भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संजय सिंह ने बीजेपी पर हमला बोला
Sanjay Singh Press Conference: आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) आज सुबह 10 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। दावा है कि संजय सिंह इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बड़े खुलासे कर सकते हैं। कारावास से रिहाई के बाद से संजय सिंह भाजपा पर जमकर निशाना साधा रहे हैं। करप्शन के मामले पर संजय सिंह ने भाजपा पर धावा कहा और साथ ही उत्सव की बजाय जंग के मैदान में उतरने की बात कही। वहीं, भाजपा भी आम आदमी पार्टी पर पलटवार कर रही है। कुल मिलाकर दिल्ली में राजनीति के नए रण का आगाज हो चुका है।
संजय सिंह ने किया संघर्ष का ऐलान
संजय सिंह की कारावास से रिहाई के बाद कार्यकर्ताओं ने भले ही उत्सव मनाया हो, मगर 6 महीने तक सलाखों के पीछे रहे आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह उत्सव की बजाय जंग की तैयारी में हैं। जंग चुनाव की है और मुकाबला बीजेपी है। तिहाड़ कारावास से रिहा होने के बाद संजय सिंह सबसे पहले अरविंद केजरीवाल के घर गए और उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से मुलाकात की। इसके बाद वो आम आदमी पार्टी के कार्यालय पहुंचे और भाजपा पर धावा बोला।
संजय सिंह की रिहाई AAP के लिए राहत?
दरअसल, संजय सिंह की रिहाई ऐसे समय में हुई है जब लोकसभा चुनाव हो रहे हैं और AAP के सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल कारावास में हैं। इसीलिए संजय सिंह का बाहर आना राजनीतिक तौर पर आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी राहत बताया जा रहा है। चुनावी संग्राम के बीच संजय सिंह ने भाजपा के विरुद्ध बिना डरे जंग जारी रखने का घोषणा किया है।
शर्त के साथ संजय सिंह को मिली जमानत
मगर ये भी सच है कि न्यायालय ने उन्हें कई शर्तों के साथ जमानत दी है। संजय सिंह को दिल्ली-एनसीआर से बाहर जाने की अनुमति नहीं है। यदि जाते हैं तो इसकी जानकारी जांच अधिकारी को देनी है। पासपोर्ट भी जमा करना होगा। इतना ही नहीं, बाहर रहते हुए संजय सिंह शराब घोटाले से जुड़े मुकदमा को लेकर कोई टिप्पणी या बयान नहीं दे सकते। मोबाइल पर अपनी लोकेशन शेयरिंग ऑन रखेंगे और जांच अधिकारी के साथ साझा करेंगे। सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे।
रिहाई पर राजनीति हो रही है और आगे भी होती रहेगी। संजय के बाहर आते ही आम आदमी पार्टी नए तेवर और कलेवर दिखाने की कोशिशों में है। लेकिन चुनौतियां अभी कई हैं। न्यायालय ने अपने लिखित आदेश में ये भी साफ किया कि संजय सिंह को मिली रियायत को नजीर की तरह न समझा जाए। इसका सीधा और साफ मतलब यही है कि इस आधार पर दूसरा आरोपी ऐसी ही राहत का दावा नहीं कर सकता।