राष्ट्रीय

दस सालों में मोदी सरकार मुसलमानों का विश्वास नहीं कर सकी हासिल

भारतीय जनता पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव के समय अपने घोषणापत्र में किये गये एक और वायदे को पूरा कर लिया है 2024 के लोकसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े राष्ट्र में आचार संहिता लागू होने से कुछ दिनों पहले सीएए के नियमों को अधिसूचित कर दिया है भाजपा इसे मोदी की गारंटी बता रही है 2019 में भाजपा ने कुछ जो बड़े वादे किये थे उसमें जम्मू और कश्मीर से धारा 370 समाप्त किया जाना, अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण में आ रही बाधा को दूर करना, तीन तलाक को समाप्त करने का कानून बनाना और अब सीएए को भी अमली जामा पहना दिया गया है सबसे बड़े वादे की बात की जाये तो समान नागरिक संहिता (एनआरसी) को मोदी गवर्नमेंट पांच सालों तक पूरा नहीं कर पाई अपवाद के रूप में उत्तराखंड में जरूर यूसीसी लागू हो गया है मोदी गवर्नमेंट ने जिस तरह से वायदों को पूरा किया है उसके चलते साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद 2024 के आम चुनाव में काफी कुछ बदला गया है, लेकिन दस वर्षों में मोदी गवर्नमेंट मुसलमानों को विश्वास नहीं हासिल कर सकी बीजेपी से मुसलमान मतदाताओं की दूरी का सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है

बीजेपी को अनेक चुनावों में करीब 8 फीसदी मुसलमानों ने ही वोट दिया, लेकिन गवर्नमेंट इससे संतुष्ट नजर आ रही है सरकारी नुमांइदे कहते हैं कि राष्ट्र में जिस तरह से तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा दिया गया था, ऐसे में भाजपा के लिये मुसलमानों का दिल जीतना सरल नहीं है इसीलिये सीएए जैसे कानून की भी मुसलमानों के बीच मुखालफत होने लगती है, जबकि इसका हिंदुस्तान के किसी भी नागरिक से कोई लेना-देना ही नहीं है सीएए किसी की नागरिकता लेने के लिये नहीं बल्कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाक के अल्पसंख्यकों को हिंदुस्तान की नागरिकता देने वाला कानून है, जो अपने राष्ट्रों में अल्पसंख्यक होने के कारण सालों से पीड़ित हो रहे हैं

गौरतलब है कि साल 2019 में जब नागरिकता संशोधन बिल लाया गया तो इसके विरुद्ध पूरे राष्ट्र में आंदोलन हुए थे तब आंदोलन में शामिल मुस्लिमों का मानना था कि यह कानून भेदभावपूर्ण है इसके अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर मुस्लिमों को तो नागरिकता देने का प्रावधान है, लेकिन मुसलमानों को यह सुविधा नहीं दी गई है उनके मन में यह बात घर कर गई कि इस कानून से मुसलमानों की नागरिकता भी खतरे में पड़ सकती है यही वजह रही कि 2019 के बाद हुए राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी मुसलमानों का पहले वाला वोटिंग पैटर्न कायम रहा साल 2020 में बिहार के विधानसभा चुनाव में 77 फीसदी मुसलमान वोट महागठबंधन को मिले थे 2021 के पश्चिम बंगाल के चुनाव में 75 फीसदी मुसलमान वोट तृणमूल कांग्रेस पार्टी को मिले साल 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 79 फीसदी मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को वोट किया इसकी वजह थी कि ये पार्टियां बीजेपी के विरुद्ध मुसलमानों को बरगलाने में सफल रही थीं

हालांकि, अब माहौल काफी बदल गया है अपवाद को छोड़कर अनेक मुसलमान धर्मगुरु अपनी कौम को यह बता रहे हैं कि वह इस कानून को लेकर किसी तरह का भ्रम नहीं पालें, क्योंकि इससे किसी मुस्लिम का कोई हानि नहीं होगा किसी की नागरिकता नहीं जायेगी, लेकिन ओवैसी जैसे नेता जरूर सीएए के नाम पर मुसलमानों को भड़काने में लगे हैं सीएए को लेकर अधिसूचना जारी होते ही विपक्षी पार्टियों ने भी मुस्लिमों के मन में उठ रही शंकाओं को मामले का रूप देना प्रारम्भ कर दिया है ताकि लोकसभा चुनाव में नफा-नुकसान के लिहाज से अपनी रणनीति तैयार कर सकें इससे कई लोकसभा सीटों पर गैर भाजपा पार्टियों को लाभ मिल सकता है बात यूपी की कि जाये तो यहां करीब 29 लोकसभा सीटें मुसलमान बाहुल्य हैं यही वजह है कि बीजेपी ने पसमांदा मुसलमान समाज को साधने के लिए दो वर्ष पहले से तैयारी प्रारम्भ कर दी थी योगी सरकार-टू में पसमांदा समाज के दानिश आजाद अंसारी को राज्यमंत्री बनाया गया अलीगढ़ मुसलमान यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो तारिक मंसूर को बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने के साथ विधान परिषद में भेजा गया उत्तर प्रदेश में सहारनपुर, संभल, रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, कैराना, बरेली, पीलीभीत, बिजनौर, नगीना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, श्रावस्ती, बहराइच, डुमरियागंज, बागपत, बुलंदशहर, अलीगढ़, कैसरगंज, गोंडा, बाराबंकी, बदायूं और आंवला आदि 29 सीटें मुसलमान बहुल हैं

इतना ही नहीं क्षेत्रीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने नगर पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष और सभासद पद पर मुसलमान प्रत्याशी उतारे थे पांच नगर पंचायत अध्यक्ष और 90 सभासद एवं पार्षद चुने गए बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से मोदी गवर्नमेंट के दस साल के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों को केंद्र गवर्नमेंट की योजनाओं का फायदा दिलाने के लिए शुक्रिया मोदी भाई जान अभियान चलाया जा रहा है वहीं कौमी चौपाल और स्नेह संवाद के जरिये भी मुस्लिमों के बीच मोदी गवर्नमेंट की उपलब्धियां पहुंचाई जा रही हैं उत्तर प्रदेश में पीएम आवास में से लगभग 19 लाख आवास मुसलमानों को मिले 2.61 करोड़ मुस्लिमों को निःशुल्क राशन का फायदा मिल रहा है 2 लाख गरीब मुस्लिमों की विवाह में आर्थिक सहायता दी गई है आयुष्मान हिंदुस्तान में 28, किसान सम्मान निधि में 22 और शौचालय निर्माण योजना में 23 प्रतिशत हिस्सेदारी मुस्लिमों की है

भाजपा के रणनीतिकार मुसलमानों को समझा रहे हैं कि पीएम मोदी ने मुसलमानों के लिए सऊदी अरब से आग्रह कर न केवल हज का कोटा बढ़वाया, बल्कि उस पर लगने वाली GST को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया मोदी गवर्नमेंट ने ही 6 लाख से अधिक वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के कागजातों का डिजिटलीकरण करवाने का काम किया है वहीं सीएए को लेकर मुसलमान पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी सदस्य एवं लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मुसलमानों से बोला कि सीएए पर अधिसूचना जारी होने पर नजरिया पेश करना अभी ठीक नहीं है सीएए पर जारी मसौदे के शोध के बाद ही नजरिया पेश किया जा सकता है उन्होंने जनता से अपील करते हुए बोला कि सीएए को लेकर किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें अमन बनाए रखें

 

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