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प्रशांत महासागर की गहराई में मिली रहस्यमयी एलियंस तकनीकी

कुछ वर्ष पहले, जब वैज्ञानिक प्रशांत महासागर की तली में एक खोजी अभियान चला रहे थे, तो उनके हाथ कुछ अजीब वस्तुएँ लगीं. वे वस्तुएँ असामान्य हैं, इसलिए उनका संबंध एलियंस से है. मुद्दे में अनुसंधान दल का नेतृत्व करने वाले हार्वर्ड के भौतिक विज्ञानी एवी लोएब ने बोला कि जनवरी 2014 में पापुआ न्यू गिनी के पास प्रशांत महासागर में गिरी गोलाकार वस्तु शायद किसी विदेशी सभ्यता द्वारा भेजी गई थी.

उन्होंने बोला कि रहस्यमय वस्तु को CNEOS1 2014-01-08 या IM1 के नाम से जाना जाता है. जब इसने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया तो इसकी गति अविश्वसनीय 110,000 मील प्रति घंटा थी. ऐसी स्थिति में एक ही समय में ऐसा महसूस हुआ जैसे यह सौर मंडल के बाहर से आया हो.

कुछ लोगों ने दावा किया कि यह उल्कापिंड है, लेकिन जांच ने इसे खारिज कर दिया. यह भी पाया गया कि इसे पृथ्वी तक पहुँचने में अरबों साल लगे होंगे. यह भी बताया जा रहा है कि यह किसी अंतरिक्ष यान का टुकड़ा है, जो संभवतः सौरमंडल के बाहर से आया होगा.

लोएब के मुताबिक, वह उस स्थान को दोबारा देखना चाहते हैं जहां पर टुकड़ा गिरा था. वे वहां से एक गामा-किरण स्पेक्ट्रम प्राप्त कर सकते हैं, जो इसके रेडियोधर्मी तत्वों की खासियत बताएगा. उनका बोलना है कि उन्हें मैंगनीज-प्लैटिनम मिश्र धातु से बने अजीब तार भी मिले हैं. हालाँकि, इसकी उत्पत्ति की पुष्टि करने में कुछ समय लगेगा.

आलोचकों ने उठाए प्रश्न प्रोजेक्ट को लेकर कई आलोचकों ने प्रश्न उठाए हैं उनका बोलना है कि धातु के टुकड़े किसी गुजरते जहाज द्वारा पानी में फेंके गए मानव निर्मित मलबे हो सकते हैं. इस पर लोएब ने बोला कि जिस स्थान पर यह टुकड़ा मिला, वह शिपिंग लेन नहीं है, यानी वहां से कोई जहाज नहीं गुजरता. उन्होंने दावा किया कि समय और तकनीक के साथ वह यह पता लगा सकेंगे कि यह तकनीक कहां से आई है.

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