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नेहरू-गांधी परिवार से जुड़े सात लोग लड़ चुके रायबरेली से चुनाव, तीन के नाम से नहीं होगा अंदाजा

सबसे पहले कुछ दिलचस्प चर्चाओं की चर्चा करते हैं. सुलतानपुर सीट को लेकर चर्चा है कि मेनका गांधी पीलीभीत और वरुण गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ें तो स्थिति मजबूत हो सकती है. चर्चाओं के मुताबिक मेनका को सुलतानपुर सीट से इस बार चुनाव मैदान में उतारने से इंकार कर दिया गया है. उनके सामने पीलीभीत का विकल्प है, जबकि वरुण को लेकर संशय है.

ऐसी हालात में वरुण को रायबरेली सीट पर भेजे जाने का दांव पार्टी आजमाने की जुगत में है. वहीं, सुलतानपुर सीट से क्षेत्रीय प्रत्याशी उतारने की तैयारी है. बहरहाल, इन चर्चाओं पर विराम तो कांग्रेस पार्टी और बीजेपी ही लगाएंगी. लगातार दो चुनावों में बीजेपी सुलतानपुर सीट पर अपराजेय रही. 2014 के चुनाव में यहां से वरुण गांधी तो 2019 में उनकी मां मेनका गांधी सांसद बनीं.

इस बार बीजेपी जीत की हैट्रिक लगाने की फिराक में है. यहां से किसी नए और क्षेत्रीय चेहरे को मौका देने की चर्चा है. इसमें इनमें जिलाध्यक्ष डा आरए वर्मा का नाम खास तौर पर चर्चा में है. विधायक राजेश्वर सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल समेत अन्य कुछ नामों को लेकर भी कयासों का दौर चल है. फैजाबाद मंडल में सबसे कमजोर सीट अंबेडकरनगर मानी जा रही थी, लेकिन बीजेपी ने बीएसपी के वर्तमान सांसद रितेश पांडेय को पाले में कर बड़ा दांव चल दिया है. वहीं, लखनऊ मंडल में बीजेपी की सबसे बड़ी कमजोरी रायबरेली है. कारण, लगातार कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार का कब्जा है.

चर्चाओं के शोर से पसरा सन्नाटा

अमेठी की चर्चाएं सुनिए… बीजेपी से कुमार विश्वास चुनाव लड़ेंगे. अरे नहीं नुपूर शर्मा लड़ेंगी…. मंत्री दिनेश प्रताप सिंह के जनसंपर्क से लग रहा है कि टिकट दिनेश को ही मिलेगा. ऐसा नहीं है… अजय अग्रवाल ने सोनिया को कड़ी भिड़न्त दी थी. यह सब हवा हवाई बातें हैं. मनोज पांडेय को टिकट मिलेगा, लेकिन महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह भी तो मैदान में ताल ठोक रहे हैं. नए-नए उम्मीदवारों के नाम को लेकर इस तरह की हवाओं को लेकर मतदाता पसोपेश में है तो वहीं पार्टी संगठन भी प्रत्याशियों को लेकर खामोशी साधे हुए है. रायबरेली से प्रियंका वाड्रा का नाम खूब चर्चा में है. दिल्ली में पार्टी की केंद्रीय बैठक में प्रियंका गांधी की मौजूदगी ने एक बार फिर उनके लड़ने की चर्चा की हवा तेज हो गई हैं, पार्टी के पदाधिकारी भी प्रियंका को यहीं से चुनाव लड़ाने को लेकर मांग कर चुके हैं.

कार्यकर्ता की ओर से तिराहे-चौराहों पर होल्डिंग लगाकर प्रियंका को चुनाव लड़ाने की मांग कर रहे हैं. इधर बीच आशीष कौल को लेकर भी इंटरनेट मीडिया पर चर्चाएं प्रारम्भ हो गई हैं. आशीष दिवंगत कांग्रेस पार्टी नेता शीला कौल की बेटी दीपा कौल के बेटे हैं. गांधी परिवार से किसी के न लड़ने पर इन्हें भी अवसर दिया जा सकता है. बसपा से चार लोगों ने आवेदन किया है. बसपा भी चुनावी मैदान में प्रत्याशी को उतारने को लेकर चुप है. वह भाजपा, कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों और समीकरण को देखकर उम्मीदवार तय करने के बाद घोषणा करने की योजना पर काम कर रही है.

गांधी नाम के सहारे कमजोरी दूर करने की जुगत में भाजपा

ऐसे में इस बार बीजेपी भी गांधी नाम के सहारे ही अपनी कमजोरी को दूर करने की जुगत में है. इस खांचे के लिहाज से वरुण गांधी का नाम फिट बैठ रहा है. पार्टी सूत्रों के अनुसार पीलीभीत से इनके नाम पर न नुकुर करने वाले नेताओं को यह सुझाव बेहतर विकल्प नजर आ रहा है. ऐसे में अधिक आसार मेनका गांधी को पीलीभीत से लड़ाने की बन रही है, जबकि वरुण को रायबरेली शिफ्ट कर कांग्रेस पार्टी के किले को ध्वस्त करने की रणनीति तैयार हो रही है.

पार्टी सूत्रों का बोलना है कि यदि कांग्रेस पार्टी से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं उतरा तो वरुण भी रायबरेली के नाम पर हामी भर सकते हैं. वरुण रायबरेली जाते हैं तो मेनका गांधी का संकट भी दूर हो जाएगा. वरुण गांधी के लिए नामांकन पत्र खरीदे जाने को जानकार शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाने की रणनीति बता रहे हैं. वहीं, मेनका गांधी के करीबी कार्यकर्ता भी दावा कर रहे हैं कि वह यहीं से ही चुनाव लड़ेंगी.

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