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इलेक्टोरल बॉन्ड पर नितिन गडकरी का बड़ा बयान

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बोला कि बिना धन के सियासी दल को चलाना संभव नहीं है और केंद्र ने चुनावी बॉण्ड योजना ‘‘अच्छे इरादे’’ से प्रारम्भ की थी. केंद्र गवर्नमेंट द्वारा 2017 में लायी इस योजना को सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी बताते हुए रद्द कर दिया है. बीजेपी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने बोला कि यदि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर और कोई निर्देश देता है तो सभी सियासी दलों को एक साथ बैठने और इस पर विचार-विमर्श करने की जरूरत है. उन्होंने शुक्रवार को गांधीनगर के नजदीक गिफ्ट सिटी में एक मीडिया संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ये टिप्पणियां कीं.

चुनावी बॉन्ड पर क्या कहे नितिन गडकरी

गडकरी ने चुनावी बॉण्ड के बारे में एक प्रश्न पर कहा, ‘‘जब अरुण जेटली केंद्रीय वित्त मंत्री थे तो मैं चुनावी बॉण्ड से जुड़ी वार्ता का हिस्सा था. कोई भी पार्टी संसाधनों के बगैर नहीं चल सकती. कुछ राष्ट्रों में सरकारें सियासी दलों को चंदा देती है. हिंदुस्तान में ऐसी कोई प्रबंध नहीं है इसलिए हमने सियासी दलों के वित्त पोषण की इस प्रबंध को चुना.’’ उन्होंने बोला कि चुनावी बॉण्ड लाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य यह था कि सियासी दलों को सीधे चंदा मिले लेकिन दानदाताओं के नामों का खुलासा न किया जाए क्योंकि ‘‘अगर सत्तारूढ़ दल बदलता है तो समस्याएं पैदा होंगी.’’ सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने बोला कि जैसे कि किसी मीडिया हाउस को एक कार्यक्रम के वित्त पोषण के लिए प्रायोजक की जरूरत होती है, उसी तरह सियासी दलों को भी धन की आवश्यकता होती है.

चुनावी बॉन्ड लाने के पीछे अच्छे इरादे

गडकरी ने कहा, ‘‘आपको जमीनी हकीकत देखने की आवश्यकता है. पार्टियां चुनावी कैसे लड़ेंगी? हम पारदर्शिता लाने के लिए चुनावी बॉण्ड की प्रबंध लेकर आए थे. जब हम चुनावी बॉण्ड लाए थे तो हमारा इरादा अच्छा था. यदि सुप्रीम कोर्ट को इसमें कमियां नजर आती हैं और वह हमें इसमें सुधार लाने के लिए कहता है तो सभी दल एक साथ बैठेंगे और सर्वसम्मति से इस पर विचार-विमर्श करेंगे.’’ सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते एक ऐतिहासिक निर्णय में अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉण्ड योजना रद्द कर दी. कोर्ट ने बोला कि यह योजना भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के कानूनी अधिकार के साथ ही सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है.

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