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पीएम मोदी ने संसद में कहा- राष्ट्रीय मुद्दों को केंद्र में रखने की…

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का उत्तर देने के लिए पीएम मोदी ने संसद के दोनों सदनों में ढाई घंटे से भी अधिक समय लिया. इस दौरान पीएम का धावा केवल कांग्रेस पार्टी और नेहरू-गांधी परिवार तक सीमित रहा. चाहे करप्शन हो या क्षेत्रवाद, पीएम ने एक बार भी कांग्रेस पार्टी के सहयोगी दलों या दूसरे क्षेत्रीय दलों पर निशाना साधना तो दूर उनका नाम तक नहीं लिया. इसके उलट इन क्षेत्रीय दलों के नेताओं के चर्चित बयानों को भी कांग्रेस पार्टी पर हमले के लिए ही इस्तेमाल किया.

सवाल है कि आखिर पीएम ने भाषण कांग्रेस पार्टी और नेहरू-गांधी परिवार तक ही क्यों सीमित रखा?  वह भी तब जब स्वयं पीएम ने लोकसभा में बोला कि चुनाव से पहले ही कांग्रेस पार्टी की दुकान में ताला लग गया है. पीएम ने कांग्रेस पार्टी के दर्शक दीर्घा में बैठने की भविष्यवाणी की. दूसरी ओर पीएम ने राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के लड़ाई में दूर-दूर तक नहीं होने का संदेश दिया और उसकी कम से कम 40 सीटें आने की कामना की. दरअसल, बीजेपी की पूरी प्रयास लोकसभा चुनाव को मोदी बनाम राहुल के बीच जंग का रूप देने की है. बीजेपी नहीं चाहती कि क्षेत्रीय दलों और इसके नेताओं पर पीएम के हमले के कारण चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों की स्थान क्षेत्रीय मामले कारगर हों.

कांग्रेस अब भी मुख्य प्रतिद्वंद्वी

बीते दो लोकसभा चुनाव में बहुत खराब प्रदर्शन के बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर अभी भी कांग्रेस पार्टी ही बीजेपी का मुकाबला कर रही है. राष्ट्र के 15 ऐसे राज्य और केंद्रशासित प्रदेश हैं, जहां दोनों के बीच सीधा मुकाबला होता आया है. बीते चुनाव में इन राज्यों की 190 सीटों पर इन्हीं दो दलों के बीच सीधा मुकाबला हुआ था, जिसमें बीजेपी 175 सीटें जीतने में सफल हुई थी. इस बार भी इन सभी राज्यों में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस पार्टी ही रहेगी. कांग्रेस पार्टी एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव हारी है, पर उसे तकरीबन 40 प्रतिशत वोट मिले.

सहयोगियों को दूर करने की रणनीति

जदयू के निकलने और तृणमूल कांग्रेस पार्टी के तेवर दिखाने के कारण इण्डिया गठबंधन कमजोर दिख रहा है, हालांकि यह गठबंधन सामाजिक इन्साफ खासतौर पर आरक्षण, जातिगत जनगणना के प्रश्न पर बीजेपी को घेरना चाहता है. चूंकि, सामाजिक इन्साफ की राजनीति में कांग्रेस पार्टी का ट्रैक रिकार्ड खराब रहा है, इसलिए बीजेपी कांग्रेस पार्टी की कमियां गिनाकर उसके सहयोगियों को भी दूर करने की रणनीति पर काम कर रही है.

मोदी बनाम राहुल क्यों?

भाजपा चाहती है कि लोकसभा चुनाव में धारणा यह बने कि एक तरफ प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी हैं तो दूसरी ओर राहुल गांधी. लोकप्रियता की दृष्टि से राहुल मोदी से बहुत पीछे हैं. पार्टी को लगता है कि यदि नेतृत्व का प्रश्न प्रमुख मामला बना तो मोदी की सशक्त और स्वीकार्य छवि का फायदा उसे मिलेगा. दोनों सदनों में पीएम ने परिवारवाद, भ्रष्टाचार, क्षेत्रवाद और आशा के अनुरूप विकास नहीं होने के लिए कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा. जबकि, कई क्षेत्रीय दलों में भी परिवारवाद, करप्शन है.

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