Maratha Reservation: HC से मराठा आरक्षण समर्थकों को लगा ये बड़ा झटका
Maratha Reservation HC Hearing: महाराष्ट्र गवर्नमेंट ने मराठा समाज (Maratha Reservation) को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है। इस आरक्षण के विरुद्ध मुंबई उच्च न्यायालय में कई याचिका दाखिल हुई हैं। इन पर आज सुनवाई भी हुई। उच्च न्यायालय ने बोला कि आज जो मेडिकल के एडमिशन हो रहे हैं, भर्ती प्रक्रिया हो रही हैं, वह न्यायालय के निर्णय के अधीन रहेंगी। न्यायालय का यह आदेश मराठा आरक्षण को झटका बताया जा रहा है। आइए जानते हैं कि याचिकाकर्ताओं ने मराठा आरक्षण को गलत क्यों कहा है। याचिकाकर्ता इसे रद्द करने की मांग क्यों कर रहे हैं?
मराठा आरक्षण का विरोध क्यों?
बता दें कि महाराष्ट्र गवर्नमेंट ने मराठा समाज को सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़ा वर्ग समझकर 10 फीसदी आरक्षण दिया है। इसके विरुद्ध गुणरत्न सदावर्ते के याचिका पर आज जस्टिस गिरिश कुलकर्णी की बेंच में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने अपनी बहस में कई मामले रखे और मांग की कि मराठा समाज को गैरकानूनी स्वरूप में आरक्षण दिया है। आरक्षण देने के लिए जस्टिस शुक्रे कमीशन बनाया गया था। उसकी रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण दिया गया है। शुक्रे कमीशन अवैध ढंग से बनाया गया था। इसलिए शुक्रे कमीशन का रिपोर्ट रद्द की जाए और मराठा आरक्षण को स्टे दिया जाए।
भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग
जान लें कि याचिकाकर्ता ने मराठा आरक्षण के दो कानून के विरुद्ध मामले रखे। 22 फरवरी को कानून बनाकर जो आरक्षण दिया है। वह गलत है। और मराठा समाज को कुनबी मराठा कास्ट सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। वह कानून भी गलत है। ऐसा भी बहस में बोला गया। महाराष्ट्र में जल्द ही 50 हजार मेडिकल सीट के लिए परीक्षा होने वाली है। इसके अतिरिक्त 16 हजार पुलिस भर्ती भी होने वाली हैं। इसमें मराठा आरक्षण लागू है। इस एडमिशन और भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग याचिकाकर्ता ने की।
फैसला आने तक आरक्षण लागू नहीं
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने उनकी पूरी बात नहीं मानी। लेकिन उनकी मांग के मुताबिक जरूरी आदेश दिए। उच्च न्यायालय ने बोला कि जो एडमिशन हो रहे हैं, भर्ती प्रक्रिया हो रही हैं। न्यायालय का जो भी निर्णय आएगा वह निर्णय इस प्रक्रिया को लागू होगा।