गरीबों और पिछड़ों के लिए योजनाओं पर लगातार काम किया है मोदी सरकार ने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का असर अब साफ साफ जमीन पर दिखने लगा है। विपक्षी पार्टियां और आलोचक भले ही रोजगार और नौकरियों को लेकर केंद्र गवर्नमेंट पर प्रश्न खड़े करते रहे हों, लेकिन आंकड़ों के अनुसार पिछले महीने रिकॉर्ड लोगों को नौकरियां मिली हैं। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों की वजह से राष्ट्र में रोजगार की स्थिति लगातार सुधर रही है। राष्ट्र के फॉर्मल सेक्टर में पिछले महीने यानी सितंबर के में ही 17 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।
पीएम मोदी के कार्यकाल में राष्ट्र ने तेज गति से आर्थिक विकास किया है। उनके कार्यकाल के दौरान कई सेक्टर जैसे स्टार्टअप, मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटलीकरण का विस्तार हुआ है। साथ ही गवर्नमेंट के कार्यक्रम ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ ने भी राष्ट्र में रोजगार सृजन का काम किया है। इससे अकेले सितंबर माह में राष्ट्र के अंदर 17 लाख से अधिक लोगों को फॉर्मल सेक्टर में काम मिला है।
नौकरियों का रिकॉर्ड
ईपीएफओ के लेटेस्ट डेटा के अनुसार सितंबर में 17.20 लाख नए सब्सक्राइबर जोड़े गए हैं। ये अगस्त में जोड़े गए 16.90 लाख लोगों से भी अधिक हैं। जबकि पिछले वर्ष सितंबर में 16.80 लाख नए लोग ईपीएफओ के सब्सक्राइबर बने थे।
फॉर्मल सेक्टर में काम करने वाली इकाइयों, कंपनियों को अपने यहां काम करने वाले एम्प्लॉई को ईपीएफओ के साथ रजिस्टर कराना होता है। ईपीएफओ, लोगों के लिए रिटायरमेंट फंड बनाने का काम करता है। ईपीएफओ में सैलरी का 12% एम्प्लॉई स्वयं और 12% उसका एम्प्लॉयर जमा करता है। इसी में से करीब 8% राशि कर्मचारी के पेंशन फंड में भेज दी जाती है।
युवाओं को लिए नौकरियों की बहार
ईपीएफओ के डेटा के हिसाब से उसके कुल नए मेंबर्स में से 8.9 लाख ऐसे हैं जिनकी उम्र 18 से 25 वर्ष के बीच है। ये ईपीएफओ के टोटल नए सब्सक्राइबर के 60 फीसदी के बराबर है। इससे पता चलता है कि फॉर्मल सेक्टर में अधिकांश युवा पीढ़ी के लोगों को जॉब मिली है। इनमें से अधिकांश वो लोग हैं जो पहली बार जॉब कर रहे हैं।
आंकड़े ये भी दिखाते हैं कि सितंबर महीने में 11.90 लाख लोगों ने ईपीएफओ की सदस्यता छोड़ी, लेकिन तुरंत ही दोबारा जॉइन कर ली। इससे पता चलता है कि इतने लोगों ने सितंबर के महीने में जॉब बदली।