राष्ट्रीय

शिवपाल सिंह यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हंसते हुए दिए ये सुझाव

घोसी उपचुनाव के ऐसे नतीजे की कुछ शीर्ष बीजेपी नेताओं ने कल्पना नहीं की थी वहीं सपा के रणीनीतिकारों को इतनी ही बड़ी जीत मिलने की आशा थी यह आशा पालने वालों में पूर्व सीएम अखिलेश यादव, शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश के करीबी संजय लाठर थे सुधाकर सिंह जीत गए दारा सिंह चौहान और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर की कोशिशें काम नहीं आईं कांग्रेस पार्टी के प्रमोद तिवारी इसे इण्डिया गठबंधन की जीत बताते हैं लेकिन राजनीतिक तौर पर इसे केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की रणनीतिक हार के तौर पर देखा जा रहा है

लोकभवन के सूत्र बताते हैं कि उपचुनाव का मतदान होने से पहले ही सीएम योगी आदित्यनाथ को पता था कि दारा सिंह चौहान चुनाव हार जाएंगे हारेंगे ही नहीं बल्कि बड़े अंतर से हारेंगे इस तरह की आसार को मान लेने में सपा के संजय लाठर को भी कोई संकोच नहीं है बनारस के रहने वाले गाजीपुर मूल के बीजेपी के एक बड़े नेता ने बोला कि दारा सिंह चौहान दल बदलू थे उन्हें पता नहीं क्यों टिकट मिला यह तो हमारे नेताओं का फैसला था दूसरे, ओम प्रकाश राजभर को भी न जाने क्यों एनडीए में लाया गया सूत्र का बोलना है कि वह चुके हुए नेता हैं ऐसे में तो हारना ही था

विधानसभा का सत्र, शिवपाल सिंह यादव और सीएम योगी की हंसी 

कुछ ही समय पहले उप्र विधानसभा सत्र के दौरान शिवपाल सिंह यादव ने सीएम योगी आदित्यनाथ को हंसते हुए एक सुझाव दिया था कि वह ओम प्रकाश राजभर को जल्द से जल्द मंत्रिमंडल में शामिल कर लें और यदि ऐसा नहीं करेंगे तो राजभर फिर हमारे साथ आ जाएंगे इस पर सीएम योगी आदित्यनाथ अपनी हंसी नहीं रोक पाए थे राजनीति के सधे शिवपाल का यह तीर ठीक निशाने पर था इसके अर्थ भी निकाले गए कि सीएम योगी आदित्यनाथ ओम प्रकाश राजभर के एनडीए में शामिल होने से खुश नहीं थे बताते हैं कि एनडीए में ओम प्रकाश राजभर को लाने की जमीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने तैयार की थी ओम प्रकाश राजभर कई बार उप सीएम बृजेश पाठक से भी मिल चुके थे दारा सिंह चौहान को लेकर भी सीएम योगी की अपनी राय थी लेकिन केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की निगाह सियासी मैक्रोमैनेजमेंट पर थी जो अन्य पिछड़ा वर्ग, दलितों, गैर जाटव आदि को जोड़कर 2014 और 2017 जैसी सियासी पृष्ठभूमि खड़ा करने पर केन्द्रित है इसके सामानांतर सीएम योगी आदित्यनाथ 2022 के चुनाव से पहले साथ छोड़ने और भला बुरा कहने वालों पर सीमित राय रख रहे थे

 

अब क्या होगा ओम प्रकाश राजभर और दल बदलू दारा सिंह चौहान का?

ओम प्रकाश राजभर केन्द्रीय गृहमंंत्री अमित शाह से भेंट करने, अपनी बात रखने के बाद एनडीए में शामिल हुए थे इसलिए उनके पास आश्वासन बड़ा है लेकिन घोसी उपचुनाव ने उन्हें राजनीति के जनाधार में बहुत कमजोर साबित कर दिया है ऐसे में उन्हें इस हार की मूल्य चुकानी पड़ सकती है दरअसल, दारा सिंह चौहान को पिछड़ी जाति का चेहरा माना जाता है 90 के दशक में उन्होंने बीएसपी से राजनीति प्रारम्भ की थी 1996 में बीएसपी ने राज्यसभा में भेजा था कार्यकाल पूरा होने के पहले वह सपा में चले गए और 2000 में अगली राज्यसभा उन्हें मुलायम सिंह यादव के आशीर्वाद से मिल गई राजनीति के मौसम विज्ञानी दारा ने 2007 का विधानसभा चुनाव आते आते बीएसपी का उभार देखा और फिर बसपाई हो गए 2009 में बीएसपी ने घोसी सीट से टिकट दिया जीत गए लोकसभा सदस्य बन गए 2014 में नरेन्द्र मोदी की गवर्नमेंट बनी अवसर अनुकूल था बीजेपी में आए और पिछड़ी जाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए 2017 में विधानसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़े, विधायक बने योगी कैबिनेट में मंत्री बने मन नहीं माना 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़ी अनेक इल्जाम लगाए सपा में फिर शामिल हुए घोसी से विधानसभा चुनाव लड़ा, जीते, विधायक बने लेकिन गवर्नमेंट बीजेपी की बन गई 2023 में मन फिर नहीं माना सपा छोड़ दी बीजेपी में चले गए उसी सीट पर घोसी का उपचुनाव हुआ और हार गए दारा सिंह चौहान की तरह ही ओम प्रकाश राजभर ने भी जब चाहा सियासी दल का साथ पकड़ा और जब चाहा सत्ता के करीब जाने के लिए पकड़ा


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