आया तो समाजवादी पार्टी में दो धड़े सामने आ गए। एक ने बोला कि स्वामी RSS और बीजेपी के फैलाए ‘जहर’ का मुकाबला कर रहे थे। मौर्य ने रामचरितमानस और अयोध्या मंदिर प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर विवादित बयान दिए हैं। वह अभी समाजवादी पार्टी से MLC हैं। शायद वह राज्यसभा का टिकट चाह रहे होंगे। स्वामी पर जब अखिलेश यादव से पूछा गया तो उन्होंने बोला कि किसी से नाराजगी नहीं है, राजनीति में ऐसा समय आता है। अखिलेश ने आगे यह भी बोला कि आदमी को अपने आप को स्वयं विश्वासघात नहीं देना चाहिए।
पिछड़ों के नेता, पर विवादों के ‘स्वामी’
यूपी में पिछड़ों के बड़े नेता माने जाने वाले स्वामी पांच बार विधानसभा सदस्य, उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट में मंत्री, सदन के नेता और विपक्ष के नेता भी रहे हैं। वह योगी गवर्नमेंट (2017-2022) में श्रम मंत्री भी रहे। वह 2021 तक बीजेपी में थे। इससे पहले वह लंबे समय तक बीएसपी में रहे। उन्होंने 11 जनवरी 2022 को योगी गवर्नमेंट के श्रम मंत्री पद से त्याग-पत्र दे दिया था। तब बीजेपी गवर्नमेंट पर उन्होंने पिछड़ों की उपेक्षा का इल्जाम लगाया था। विवादों में बने रहने के कारण मीडिया में उन्हें ‘विवादों के स्वामी’ बोला जाने लगा है।
क से कांग्रेस, क से कुशीनगर
पडरौना से विधायक रह चुके स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2022 में फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन बीजेपी के सुरेंद्र कुमार कुशवाहा से हार गए। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया और संगठन में राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी।
तमाम उदाहरण देख लोग कहते हैं कि ज्यादातर माननीय विचारधारा कम सत्ता हासिल करने का लक्ष्य अधिक देखते हैं। कुछ ऐसा ही हाल में बीजेपी नेता नितिन गडकरी ने भी बोला था। यदि इस लिहाज से सोचें तो लगता है कि शायद मौर्य राज्यसभा की आशा समाप्त होने के बाद अब लोकसभा चुनाव में संभावनाएं ढूंढ रहे हैं। जिस तरह से उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं के विरुद्ध कहा और समाजवादी पार्टी में ही उनकी निंदा हुई। अब उन्हें लग रहा होगा कि समाजवादी पार्टी उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं देने वाली। ऐसे में पडरौना से विधायक रहे स्वामी अब कुशीनगर की लोकसभा सीट चाह रहे होंगे। यहां मौर्य और कुशवाहा वोटरों की बहुलता है। मुसलमान और यादवों की भी अच्छी संख्या है। पहले इस सीट का नाम पडरौना ही था।
इस बार सपा-कांग्रेस साथ में लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले हैं। हो सकता है कि स्वामी कांग्रेस पार्टी के समर्थन से गठबंधन उम्मीदवार बनने की सोच रहे हों। हालांकि हिंदुओं को नाराज करने वाले स्वामी को कांग्रेस पार्टी कितना तवज्जो देगी, यह अभी नहीं बोला जा सकता है। 2009 में कुशीनगर से कांग्रेस पार्टी के आरपीएन सिंह सांसद थे, जो अब बीजेपी में आ गए हैं।