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शराब नीति भ्रष्टाचार मुद्दे में चुनौती देने वाली सीएम केजरीवाल की याचिका पर आज हुई सुनवाई

केजरीवाल की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बोला कि संज्ञान दबाया गया है. मैं आश्चर्यचकित हूं. मेरे जैसे आपराधिक कानून में नौसिखिया से इसकी आशा की जा सकती है लेकिन राजू जैसे विषय के अनुभवी से यह आशा नहीं की जा सकती.

दिल्ली हाई कोर्ट कथित शराब नीति भ्रष्टाचार मुद्दे में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली सीएम अरविंद केजरीवाल की याचिका पर आज सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित रख लिया. मुद्दे की सुनवाई जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने की. केजरीवाल अभी न्यायिक हिरासत में हैं. उन्हें 21 मार्च की रात को अरैस्ट किया गया था. 22 मार्च को ट्रायल न्यायालय ने उन्हें छह दिन की प्रवर्तन निदेशालय हिरासत में भेज दिया था, जिसे चार दिन के लिए बढ़ा दिया गया था. 01 अप्रैल को उन्हें 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

केजरीवाल की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बोला कि संज्ञान दबाया गया है. मैं आश्चर्यचकित हूं. मेरे जैसे आपराधिक कानून में नौसिखिया से इसकी आशा की जा सकती है लेकिन राजू जैसे विषय के अनुभवी से यह आशा नहीं की जा सकती. गिरफ़्तारी पर संज्ञान की क्या प्रासंगिकता है? संज्ञान में हमने जनवरी 2024 तक कहा था, यह साफ है कि प्रवर्तन निदेशालय ने बोला कि आरोपी नहीं हूं. मेरा प्रश्न यह है कि, यदि आपका आधिपत्य एक्स और वाई की जमानत को खारिज कर देता है, तो पीएमएलए की धारा 19 के अनुसार गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देने वाली जेड की किसी भी बाद की याचिका के लिए इसकी कोई प्रासंगिकता कैसे है? उसी रुपये के बारे में मनीष सिसौदिया के निर्णय में एक निष्कर्ष है. 100 करोड़ ये बहस का मामला है. मेरे विद्वान मित्र का बोलना है कि यह भ्रष्टाचार बहुत पहले ही सामने आ गया था. मैं अपने आप से पूछ रहा हूं कि बहुत समय पहले दो तारीखें थीं. 2022 जल्दी, और अक्टूबर 2023. इससे मेरी बात समझ में आती है कि चुनाव के बीच में गिरफ्तारी क्यों. क्या मैं नौवीं अनुसूची आतंकी और जघन्य क्राइम में गिरफ्तारी से छूट की मांग कर रहा हूं? उत्तर न है. यह एकदम अनुचित उदाहरण है. क्या यह आपका सबसे अच्छा बचाव है मिस्टर राजू?

लंच के बाद प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने न्यायालय में दलीलें दी. एएसजी का बोलना है कि केवल इसलिए कि आप प्रभावशाली हैं और इसलिए 3 वकीलों को बहस में शामिल कर सकते हैं, आप ऐसा नहीं कर सकते हैं. कोई भी आम आदमी एक से अधिक वकील का हकदार नहीं है. यह अपवाद क्यों? आप पावरफुल हो सकते हैं. आप आम आदमी होने का दावा कर सकते हैं, लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकते.

 

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