एस जयशंकर सीमाओं पर हिंसा के लिए चीन को ठहराया जिम्मेदार, भारत के साथ लंबे समय से…
टोक्यो: विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने 2020 में सीमाओं पर अत्याचार के लिए चीन (China) को उत्तरदायी ठहराते हुए गुरुवार को बोला कि उसने हिंदुस्तान (India) के साथ लंबे समय से कायम लिखित समझौतों का पालन नहीं किया। तोक्यो में एक ‘थिंक टैंक’ के कार्यक्रम ‘रायसीना गोलमेज सम्मेलन’ में जयशंकर ने यह भी बोला कि कैसे उन्हें दुनिया के बाकी हिस्सों के प्रति रूस की दिशा में परिवर्तन की आशा है और वह संभवतः एशिया में कई विकल्प चाहता है।
जापान की दो दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने बदलती विश्व प्रबंध पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा, ‘‘हिंद-प्रशांत में एक बहुत बड़ा शक्ति बदलाव वास्तविकता है। जब क्षमताओं और असर तथा संभवतः महत्वाकांक्षाओं में बहुत बड़े परिवर्तन होते हैं, तो सभी महत्वाकांक्षाएं और रणनीतिक रिज़ल्ट भी जुड़े होते हैं।”
उन्होंने कहा, ‘‘अब, यह कोई मामला नहीं है कि आपको यह पसंद है या आपको यह पसंद नहीं है। वहां एक वास्तविकता है, आपको उस वास्तविकता से निपटना होगा।” विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘आदर्श रूप से, हम मानते हैं कि हर कोई कहेगा, ठीक है, चीजें बदल रही हैं, लेकिन इसे जितना संभव हो उतना स्थिर रखना चाहिए।” जयशंकर ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, हमने चीन के मुद्दे में पिछले दशक में ऐसा नहीं देखा है। उदाहरण के लिए, 1975 से 2020 के बीच, 45 वर्ष में सीमा पर कोई अत्याचार नहीं हुई और 2020 में हालात बदल गए।”
जयशंकर ने एक प्रश्न पर कहा, ‘‘हम कई चीजों पर असहमत हो सकते हैं, लेकिन जब कोई राष्ट्र किसी पड़ोसी के साथ लिखित समझौतों का पालन नहीं करता है, तो मुझे लगता है… तब संबंध की स्थिरता पर सवालिया निशान खड़ा हो जाता है और ईमानदारी से कहूं तो इरादों पर प्रश्न उठता है।” पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भयंकर झड़प के बाद दोनों राष्ट्रों के संबंधों में काफी गिरावट आई, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सेना संघर्ष था।
भारत कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। जयशंकर ने कहा, ‘‘हम इसे यूरोप में संघर्ष में, एशिया में अंतर्राष्ट्रीय कानून की अवहेलना में और मध्य पूर्व में घटनाक्रम में देखते हैं।” उन्होंने 1993 के सीमा पर शांति समझौते और असली नियंत्रण रेखा पर सेना क्षेत्र में ‘‘विश्वास बहाली उपायों’ से जुड़े 1996 के समझौते का जिक्र किया।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘लंबे समय से कायम समझौतों का जरूरी रूप से पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे उस हालात की स्थिरता पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं जिसमें हम सभी काम करते हैं।” अपने संबोधन के बाद एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हिंदुस्तान के लिए, बदलती दुनिया में, हमारा अपना संतुलन, दूसरे राष्ट्रों के साथ हमारा अपना संतुलन भी बदल रहा है। उन्हें कटु होने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन संतुलन बदल रहा है।”
विदेश मंत्री ने दो मार्च को दिल्ली में एक ‘थिंक टैंक’ के संवाद सत्र में संबोधन के दौरान इसी तरह का मामला उठाया था। पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी सेना विवाद के बीच जयशंकर ने कहा, ‘‘चीन को सीमा प्रबंधन समझौतों का पालन करना चाहिए और भारत-चीन संबंधों में सुधार के लिए असली नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति होनी चाहिए।”
मंत्री ने रूस और उसके बदलते दृष्टिकोण के बारे में भी टिप्पणी की। उन्होंने उल्लेख किया कि पिछले दो सालों के दौरान, यूक्रेन संघर्ष के कारण पश्चिमी राष्ट्रों के साथ रूस के संबंध टूट गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘तो आज आपके पास वास्तव में यह आसार है कि रूस अधिक से अधिक एशिया की ओर रुख कर रहा है। वह अन्य महाद्वीपों की ओर भी रुख कर सकता है लेकिन मैं कहूंगा कि एशिया में उनके लिए सबसे बहुआयामी आसार है।”