19 सितंबर को नये संसद भवन में स्थानांतरित,अब नये संसद भवन से नयी उम्मीदें
Parliament Special Session: संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक बुलाया गया है। इस दौरान संविधान सभा से लेकर आज तक, संसद की 75 सालों की यात्रा और उपलब्धियों पर चर्चा होगी। विशेष सत्र में चार विधेयक भी सूचीबद्ध हैं। यह सत्र 18 सितंबर को पुराने भवन में प्रारम्भ होगा और गणेश चतुर्थी के दिन यानी 19 सितंबर को नये संसद भवन में स्थानांतरित हो जायेगा। नये संसद भवन से नई उम्मीदें हैं।
केंद्र गवर्नमेंट ने 18 से 22 सितंबर तक, पांच दिनों के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया है। यह 17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा। लोकसभा सचिवालय के अनुसार, विशेष सत्र के दौरान संविधान सभा से लेकर आज तक, संसद की 75 सालों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर चर्चा होगी। इसके अलावा, चार विधेयक भी सूचीबद्ध हैं। विशेष सत्र के दौरान प्रश्नकाल, शून्यकाल और गैर सरकारी कामकाज नहीं होंगे। विशेष सत्र 18 सितंबर को पुराने भवन में प्रारम्भ होगा और गणेश चतुर्थी के अवसर पर 19 सितंबर को नये संसद भवन में स्थानांतरित कर दिया जायेगा। सचिवालय बुलेटिन के अनुसार, एडवोकेट संशोधन विधेयक-2023, प्रेस एवं आवधिक पंजीकरण विधेयक-2023 राज्यसभा से पारित एवं लोकसभा में लंबित हैं। वहीं, डाकघर विधेयक-2023 तथा मुख्य निर्वाचन आयुक्त, अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्त विधेयक 2023 सूचीबद्ध है। यह सत्र चंद्रयान-3 और जी-20 से जुड़े उत्सव को लेकर भी हो सकता है।
संसद की 75 साल की यात्रा और उपलब्धियों पर होगी चर्चा, पहले भी हुए हैं विशेष सत्र
1972: 14-15 अगस्त को विशेष सत्र बुलाया गया था। इस दौरान हिंदुस्तान की आजादी के 25 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया गया।
1992: 09 अगस्त की आधी रात को विशेष सत्र बुलाया गया। उस दिन हिंदुस्तान छोड़ो आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ मनायी गयी।
1997: 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को हिंदुस्तान की स्वतंत्रता के 50 वर्ष पूरे होने पर संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था।
2012 : 13 मई को राज्यसभा और लोकसभा की पहली बैठक की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष बैठक बुलायी गयी।
2015: 26 नवंबर को डॉ बीआर आंबेडकर की 125वीं जयंती पर विशेष बैठक बुलायी गयी और संविधान दिवस मनाया गया।
जीएसटी के लिए बुलाया गया था विशेष सत्र
30 जून, 2017 को नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट ने आधी रात को संसद का विशेष सत्र बुलाया था। इसी दिन राष्ट्र में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रबंध लागू हुई थी। संसद के सेंट्रल हॉल में लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक हुई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने घंटा बजा कर GST लागू किया था।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति सहित चार विधेयक सूचीबद्ध
सरकार ने मॉनसून सत्र के दौरान मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक-2023 राज्यसभा में पेश किया था। हालांकि, हंगामे के कारण यह विधेयक पारित नहीं हो सका था। विधेयक के मुताबिक, भविष्य में निर्वाचन आयुक्तों का चयन पीएम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति करेगी। इसमें पीएम के अतिरिक्त लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री होंगे। इस चयन समिति में प्रधान न्यायाधीश नहीं होंगे। बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने इस वर्ष मार्च में एक निर्णय दिया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश की सदस्यता वाली समिति की राय पर राष्ट्रपति करेंगे। यह मानदंड तब तक कारगर रहेगा, जब तक कि इस मामले पर संसद में कोई कानून नहीं बन जाता। इसके बाद यह विधेयक लाया गया।
प्रेस और मीडिया रजिस्ट्रीकरण बिल : प्रेस एवं नियतकालिक मीडिया रजिस्ट्रीकरण विधेयक-2023 राज्यसभा से पास हो चुका है। इसमें पंजीकरण प्रक्रिया सरल बनायी गयी है। पंजीकरण औनलाइन हो सकता है। मुद्रकों द्वारा डीएम के पास घोषणापत्र देने की अनिवार्यता को समाप्त करने का प्रावधान है।
डाकघर विधेयक
सरकार ने डाकघर विधेयक-2023 को राज्यसभा में पेश किया था, जो पारित नहीं हो सका। इसके मुताबिक, डाकघर को डाक टिकट जारी करने का विशेषाधिकार होगा।
अधिवक्ता संशोधन विधेयक
यह राज्यसभा से पारित हो चुका है। इसे लोकसभा से पारित कराना है। इसमें दलाली पर रोक लगाने एवं कानूनी पेशे के नियमन को बेहतर बनाने का प्रावधान किया गया है।
देश की आजादी की पूर्व संध्या पर हुआ था पहला विशेष सत्र
देश की आजादी की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त, 1947 को पहला विशेष सत्र बुलाया गया था। इसी सत्र में ब्रिटिश शासन ने हिंदुस्तान को सत्ता सौंपी थी। हिंदुस्तान ने 200 सालों के उपनिवेशवाद के बाद अपनी स्वतंत्र, संप्रभु यात्रा प्रारम्भ की थी। राष्ट्र के प्रथम पीएम जवाहर लाल नेहरू ने अपना मशहूर ‘नियति से साक्षात्कार’ (ट्रिस्ट विद डेस्टिनी) भाषण दिया था।
इन मौकों पर भी हुए हैं विशेष सत्र
22 जुलाई, 2008: वाम दलों द्वारा यूपीए-1 गवर्नमेंट से समर्थन वापस लेने के बाद विश्वास मत के लिए लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया। गवर्नमेंट ने विश्वास मत हासिल कर लिया था।
03-04 जून, 1991: हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की स्वीकृति के लिए राज्यसभा का विशेष सत्र बुलाया गया।
28 फरवरी, 1977: तमिलनाडु और नगालैंड में राष्ट्रपति शासन का समय बढ़ाये जाने के लिए राज्यसभा का विशेष सत्र बुलाया गया।
संसद का स्वरूप
राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा संसद का अहम हिस्सा हैं। हालांकि, संसद का घटक होते हुए भी राष्ट्रपति किसी भी सदन की चर्चा में भाग नहीं लेते हैं। उनके पास संसद के दोनों सदनों को बुलाने और स्थगित करने का कानूनी अधिकार है।
सत्र बुलाना गवर्नमेंट का अधिकार
संसद सत्र बुलाने का अधिकार गवर्नमेंट के पास है। यह फैसला संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा किया जाता है, जिसे बाद में राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक रूप से स्वीकृति दी जाती है।
साल में दो बार सत्र बुलाना जरूरी
संविधान के अनुच्छेद 85 में प्रावधान है कि संसद की वर्ष में कम-से-कम दो बार बैठक होनी चाहिए। दो सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। सत्र बुलाने को लेकर कोई निश्चित संसदीय कैलेंडर नहीं है, लेकिन परंपरागत तौर पर एक वर्ष में संसद के तीन सत्र होते हैं- बजट सत्र, मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र हैं। इसके अलावा, किसी भी समय विशेष सत्र बुलाया जा सकता है। यह सामान्य सत्र की तरह होता है।
एजेंडा बताना महत्वपूर्ण नहीं
संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक, सत्र बुलाने की सूचना सांसदों को 15 दिन पहले देने की प्रबंध सुनिश्चित करना जरूरी है। हालांकि, इसमें एजेंडा बताना जरूरी नहीं है। गवर्नमेंट संसद की बैठक से एक दिन पहले बुलेटिन जारी कर या सर्वदलीय बैठक में एजेंडे की सूचना दे सकती है। बैठक के दिन सुबह में भी संशोधित कार्यसूची जारी कर पहले से तय एजेंडे को बदला जा सकता है।