राष्ट्रीय

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार वाराणसी से 14 मई को करेंगे नामांकन दाखिल

लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी समाचार यूपी से है. पहली ये कि पीएम नरेन्द्र मोदी तीसरी बार वाराणसी से 14 मई को नामांकन दाखिल करेंगे. मोदी एक दिन पहले यानी 13 मई को ही बनारस पहुंच जाएंगे. काशी विश्वनाथ के दर्शन करेंगे, वाराणसी में रोड शो करेंगे. इसके बाद 14 मई को पर्चा भरेंगे. दूसरी समाचार ये है कि राहुल गांधी ने इस बार अमेठी की सीट छोड़ दी. राहुल अमेठी की बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे. राहुल ने शुक्रवार को रायबरेली से नामांकन का पर्चा भर दिया. अमेठी से कांग्रेस पार्टी की तरफ से गांधी परिवार के विश्वासपात्र किशोरी लाल शर्मा ने बतौर उम्मीदवार पर्चा भरा. प्रियंका गांधी चुनाव नहीं लड़ेंगी, केवल प्रचार करेंगी. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के अमेठी की बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ने को मास्टर स्ट्रोक, सोची समझी रणनीति बता रहे हैं  जबकि भाजपा के नेताओं ने इस निर्णय के कारण राहुल को रणछोड़ दास बोलना प्रारम्भ कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बोला कि उन्हें पहले से पता था. उन्होंने पहले ही बता दिया था कि शाहजादे वायनाड से हार रहे है, इसलिए वायनाड में वोटिंग के बाद नयी सीट खोजेंगे. आज वही हुआ. अमित शाह ने भी बोला कि जब गांधी नेहरू परिवार अपनी खानदानी सीट से चुनाव लड़ने की हौसला नहीं जुटा पा रहा है तो राष्ट्र में कांग्रेस पार्टी की क्या हालत होगी, ये किसी को बताने की आवश्यकता नहीं हैं. रायबरेली की फोटोज़ देखकर ऐसा लगा कि जैसे राहुल बड़े अनमने ढंग से चुनाव लड़ने रायबरेली गए. कांग्रेस के लोग तो ये कहते हैं कि राहुल का अमेठी और रायबरेली दोनों में से किसी सीट पर लड़ने की ख़्वाहिश नहीं थी लेकिन सपा ने दबाव बनाया. समाजवादी पार्टी के नेता बता रहे हैं कि अखिलेश यादव ने ये शर्त रखी कि राहुल और प्रियंका को अमेठी से लड़ना चाहिए, इसका असर पूरे प्रदेश में होगा. देर रात राहुल ने रायबरेली से लड़ने का निर्णय किया. कांग्रेस के नेताओं के लिए इससे अधिक आश्चर्य की बात ये है कि प्रियंका गांधी को रायबरेली से नहीं लड़वाया गया.पिछले 5 वर्ष से प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी  के लिए रायबरेली चुनावक्षेत्र का काम देख रही थीं. ऐसी धारणा बनने लगी थी कि सोनिया, प्रियंका को इस चुनाव क्षेत्र में अपनी उत्ताराधिकारी के तौर पर तैयार कर रही हैं.

कांग्रेस के नेता कहते हैं कि इन दोनों सीटों से कौन लड़ेगा कौन नहीं लड़ेगा, ये परिवार का निर्णय है और इसमें कोई कुछ नहीं बोल सकता. परिवार के इसी निर्णय का नतीजा हुआ कि रॉबर्ट वाड्रा का अमेठी से चुनाव लड़ने का सपना भी टूट गया. पिछले कुछ महीनों में रॉबर्ट वाड्रा ने भिन्न भिन्न ढंग से कई बार ये धारणा पैदा की थी कि वो अमेठी से चुनाव लड़ने को तैयार हैं. वह तो ये भी कहते थे कि अमेठी के लोग चाहते हैं कि वो वहां से चुनाव लड़ें लेकिन गांधी परिवार ने निर्णय किया. वाड्रा तो दूर राहुल गांधी ने भी अमेठी छोड़कर रायबरेली को चुना. अमेठी से इस बार कांग्रेस पार्टी ने गांधी नेहरू परिवार के पुराने विश्वासपात्र किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है. लुधियाना के रहने वाले किशोरी लाल शर्मा 1983 में अमेठी आए थे. उस समय राजीव गांधी, अमेठी से कांग्रेस पार्टी के सांसद थे. उसके बाद से वो अमेठी और रायबरेली दोनों ही सीटों पर गांधी परिवार के मैनेजर रहे. हालांकि, 2019 में जब राहुल गांधी, अमेठी से चुनाव हारे, तो इसके लिए कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने के एल शर्मा को ही उत्तरदायी ठहराया था लेकिन, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने किशोरी लाल शर्मा का बचाव किया था.  अमेठी में  किशोरी लाल शर्मा के नामांकन दाखिले के समय न राहुल पहुंचे, न सोनिया केवल प्रियंका गांधी को भेजा. प्रियंका ने के एल शर्मा के लिए रोड शो किया, लोगों से समर्थन मांगा. जब प्रियंका से पूछा गया कि क्या स्मृति ईरानी के सामने के एल शर्मा टिक सकेंगे तो प्रियंका ने बोला कि शर्मा ने 1999 में सोनिया गांधी को यहां से जिताया था, उसके बाद के सारे चुनाव में वो ही मैनेजर रहे हैं, अमेठी के हर गांव और हर परिवार को के एल शर्मा जानते हैं. प्रियंका ने बोला कि केएल शर्मा अवश्य जीतेंगे.

कभी कभी तो ये देखकर आश्चर्य होता है कि चुनाव के दौरान हमारे नेता जनता के साथ कैसे कैसे गेम खेलते हैं? क्या वोट देते समय वायनाड के लोगों को ये जानने का अधिकार नहीं था कि राहुल गांधी किसी दूसरी सीट से भी चुनाव लड़ेंगे? वायनाड के लोगों से ये बात जान-बूझकर छुपाई गई. जब तक वायनाड में पोलिंग नहीं हो गई, राहुल गांधी इंकार करते रहे कि वो अमेठी या रायबरेली नहीं जाएंगे. कांग्रेस में हर कोई जानता था कि वायनाड की वोटिंग के बाद निर्णय होगा, इसीलिए अमेठी और रायबरेली के उम्मीदवार घोषित नहीं किए गए. अब राहुल रायबरेली से लड़ेंगे. वायनाड के लोगों को वोट डालने से पहले इसकी जानकारी होनी चाहिए थी. इसी तरह हासन के लोगों के साथ भी विश्वासघात हुआ. सारे नेता कांग्रेस पार्टी हों या भाजपा जानते थे कि देवेगौड़ा के पोते ने क्या किया है? सबने pen drive में प्रज्वल के Sex वीडियो देखे थे.बीजेपी का तो वहां JD-S के साथ गठबंधन है, चुप रहना विवशता हो सकती है. पर कांग्रेस पार्टी की तो कोई विवशता नहीं थी. कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की गवर्नमेंट है, पुलिस उनके पास है, सबूत मौजूद थे, लेकिन सब चुपचाप तमाशा देखते रहे क्योंकि लगा कि अभी कुछ किया तो वोक्कालिगा वोटों का हानि हो जाएगा.  ज़रा सोचिए,  ये सारे नेता समझते हैं कि वोक्कालिगा समाज के लोग एक ऐसे नेता के विरुद्ध एक्शन लेने से नाराज हो जाएंगे जिस पर सैकड़ों स्त्रियों की आबरू लूटने का आरोप है! उसके घर के भेदी ने वीडियो मौजूद करवाए. वोटर करे तो क्या करे? उसने पूरा सच जाने बिना प्रज्वल रेवन्ना को वोट दिया होगा. मुझे लगता है कि चुनाव से पहले हर मतदाता को सच जानने का अधिकार है. वायनाड हो या हासन, वोटर से जानबूझकर सच छिपाया गया.

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