SC ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले कानून पर अभी रोक लगाने से किया इनकार
Supreme Court Hearing Today: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, सुप्रीम कोर्ट से गवर्नमेंट के लिए राहत भरी समाचार आई है। SC ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले कानून पर अभी रोक लगाने से इनकार किया। न्यायालय ने बोला कि लोकसभा चुनाव से पहले ऐसा करने से अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान SC ने बोला कि नवनियुक्त चुनाव आयुक्तों (ECs) के विरुद्ध कोई इल्जाम नहीं हैं। न्यायालय ने दोनों ECs – ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू की नियुक्ति पर रोक की मांग करती याचिका खारिज कर दी। इन दोनों की नियुक्ति नए कानून के अनुसार हुई है। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कानून की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र गवर्नमेंट से 6 सप्ताह में उत्तर मांगा है। गुरुवार को बेंच ने याचिकाकर्ताओं की दलील पर बोला कि ‘आप यह नहीं कह सकते कि चुनाव आयोग कार्यपालिका के अधीन है।‘ न्यायालय ने बोला कि यह मानकर नहीं चला जा सकता कि केंद्र का बनाया कानून गलत है। SC बेंच ने कहा, ‘जिन लोगों को नियुक्त किया गया है उनके विरुद्ध कोई इल्जाम नहीं है… चुनाव निकट हैं। सुविधा का संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है।‘
SC में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 को चुनौती दी गई है। इसे पिछले वर्ष संसद ने पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई थी। इसी कानून के अनुसार हुई नियुक्तियों पर रोक से इनकार करते हुए SC ने बोला था, ‘आम तौर पर, हम अंतरिम आदेश के जरिए किसी कानून पर रोक नहीं लगाते हैं।‘ न्यायालय ने सुनवाई को 21 मार्च तक के लिए टाल दिया था।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुनवाई : SC में आज क्या हुआ
गुरुवार को सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण पेश हुए। उन्होंने बोला कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाली समिति की बैठक 15 मार्च को होनी थी। लेकिन फिर 14 मार्च को ही बैठक बुला ली गई, उसी दिन SC में इससे जुड़े मुद्दे पर सुनवाई होनी थी। भूषण ने लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी (सिलेक्शन कमेटी के सदस्य) के बयान का हवाला दिया। चौधरी ने बोला था कि बैठक से एक रात पहले उन्हें 212 नामों की सूची दी गई थी। बैठक से ठीक पहले केवल छह नामों की शॉर्टलिस्ट दी गई, ऐसा दावा अधीर ने किया था।
भूषण ने बोला कि शॉर्टलिस्ट 12 मार्च को मांगी गई थी लेकिन दी गई। भूषण ने बोला कि मुख्य मामला चयन की प्रक्रिया और आयोग की स्वतंत्रता का है। इसपर न्यायालय ने गवर्नमेंट से बोला कि आपको नामों की जांच के लिए समय देना चाहिए था। यदि 2-3 दिन का समय मिल जाता तो सदस्य नामों पर स्टडी कर पाते। हालांकि, भूषण की दलील का खास लाभ नहीं हुआ और SC ने नियुक्तियों या कानून पर तुरन्त रोक लगाने से इनकार कर दिया।
ECs चुनने वाली कमेटी से CJI को बाहर करने का विरोध
नए कानून के तहत, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक समिति का प्रावधान किया गया है। इसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट के एक मंत्री और विपक्ष के नेता को शामिल किया गया है। उससे पहले, एक कानूनी बेंच का निर्देश था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाली समिति में पीएम, विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस रहेंगे। सीजेआई को कमेटी से बाहर करने पर विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया था। कांग्रेस पार्टी नेता जया ठाकुर, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और अन्य ने उच्चतम न्यायालय में नए कानून को चुनौती दी थी।