CBI एवं CAG के डर से बैंकों ने निर्णय लेना ही छोड़ दिया था : निर्मला सीतारमण
रांची: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार को रांची में थीं। वह राजधानी में विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुईं। उन्होंने बोला कि सीबीआई, सीएजी, सीवीसी के डर से बैंकों ने फैसला लेना ही छोड़ दिया था। यह डर हटाया गया। राष्ट्र की आर्थिक स्थिति, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदुस्तान का प्रभुत्व, आनेवाले दिनों में हिंदुस्तान की सबलता सहित कई सियासी मुद्दों अपनी बात रखी। ‘प्रभात खबर’ की ओर से ब्यूरो प्रमुख आनंद मोहन और वरीय संवाददाता राजेश कुमार ने केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण से वार्ता की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश…
सवाल : आपको राष्ट्र की पहली स्त्री पूर्णकालिक रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ है। कौन सी जिम्मेवारी चुनौती भरी रही?
जवाब : वैसे कहना मुश्किल होगा। 2014 पीएम मोदी के नेतृत्व में गवर्नमेंट बनी, तो उससे पहले डिफेंस में खरीद नहीं हो रही थी। 10 वर्ष पहले कोई खरीद नहीं हो रही थी। हमारे अपने उत्पादन भी बंद थे। बॉर्डर के गांवों के हालात ठीक नहीं थे। मुझसे पहले मनोहर पर्रिकर जी, अरुण जेटली जी आदि ने ग्राउंड वर्क किया। मुझे मजबूत आधार मिला। उसके बाद स्त्रियों को सेना में नियुक्त किया गया। पुलवामा में सीमा सुरक्षा बल के जवानों पर धावा हुआ। इतने सारे सैनिक मरे। उसके बाद प्रधानमंत्रीजी ने कड़ा रुख लिया। सैनिक की जान से समझौता नहीं हो सकता है। सीधा धावा करो। बालाकोट हुआ। रक्षा मंत्री रहते नया चैलेंज भी आया। इस दौरान अनुभव सीखने लायक रहा। इसके बाद जब वित्त में आयी, लिक्विडीटी की कमी थी। पूरे इकोनॉमी में क्रेडिट नहीं था। बैंक में पैसा कम हो गया था। कोई कर्ज लेना चाहता, तो कर्ज नहीं मिला रहा था। एक अलग प्रजाति की हालात थी। बैंकों के अधिकारी के मन में तीन विषय थे। थ्री सी कहलाता था। सीबीआइ, सीवीसी और सीएजी। इन तीनों के डर के मारे बैंकों ने फैसला लेना ही छोड़ दिया था।
मैंने बैंकों के मन से डर हटाने का काम किया। उनको आश्वस्त करने के लिए कि यदि आप व्यावसायिक रूप से अच्छा फैसला लेंगे, आपके ऊपर आंख बंद करके एक्शन नहीं होगा।बैंकों को प्रोत्साहित किया। फिर 2019 का बजट जुलाई में हुआ। एक बार पीएम जी बुला कर कहे : ठीक है, बजट तो पेश कर दिया। पीएम का बोलना था कि बजट की भाषा आम आदमी के समझ में नहीं आती है। हम बजट से क्या कर रहे हैं, उनको क्या लाभ है, उसको कैसे समझाओगी। जनता उसमें कुछ जोड़ना चाहती है, आपसे कोई आशा रखती है, तो ये सब कैसे होगा? उस अंतराल में एक नया सिस्टम पीएम साहब ने जोड़ा कि पूरे राष्ट्र में अधिकारी साथ जायें। जनता को बुलाओ, चेंबर ऑफ कॉमर्स को बुलाओ, इंडस्ट्रीज को बुलाओ, टैक्स एक्सपर्ट को बुलाओ, चार्टड एकाउंटेंट को बुलाओ।
बजट पर चर्चा हुई। पूरे राष्ट्र की सुनी गयी, सुझाव जोड़े गये। सदन आहूत हुआ, तो आकर ट्रेजरी की ओर से ही हम संशोधन पर बोलते थे। विपक्ष ने हमसे पूछा कि ये क्या तरीका है? आप बजट पेश कर रहे और आप ही संशोधन दे रहे हो? मैंने विपक्ष को कहा कि जनता से बजट सुनने के बाद उनको लगा कि ऐसा करना ठीक होगा, तो मैंने ये बदलाव किये। उसमें श्रेय प्रधनमंत्री का है। उनके दिमाग में हमेशा चलते रहता है कि हर समकालीन फैसला में जनता की भागीदारी होनी चाहिए। गवर्नमेंट जो कर रही है, वह जनता के समझ में आये। फिर, कोविड आया। सब जस का तस हो गया। नया सिस्टम ढूंढ़ना पड़ा। 2020 फरवरी बजट पेश कर के एक महीना भी नहीं हुए। मार्च से लॉकडाउन लग गया। बजट का जीवन काल क्या रहा, एक महीना। फिर से पांच नये छोटे-छोटे बजट बनाने पड़े।
हर वर्ग के हाथ में कुछ न कुछ होना चाहिए। इनको ये दो, उनको वो दो। छोटे बिजनेस, उनके काम में लगे लोगों को हटाना नहीं है। उस इपीएफओ का एक सिस्टम था। इपीएफओ पेमेंट जो काम करनेवाले थे, उनका अंशदान है, गवर्नमेंट करे और फिर नियोक्ता का भुगतान वो भी हमको ही करना है। जिससे नये लोगों को बहाल करें। पुराने लोग हटे नहीं। उस समय गवर्नमेंट ने अर्थव्यवस्था को इस तरह से हैंडल किया। हमारे सामने कोई उदाहरण नहीं था। पूर्व का कोई अनुभव गवर्नमेंट के पास नहीं था। मैं ऐसे हालात देखनेवाला हिंदुस्तान राष्ट्र में पहले कोई वित्त मंत्री थी और प्रार्थना करती हूं कि ऐसे हालात भविष्य में न हों। सुझाव इतने आता थे कि प्रिंट करो नोट, छपवाओ नोट, बांटो नोट। आज यदि बांट लिया होता, तो हम ऐसी स्थिति में नहीं होते। पश्चिमी अर्थव्यवस्थाएं भी आज घाटा ही मैनेज कर रही हैं।
सवाल : आज राष्ट्र की अर्थव्यवस्था कहां खड़ी है।
जवाब : अच्छे जगह पर खड़ी है। यदि मैं बोलूंगी, तो विपक्ष बोलेगा कि स्वयं प्रमाण पत्र दे रहे हैं। मैं मानती हूं कि हिंदुस्तान राष्ट्र का हर नागरिक, उस समय यदि निराश होकर बैठ जाता, तो राष्ट्र इस मुकाम पर नहीं होता। राष्ट्र की गवर्नमेंट पर भरोसा नहीं होता, तो वो सामने भी नहीं आते। आज हमारी इकोनॉमी बढ़ रही है, तो पूरा श्रेय जनता को है। यदि आज हम दुनिया के तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बन रहे हैं, तो इसमें आमलोगों की मुश्किल मेहनत है। यही कारण है। इनको समझ में आया कि यदि हम मेहनत करें, तो गवर्नमेंट भी एक कदम आगे आयेगी। सिर्फ़ आनेवाले साल ही नहीं, आनेवाले दो-तीन साल तक उसी रेट से आगे बढ़ेगी।
सवाल : पीएम कह रहे हैं कि आनेवाले पांच साल में हिंदुस्तान तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। इससे आम जनमानस को क्या लाभ होगा?
जवाब : जब इकोनॉमी तीसरे जगह पर पहुंचेगी, मतलब आपके जीडीपी का विस्तार होगा, जहां आज दो ट्रिलियन से तीन, तीन ट्रिलियान से चार होंगे। आप अंतरराष्ट्रीय रूप से थर्ड बड़ी इकोनॉमी होंगे। राष्ट्र में नये अवसर पैदा होंगे। उद्योग धंधे बढ़ेंगे। जैसे एक मुख्य उद्योग को चलाने के लिए उसके इर्द-गिर्द कई इंडस्ट्रीज खड़ी होती हैं। छोटे उद्योग बढ़ेंगे। उदाहरण के तौर पर कहें, तो एक शांत तालाब में हल्का एक पत्थर डालें, तो एक रिंग बनता है, वह रिंग किनारे तक जायेगा। इसी तरह उसका फायदा हर-आम लोगों को मिलेगा।
सवाल : विपक्ष का इल्जाम है कि आप चुनावी रैलियों में बड़े उद्योगपतियों के साथ खड़ी हैं। अडाणी-अंबानी के साथ आप हैं। छोटे उद्योगों के लिए गवर्नमेंट के पास क्या नीति है?
सीतारमण : मैं गर्व से कह रही हूं, 70 वर्ष का रिकॉर्ड निकाल कर देखिए, एमएसएमइ के लिए जितना काम मोदीजी की गवर्नमेंट में हुआ, उतना किसी गवर्नमेंट में नहीं हुआ। 2019 से आज तक जितने कानून एमएसएमइ के लिए बने, उतने इससे पहले कभी नहीं बने थे। एमएसएमइ के लिए नैनो, मीडियम, स्मॉल की परिभाषा को लचीला किया। बैंक एमएसएमइ को लोन नहीं देते थे। हमने एमएसएमइ के लिए 59 मिनट यानी एक घंटे से भी कम समय में लोन देने की प्रबंध की। हमने सिडबी (स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया) को राष्ट्र भर के स्मॉल इंडस्ट्री का कलस्टर में ब्रांच लगाने का निर्देश दिया। बोला कि जहां भी एमएसएमइ एप्रोच करें, सीधे लोन दो।
हमने ऐसे स्कीम लिये, जिसमें गारंटी देनी नहीं होती है। सरकारी गारंटी द्वारा आपके एकाउंट में सीधा पैसा डाल दिया जायेगा। एमएसएमइ के लिए आपातकालीन क्रेडिट लिक्विडिटी गारंटी स्कीम लाये और इस भरपूर इस्तेमाल हुआ। तीन लाख करोड़ की गारंटी, मतलब लोन आपको 10 हजार हो सकता है, एक लाख हो सकता है। मतलब फर्स्ट लॉस गवर्नमेंट के ऊपर। मतलब तीन लाख करोड़ तक का हानि भरने के लिए तैयार हो कर सामने आकर लोन दे रहे हैं।
सवाल : आप लोकसभा चुनाव में एनडीए और बीजेपी को कहां खड़ा पाती हैं?
जवाब : हम अच्छे बहुमत के साथ जीत कर आयेंगे। यह घोषणा प्रधानमंत्रीजी ने की। 370 बीजेपी और 400 एनडीए। यह घोषणा इसलिए की गयी कि हमारे 10 वर्ष का काम जनता और लाभ पाने वाले देख रहे हैं। गरीब को मन में रख कर, गरीब के भलाई में काम किया। इसलिए हमें आत्मविश्वास है कि हम अच्छे बहुमत से जीत कर आयेंगे।
सवाल : विपक्ष महंगाई और बेरोजगारी को मामला बना रहा है। आप क्या कहेंगी?
जवाब : विपक्ष चुनाव के समय कुछ भी बोल सकता है। मैं आपसे पूछ रही हूं लगातार 22 महीना यानी दो वर्ष में दो महीना कम। डबल डिजिट महंगाई रेट के साथ यूपीए चला। 2012 से लेकर 2014 तक 10 फीसदी से अधिक महंगाई की रेट रही। उसको यूपीए हैंडल कर नहीं पायी। आज विपक्ष में रहकर महंगाई के बारे में बात कर रही है। सिलिंडर की मूल्य तब क्या थी? आज भी गैस सिलिंडर हो, पेट्रोल हो या एक्साइज ड्यूटी, मोदीजी ने सामने आकर कम किया। फिर चाहे विदेश में 100 डालर के ऊपर भी दर क्यों न रहा हो। रोजगार के ऊपर डाटा आज भी आ रहा है। 22 नवंबर से लेकर 23 दिसंबर तक 10 लाख सरकारी जॉब की चिट्ठी रोजगार मेला द्वारा पीएम ने दी।
एक लाख से अधिक स्टार्टअप निबंधित हैं। स्वनिधि किनका है? मुद्रा लोन किसको देते हैं? पीएमइजीपी, ये सब बिना सिक्योरिटी के लोन हैं। उनके रोजगार बचानेवाला लोन है। दूसरों को रोजगार देनेवाला लोन है। रोजगार का डेटा छोटा मिलता है। पारंपरिक जॉब का डाटा होता है। लेकिन भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन का डाटा नहीं मिलता। असंगठित क्षेत्र के ऊपर डाटा नहीं मिलता। आज GST का संग्रहण इतना कैसे हो रहा है? लोग खरीद रहे हैं, सेल कर रहे हैं। आर्थिक गतिविधि है, ताे रोजगार कैसे नहीं मिल रहा है। रोजगार का प्रोत्साहन के लिए स्कीम चल रही हैं। सिर्फ़ हल्ला करने से नहीं होगा कि मंहगाई है, बेरोजगारी है। अरे भइया साबित तो करो।
सवाल : बीजेपी दक्षिण के राज्यों में पूरा बल लगा रही है। आप भी दक्षिण से आती हैं। क्या स्थिति है?
जवाब : दक्षिण में अच्छा माहौल है। पहले कभी भी ऐसा माहौल नहीं देखा। दक्षिण में भी केंद्र गवर्नमेंट की हर योजना के लाभ पाने वाले हैं। वे सामने बात करते हैं। तमिलनाडु जैसे राज्य में योजनाओं की बात होती है। लोग बोलते हैं : मोदी जी के कारण शौचालय मिला, नल से जल घर में आ गया। सिलिंडर पर बात करते हैं। उनके गांव में इंटरनेट का कनेक्शन पहुंच गया है। बच्चे नीट की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। वंदेभारत ट्रेन देख रहे हैं। बैकों द्वारा उनको भी लोन मिल रहा है। कुल मिला कर पीएम जनधन योजना जब लागू हुआ, तो लोग हंस पड़े थे कि जीरो बैलेंस एकाउंट के लिए इतना काम कर रहो हो। बैंक को खर्च देना पड़ेगा। इनको देकर क्या मिलेगा? आज उन एकाउंट का बैलेंस पता है कि कितना है। खर्च के बाद एकाउंट में पैसा रख रहे हैं लोग। दो लाख करोड़ एकाउंट में बैलेंस है।
सवाल : सैम पित्रोदा का बयान आया है। आप भी दक्षिण से आती हैं। पित्रौदा ने बोला कि दक्षिण के लोग अफ्रीकी की तरह दिखते हैं।
जवाब : बहुत दु:ख हुआ है। भारतवासी भारतीय जैसे दिखते हैं। हमारी पहचान भारतीय है। नॉर्थ-इस्ट को चाइनिज कह दो, साउथ को अफ्रीकन कह दो, वेस्ट को अरब कह दो। ये कहां की मानसिकता है। सैम पित्रोदा राहुल गांधी का मेंटर है। वे राहुल गांधी को दुनिया में घुमाते हैं। लेक्चर दिलाते हैं। सनातन की आलोचना करनेवाले, कीड़ा कहनेवाले, तुलना करनेवाले डीएमके इनके पार्टनर हैं। घमंडिया एलायंस में कोई आलोचना तक नहीं करता है। ये लोग हिंदुस्तान को टुकडे-टुकड़े के नजरिये से ही देखते हैं। यह इनकी विचारधारा से मेल खाती है।
सवाल : एक मुख्यमंत्री, एक पूर्व सीएम कारावास में है। विपक्ष का इल्जाम है कि केंद्र गवर्नमेंट इडी का दुरुपयोग कर रही है?
जवाब : एकदम दुरुपयोग नहीं हो रहा है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हो, दिल्ली के मुख्यमंत्री हों। क्या कभी कहीं इडी जहां गया खाली हाथ निकल कर आया। केवल थैला में पैसा मिला क्या? नहीं, दीवार तक में कैश मिल रहे हैं। इतना सोना सेंट्रल बैंक में भी नहीं होगा। इडी के दुरुपयोग की कोई आवश्यकता नहीं है। जहां बदबू है, वहां इडी पहुंच रहा है। वहां उस बदबू के मुताबिक जितना गंदगी है, उतना मिल रहा है। इसमें कोई बचाव नहीं है। इडी का इस्तेमाल हो रहा है। कानून लागू करने का काम हो रहा है।
सवाल : रांची में एक व्यापारी के साथ ली गयी आपकी तस्वीर को झामुमो मामला बना रहा है। उस व्यापारी पर इडी की जांच चल रही है। इस पर आपको क्या बोलना है?
जवाब : मैंने आज रांची में फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर एंड इडस्ट्रीज (एफजेसीसीआइ) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जहां मैं सैकड़ों लोगों से मिली। इसमें बहुत से डॉक्टर, व्यापारी और अन्य क्षेत्र के लोग शामिल थे। जहां तक जांच एजेंसी की बात है, तो उनकी जांच निष्पक्ष रूप से चल रही है और आगे भी निष्पक्षता के साथ चलती रहेगी।